न्याय पुर्नलोकन का अर्थ एवं मूल आधार
प्रश्न० न्याय पुर्नलोकन का क्या अर्थ है?
उ० यह वह शक्ति है जिसके द्वारा न्यायालय किसी भी कानून को संवैधानिक घोषित कर सकता है तथा ऐसे ही कानून भी कानून को लागू करने से इंकार कर सकता है।
प्रश्न० याचिका पुर्नलोकन के प्रावधानों के अनुसार न्यायालय को क्या शक्तियां प्रदान है ?
उ० न्यायालय किसी भी कानून को जो संविधान से पहले बना हो या बाद में या भविष्य में बनने वाला हो और वह मौलिक अधिकारों के अनुरूप हो तो उसे संवैधानिक घोषित कर सकता है।
प्रश्न० क्या न्यायिक पुर्नलोकन भारत के संविधान की मूल संरचना में शामिल है ?
उ० हाँ, इसीलिए इसे अनुच्छेद 368 के अनुसार संशोधन लाकर समाप्त नहीं किया जा सकता है।
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