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Showing posts from January, 2020

भारत के संविधान के किस भाग को मैग्नाकार्टा कहते हैं

भारत के संविधान के किस भाग को मैग्नाकार्टा कहते हैं? भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है । भारतीय संविधान में सबसे महत्वपूर्ण भाग भाग-3 को माना गया है । क्योंकि भाग 3 मौलिक अधिकारों से संबंधित है । मौलिक अधिकार वे अधिकार हैं जो हमारे संविधान निर्माताओं ने भारत के सभी नागरिकों और उनमें से कुछ अधिकार हर व्यक्ति को भारतीय संविधान के द्वारा दिए गए हैं और उनमें अगर कोई व्यवधान पड़ता है तो वह नागरिक या वह व्यक्ति सीधे सर्वोच्च न्यायालय पहुंच सकता है सर्वोच्च न्यायालय का यह कर्तव्य है कि जिस व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है न्यायालय सुनिश्चित करें कि उक्त व्यक्ति को न्यायालय के आदेशों के द्वारा उस व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करें । मौलिक अधिकार चैप्टर को मैग्नाकार्टा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह वही अधिकार है जो 12 वीं सदी में इंग्लैंड में वहां की जनता को मिले थे यह ऐसे अधिकार है जिन्हें व्यक्ति जन्म के साथ पाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई फैसलों में कहा है कि ऐसा नहीं है कि भाग 3 मौलिक अधिकार हमें प्रदान करता है बल्कि संविधान का भाग 3 केवल यह बताता है कि

केहर सिंह बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया

केहर सिंह बनाम भारत संघ केहर सिंह के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 72 के अधीन राष्ट्रपति के समाधान की शक्ति के विस्तार पर पूर्ण रूप से विचार किया है इस मामले में इंदिरा गांधी की हत्या के मामले में मृत्युदंड दिए गए अभियुक्त केयर सिंह ने अनुच्छेद 72 के राष्ट्रपति को समाधान के लिए आवेदन दिया उसने परीक्षण न्यायालय में दिए मौखिक साक्ष्य का उद्धरण देते हुए यह कहा कि न्यायालय का निर्णय गलत था और वह निर्दोष है इसलिए समाधान का हकदार है उसने यह भी प्रार्थना की कि राष्ट्रपति उसके आवेदन पर विचार करते समय उसे सनमाइका अवसर अवश्य प्रदान करें राष्ट्रपति ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए उसके समाधान आवेदन को अस्वीकार करती राष्ट्रपति ने कहा कि वे उच्च न्यायालय के गुण अवगुण पर विचार नहीं कर सकते राष्ट्रपति के उक्त निर्णय के विरुद्ध प्रस्तुत विशेष इजाजत से अपील की याचिका उच्चतम न्यायालय में फाइल की गई उत्तम न्यायालय के 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 72 के अधीन राष्ट्रपति सकती है और मामले के मेरिट पर विचार कर सकता है न्यायालय का निर्णय चाहे जो भी हो राष्ट्रपति मामले का परीक

डीसी वधवा बनाम बिहार राज्य

डीसी वधवा बनाम बिहार राज्य सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा यह मामला अध्यादेश जारी करने की शक्ति के दुरुपयोग का उदाहरण प्रस्तुत करता है । इस मामले में पेटीशनर ने उच्चतम न्यायालय में यह तथ्य प्रस्तुत किया कि बिहार में 1966 से 81 के बीच कुल 256 अध्यादेश जारी किए गए यही नहीं उन्हें विधान मंडल द्वारा अनुमोदित किए बिना बार-बार जारी करके 14 वर्षों तक जीवित रखा गया केंद्र द्वारा इस अध्यादेश को मंजूरी भी दी गई उत्तम न्यायालय के 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इसकी आलोचना की और यह कहा कि यह विधानमंडल के विधि बनाने की शक्ति का कार्यपालिका द्वारा अपहरण है जिसे ऐसा नहीं करना चाहिए इस शक्ति का प्रयोग असाधारण परिस्थितियों में किया जाना चाहिए राजनीतिक उद्देश्यों से नहीं । न्यायालय ने बिहार राज्य को डॉक्टर भादवा को ₹10000 देने का निर्देश दिया जिनके शोध के फल स्वरुप कार्यपालिका द्वारा अध्यादेश जारी करने की शक्ति के दुरुपयोग की जानकारी सर्वोच्च न्यायालय को मिली थी ।

डॉक्टर खरे बनाम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया

डॉक्टर खरे बनाम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया इस मामले में डॉक्टर खरे ने 1957 में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव को इस आधार पर स्थगित करने के लिए न्यायालय में याचिका दाखिल की कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश के विधान मंडलों में कुछ स्थान खाली थे इस प्रकार अनुच्छेद 54 और 55 के अनुसार निर्वाचक मंडल पूर्ण होने की स्थिति मैं इस इलेक्शन को स्थगित किया जाना चाहिए । न्यायालय ने पेटीशनर की याचिका को खारिज करते हुए निर्णय दिया कि राष्ट्रपति के राष्ट्रपति के इलेक्शन पर आपत्ति करने वाली कोई भी याचिका केवल उस चुनाव के पूरे होने के बाद ही स्वीकार की जा सकती है यानी कि जबकि कोई उम्मीदवार निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है । यदि ऐसा ना हो तो राष्ट्रपति का चुनाव 5 वर्ष तक रुका रह सकता है जो अनुच्छेद 62 के खिलाफ है । खंड 4 जो इस अनुच्छेद में संविधान के 11 वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया है यह बताता है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के इलेक्शन पर इस आधार पर आपत्ति नहीं की जा सकती है कि उसके चुनाव करने वाले निर्वाचक मंडल के सदस्य में किसी कारण से स्थान कुछ खाली हैं ।  निर्वाचन पूर्ण हो जाने के पश्चात डॉक्टर खरे ने राष्ट्र

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बनाम भारत कुमार

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले में जिसका नाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बनाम भारत कुमार और अन्य  में न्यायालय के 3 न्यायाधीशों की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के निर्णय को पुष्टि करते हुए यह कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा बंद का आयोजन करना असंवैधानिक और अवैध है ।  उत्तम न्यायालय ने निर्णय दिया कि केरल उच्च न्यायालय द्वारा बंद और हड़ताल में किया गया भेद सही है और उसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है केरल उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में बंद और हड़ताल में भेद नागरिकों के मूल अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर किया था उच्च न्यायालय के अनुसार बंद से नागरिकों के मूल अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और वह उसका प्रयोग करने से वंचित कर दिए जाते हैं जबकि हड़ताल का ऐसा प्रभाव नहीं पड़ता इस मामले में केरल चेंबर ऑफ कॉमर्स के दो नागरिकों ने उच्च न्यायालय में अनुच्छेद 226 के तहत फाइल किया और प्रार्थना की कि वह राजनीतिक दलों द्वारा बंद के आह्वान एवं आयोजन को असंवैधानिक घोषित कर दें क्योंकि इससे उनके अनुच्छेद 21 और 19 में प्रदत्त मूल अधिकारों का उल्लंघन होता है कम्युनिस्ट पार्ट

Questions and Answers on Indian Constitution in Hindi

भारत सरकार अधिनियम 1935 के अंतर्गत कितने गवर्नर्स के प्रांत में मुख्य कमिश्नर के प्राथमिक कर ब्रिटिश भारत का निर्माण करते थे 11 गवर्नर्स के प्रांत और सात मुख्य कमिश्नर के प्रांत भारत सरकार अधिनियम के अधीन एक संरक्षक न्यायालय का गठन किया गया उसका नाम क्या था संघीय न्यायालय फेडरल कोर्ट भारत को स्वतंत्रता किसके द्वारा मिली भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 धारा भारत के संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच किए गए शक्तियों का विभाजन किस पर आधारित था केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन भारत सरकार अधिनियम 1935 पर आधारित था ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित कब किया था जुलाई 1947 में क्या आप जानते हैं भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 कब क्रियान्वित हुआ 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वाधीनता अधिनियम 1939 का मुख्य कारण क्या था भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र डोमिनियन होंगे भारत में स्थानीय स्वायत्त शासन का जनक किसे माना जाता है लॉर्ड रिपन भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल कौन थे सी राजगोपालाचारी भारत का प्रथम ब्रिटिश गवर्नर जनरल कौन था Lor

भारतीय संविधान से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उतर

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100 Important Facts of Indian Constitution and Polity. One hundred questions and answers from Constitution of India. Important question answers in Hindi from Constitution. List of 100+  Landmark Cases  of Supreme Court India   भारतीय संविधान से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उतर हिंदी में संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई थी-9 दिसंबर1946 आंध्र प्रदेश राज्य का गठन किस वर्ष किया गया-1953 मतदाता दिवस कब मनाया जाता है-25 जनवरी संविधान सभा की प्रथम बैठक के अध्यक्ष कौन थे- सच्चिदानंद सिन्हा( अस्थाई अध्यक्ष) भारत सरकार का लेखांकन का कार्य कौन करता है- महालेखाकार कारगिल दिवस का गठन किस वर्ष हुआ-26 जुलाई भारत सरकार का प्रथम विधिक सलाहकार कौन होता है -महान्यायवादी उद्देशिका प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया- पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री के कर्तव्यों का उल्लेख किस अनुच्छेद में है- अनुच्छेद 78 भारत में संविधान सभा के निर्माण का आधार क्या था- कैबिनेट मिशन योजना 1946 प्रस्तावना में भारत शब्द कितनी बार उल्लेख हुआ है- दो बार प्रारूप समिति का गठन कब किया गया-29 अगस्त1947 संविधान मे

भारतीय संविधान से महत्पूर्ण प्रश्न ?

भारतीय संविधान से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न - Important questions and answers related to Indian Constitution / Indian Polity and Governance. You can go through these questions and answers if you are preparing for some exam in which Constitution of India is part of exam syllabus. यहां पर भारतीय संविधान से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर दिए गए हैं | अगर आप भारतीय संविधान के बारे में और भारतीय पॉलिटिक के राज्य व्यवस्था के बारे में कुछ जानना चाहते हैं तो उनसे जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर यहां पर दिए गए हैं |  प्रश्न: भारत में संघ राज्यों का प्रशासन किसके द्वारा होता है? राष्ट्रपति द्वारा प्रश्न: भारतीय संविधान सभा की स्थापना कब हुई? 6 December 1946 प्रश्न: भारत सरकार के मुख्य विधि परामर्शदाता कौन हैं? अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया प्रश्न: मौलिक कर्तव्य को सम्मिलित कब किया गया था? मौलिक कर्तव्य को 1976 में 42 वें संविधान संशोधन के द्वारा सम्मिलित किया गया था प्रश्न: भारतीय संविधान सभा में प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे? डॉक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर प्र