घरेलू हिंसा से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल
घरेलू हिंसा से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल:
प्रश्न - घरेलू हिंसा से छुटकारा पाने और सहायता प्राप्त करने का क्या तरीका है?
उत्तर: घरेलू हिंसा के उपचार के लिए मजिस्ट्रेट के सामने आवेदन लगाने में निम्नलिखित लोग मदद कर सकते हैं-
• पीड़ित व्यक्ति
• संरक्षण अधिकारी
• पीड़ित के स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति
प्रश्न- मजिस्ट्रेट पीड़ित की सुनवाई कब करते हैं?
उत्तर- पीड़ित द्वारा आवेदन प्राप्त करने के 3 दिन के भीतर मजिस्ट्रेट पहली सुनवाई कर सकते हैं।
प्रश्न- नोटिस जारी करने की क्या प्रक्रिया होती है?
उत्तर- • सुनवाई के लिए निर्धारित तारीख की सूचना मजिस्ट्रेट संरक्षण अधिकारी को देता है।
• नोटिस प्राप्त करने पर संरक्षण अधिकारी 2 दिन के अंदर या मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित समय में संबंधित व्यक्तियों को भेज देता है।
प्रश्न- नोटिस में क्या-क्या लिखा होता है?
उत्तर • घरेलू हिंसा के आरोपी का नाम।
• घरेलू हिंसा किस तरह की है।
• आरोपी की पहचान का विवरण।
प्रश्न- नोटिस तामिल कौन करता है और कहां कराया जाता है?
उत्तर- • संरक्षण अधिकारी या उसके द्वारा नियुक्त कोई व्यक्ति।
• नोटिस आरोपी के निवास स्थान पर या जहां वह काम करता है वहां भेजा जाता है।
• यदि नोटिस प्राप्त करने वाला कोई नहीं होता तो उस नोटिस को आरोपी के परिसर के पास ऐसी जगह चिपका दिया जाता है जो सबको आते जाते दिखाई दे।
प्रश्न- यदि आरोपी नोटिस लेने से मना कर दे?
उत्तर- पीड़ित को निम्नलिखित मदद मिल सकती है।
• संरक्षण आदेश
• आर्थिक मदद
• हिरासत आदेश
• आवास आदेश
• क्षतिपूर्ति आदेश
प्रश्न- न्यायालय से आर्थिक मदद के क्या आदेश हो सकते हैं?
उत्तर- घरेलू हिंसा में हुई क्षति पूर्ति के लिए पीड़ित और उसकी संतान के पक्ष में मजिस्ट्रेट द्वारा घरेलू हिंसा के जिम्मेदार व्यक्ति को आर्थिक दंड दिया जा सकता है।
प्रश्न- आपातकालीन स्थिति में किस तरह की कार्रवाई की जाती है?
उत्तर- यदि ईमेल फोन या अन्य किसी माध्यम से सुरक्षा अधिकारी या सेवा प्रदाता को घरेलू हिंसा की कोई पुख्ता जानकारी मिलती है तो ऐसी स्थिति में-
• तुरंत पुलिस मदद करती है।
• संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता के साथ घटनास्थल पर जाकर घरेलू हिंसा की घटना की रिपोर्ट तैयार करती है।
प्रश्न- यदि पीड़ित का पति अन्य शहर में काम करता है और पीड़ित अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा की रिपोर्ट दर्ज कराना चाहती है तो रिपोर्ट कहां दर्द हो सकती है?
उत्तर- मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में।
प्रश्न- पति पत्नी साथ रह रहे हो और यदि घरेलू हिंसा हो जाती है तो इसकी रिपोर्ट कहां दर्ज की जा सकती है?
उत्तर- प्रथम श्रेणी जुडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत में।
प्रश्न- यदि संरक्षण आदेश का पालन ठीक से नहीं किया जा रहा है तो शिकायत कहां करें?
उत्तर- संरक्षण अधिकारी को या पुलिस या मजिस्ट्रेट को संरक्षण आदेश की अनदेखी की शिकायत की जा सकती है| यह गैर जमानती अपराध होता है।
प्रश्न- क्या मजिस्ट्रेट आदेश प्राप्त करने में खर्चा होता है?
उत्तर- नहीं मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया गया हर आदेश मुक्त होता है या आदेश निम्नलिखित में से कोई भी ले सकता है-
• आवेदनकर्ता
• पुलिस स्टेशन का इंचार्ज
• सेवा प्रदाता
• उस सेवा प्रदाता को जिस ने रिपोर्ट दर्ज कराई है।
प्रश्न- क्या घरेलू हिंसा प्रक्रिया में 'समझाइश' भी प्रावधान है?
उत्तर- हां कार्यवाही प्रक्रिया के किसी भी चैनल पर मजिस्ट्रेट दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश कर सकता है।
प्रश्न- फैसला कितने दिन में होगा?
उत्तर- •आवेदन पत्र का फैसला मजिस्ट्रेट को सामान्य था 60 दिन के अंदर कर देना चाहिए।
• संरक्षण अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद आरोपी को सुनवाई की तारीख की सूचना 2 दिन के अंदर दे देता है।
• मामलों की सुनवाई बंद कमरे अथवा न्यायालय में भी की जा सकती है।
प्रश्न- अदालत आरोपी के खिलाफ वह पीड़ित महिला के पक्ष में क्या क्या निर्णय लेती है?
उत्तर- • अदालत द्वारा आरोपी को महिला से किसी भी प्रकार की हिंसा करने से, मिलने ,फोन करने और उसके कार्यस्थल पर जाने से रोका जा सकता है।
• यदि आरोपी को पीड़ित महिला का संयुक्त बैंक खाता है तो वह बिना मजिस्ट्रेट की आज्ञा के पैसा भी नहीं निकाल सकता है।
• पीड़ित महिला को घर से निकाला नहीं जा सकता और घर को न तो बेचा जा सकता है न ही किसी के नाम किया जा सकता है।
• अगर पीड़ित महिला उस घर में नहीं रहना चाहती तो अदालत आरोपी को उसके लिए अन्य मकान की व्यवस्था का आदेश दे सकती है| इसका सारा खर्च आरोपी को उठाना होगा।
• आरोपी पीड़ित महिला के इलाज का खर्चा भी उठाएगा और महिला को स्वयं वह बच्चों के भरण-पोषण का खर्चा भी देगा।
महिला यदि कामकाजी है और वह हिंसा के कारण कई दिनों तक काम पर नहीं जा पाई हो तो उन दिनों के आर्थिक नुकसान की भरपाई आरोपी को करनी होगी| अदालत मुआवजा देने का आदेश भी दे सकती हैं।
प्रश्न- घरेलू हिंसा के आरोपी को कितनी सजा या जुर्माना हो सकता है?
उत्तर- • अगर आरोपी धारा 31 संरक्षण आदेश या अंतरिम आदेश का उल्लंघन करता है और पीड़ित महिला के साथ फिर से हल्का करता है तो आरोपी को 1 साल की सजा ₹20000 जुर्माना या दोनों भी एक साथ भुगतने पड़ सकते हैं।
• अगर किसी पक्ष को अदालत का फैसला मंजूर नहीं है तो वह अदालत द्वारा दिए आदेश के 30 दिन के अंदर सेशन कोर्ट में अपील कर सकता है।
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