वाहन दुर्घटना होने पर मुआवजा कैसे लें

 वाहन दुर्घटना के अंतर्गत मुआवजा कैसे मिलता है? 

मोटर गाड़ियों से संबंधित कानून को अधिक कल्याणकारी और व्यापक बनाने के लिए मोटर यान अधिनियम 1988 बनाया गया है जो नया मोटर यान अधिनियम सड़क यातायात तकनीकी ज्ञान व्यक्ति तथा माल की यातायात सहूलियत के बारे में व्याख्या करता है। इसमें मोटर दुर्घटनाओं के लिए मुआवजा दिलाने की व्यवस्था है। इस कानून के अंतर्गत मोटरयान का तात्पर्य सड़क पर चलने योग्य बनाया गया प्रत्येक वाहन जैसे ट्रक,  बस, कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल, मोपेड, व सड़क कुटने का इंजन इत्यादि है। इनसे होने वाले प्रत्येक दुर्घटना को मोटर दुर्घटना मानी जाती है और इसके लिए मुआवजा दिलाया जाता है।

धारा 166 ( मोटरयान से दुर्घटना जब गलती मोटर वाले की हो ) 

यदि दुर्घटना मोटर के स्वामी या चालक की गलती से होती है तो उसके लिए प्रतिकार मांगने का आवेदन उस इलाका के दुर्घटना दावा अधिकरण जो कि जिला न्यायाधीश होता है को दिया जाता है। यह आवेदन जहां दुर्घटना होती है या जिस स्थान का आवेदक रहने वाला है या जहां प्रतिवादी रहता है उनमें से किसी भी अधिकरण के पास आवेदक के द्वारा आवेदन दायर किया जा सकता है।

आवेदन घायल व्यक्ति द्वारा स्वयं विधायक प्रतिनिधि या एजेंट द्वारा दिया जा सकता है। मृत्यु की दशा में मृतक का कोई विधिक प्रतिनिधि या उसका एजेंट आवेदन दे सकता है। यह आवेदन छापे फॉर्म पर दिया जाता है। अगर छपा फॉर्म उपलब्ध ना हो तो फोन की नकल सादे कागज पर करके आवेदन दिया जा सकता है। इस आवेदन में मोटर के मालिक व चालक को तो पक्षकार बनाया ही जाता है साथ ही बीमा कंपनी को भी पक्ष कार बनाना चाहिए क्योंकि कोई भी मोटर गाड़ी बीमा करवाए बिना नहीं चलाई जा सकती। मोटरयान कल स्वामी इस बात के लिए बाध्य है कि वह बीमा कंपनी का नाम बताएं। दवा अधिकारी मुकदमे की सुनवाई करता है जो कि प्राय संक्षिप्त होती है। दवा में यह साबित करना होता है कि- 

1. दुर्घटना उस मोटर गाड़ी से हुई।

2. मोटर वाले की गलती के कारण हुई।

3. दुर्घटना से क्या हानि हुई।

यदि दुर्घटना से व्यक्ति की मृत्यु होती है तो दावेदारों को यह भी साबित करना होता है कि मृत्यु के दावेदारों को उस व्यक्ति से क्या लाभ होता था व क्या लाभ भविष्य में होने की आशा थी। इसके आधार पर मुआवजे की राशि तय की जाती है, संपत्ति की हानि भी साबित करनी होगी व 6000 रुपये तक मुआवजा अधिकरण दे सकता है। अगर किसी वाहन की बीमा राशि में अतिरिक्त बढ़ोतरी व अश्मित नुकसान की जिम्मेदारी जमा कराया गया हो तो उस सूरत में बीमा कंपनी 6000 रुपये से अधिक रकम की संपत्ति नुकसान की भी भरपाई करने की जिम्मेदार होगी। अन्यथा इससे अधिक की राशि के लिए दीवानी दावा करना आवश्यक है। यदि किसी व्यक्ति को दुर्घटना से चोट लगती है तो उसके इलाज पर होने वाला खर्च काम ना कर पाने के कारण होने वाली हानि आदि के विषय में प्रतिकार को हर्जाना देना होगा। यदि कोई गंभीर चोट आती है जिसका स्थाई प्रभाव हो जैसे कि कोई लंगड़ा या का ना हो जाए तो उसे शेष जीवन उससे होने वाली असुविधा व हानि का भी प्रतिकार को हर्जाना देना होगा। राशि बीमा कंपनी द्वारा ही चुकाई जाती है। परंतु तात्पर्य यह नहीं कि वह मोटर वाले से वसूल नहीं की जा सकती है। राशि जितनी दिलाई जाए वह चाहे कंपनी चाहे माली की या फिर दोनों से ही दिलाई जा सकती है।

यह भी हो सकता है कि मोटर चालक या स्वामी का दोष साबित ना हो पाए। उस सूरत में चाहिए कि आवेदन में ही यह मांग भी की गई हो कि गलती ना होने पर मिलने वाले मुआवजा तो दिलाए ही जाए। इस प्रकार यदि मोटर वाले की गलती साबित हो तो पूरा अगर ना साबित हो तो नियम के अनुसार मुआवजा मिल जाएगा।

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