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Showing posts from March, 2020

संविधान के अनुच्छेद 19 में मूल अधिकार | Fundamental Right of Freedom in Article 19 of Constitution

प्रश्न- निम्नांकित पर संक्षिप्त टिप्पणियां लिखिए- 1. सम्मेलन का अधिकार 2. संगम या संग बनाने का अधिकार 3. संचरण (भ्रमण) का अधिकार 4. निवास करने और बस जाने का अधिकार 5. व्यापार या कारोबार करने का अधिकार Write short notes to the following- 1. right to assemble 2. Right to Forum Association or Union 3. right to move 4. right to reside and settle 5. Right to carry on any trade of business. List of 100+  Landmark Cases  of Supreme Court India   उत्तर (1) सम्मेलन का अधिकार- संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ख) के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्वक निरयुध सम्मेलन करने का मूल अधिकार प्रदान किया गया है। इसके अधीन प्रत्येक नागरिक सभा एवं सम्मेलन आयोजित करने तथा जुलूस आदि निकालने के लिए स्वतंत्र है। वस्तुतः यह अधिकार भी वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से मिलता-जुलता है। लेकिन यहां यह उल्लेखनीय है कि सम्मेलन की स्वतंत्रता का अधिकार भी अबाध अर्थात निरपेक्षत नहीं है विधि पूर्ण सम्मेलन के लिए दो बातें आवश्यक है क. यह शांतिपूर्वक होना चाहिए। यानी पीसफुली

अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 के संरक्षण

प्रश्न- अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 के अंतर्गत प्रदत संरक्षण की विवेचना कीजिये? उत्तर- संविधान के अनुच्छेद 20 के अंतर्गत अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबंध में अभियुक्त को मुख्य रूप से तीन संरक्षण प्रदान किए गए हैं- 1. कार्योत्तर विधियों से संरक्षण 2. दोहरे दंड से संरक्षण 3. स्व- अभिशंसन से संरक्षण List of 100+  Landmark Cases  of Supreme Court India   1. कार्योत्तर विधियों से संरक्षण- संविधान के अनुच्छेद 20 में यह कहा गया है कि कोई व्यक्ति अपराध के लिए तब तक सिद्ध दोष नहीं ठहराया जाएगा जब तक कि उसने ऐसा कुछ करने के समय जो अपराध के रूप में आरोपित है किसी प्रकृत विधि का अतिक्रमण नहीं किया है या उससे अधिक शास्ति का भागी नहीं होगा जो उस अपराध के लिए किए जाने के समय प्रवृत्त विधि के अधीन अधिरोपित की जा सकती थी। अभिप्राय यह हुआ कि किसी भी व्यक्ति को केवल ऐसे कार्य के लिए दंडित किया जा सकता है जो उसे किए जाने के समय प्रवृत्त  किसी विधि के अधीन दंडनीय अपराध हो। यदि कार्य के लिए किए जाने के समय वह किसी विधि के अधीन दंडनीय अपराध नहीं है

प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता | protection of life and personal liberty in Article 21 of Constitution

प्रश्न - संविधान के अंतर्गत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता की संरक्षण की विवेचना कीजिए क्या इसमें जीविका का अधिकार भी शामिल है? Discuss the protection of the life and personal liberty under the constitution? does it include the right to livelihood also?                                  अथवा भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण के लिए किए गए उपबंधों की विवेचना कीजिए? क्या इस स्वतंत्रता के संरक्षण में जीविकोपार्जन का अधिकार भी सम्मिलित है? अपने उत्तर में निर्णित वादों की सहायता से स्पष्ट कीजिए? discuss the protection of the life and personal liberty as contained in article 21 of the Constitution of India? does it include the right to livelihood also? explain with the the help of decided cases?                                 अथवा स्वच्छ सुनवाई आज अनुच्छेद 21 का प्रमाणिक चिन्ह है। स्वच्छ सुनवाई से संबंधित निर्णित वादों का उल्लेख कीजिए? Fair trial is the hall mark of article 21  refer decided cases dealing with fair trial?            

जीविकोपार्जन का अधिकार | Right to Livelihood

जीविकोपार्जन का  अधिकार- यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या जीविकोपार्जन का  अधिकार (right to livelihood) अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार में सम्मिलित हैं? यद्यपि अनुच्छेद 21 में इसका स्पष्ट एवं अभिव्यक्त रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन शीर्षस्थ न्यायालय के न्यायिक निर्णयों में अब यह माना जाने लगा है कि जीविकोपार्जन का अधिकार अनुच्छेद 21 में सम्मिलित है। कंजूमर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (ए आई आर 1995 एससीआर 1995 एस सी 922) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा आजीविका के बेहतर साधन उपलब्ध कराने को अनुच्छेद 21 का एक अंग माना गया है सौदान सिंह बनाम नगर निगम नई दिल्ली (ए आई आर 1989 एससी 1988) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने आजीविका उपार्जन के अधिकार को यद्यपि स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मूल अधिकार नहीं माना है लेकिन अनुच्छेद 19 (1) (छ) के अंतर्गत इसे मूल अधिकार मानते हुए यह अवश्य कहा गया है कि यदि फुटपाथोंह एवं सड़कों पर आवागमन में व्यवधान पैदा किए बिना तथा शांति एवं व्यवस्था बनाए रखते हुए यदि कोई व्यक्ति अपनी आजीविका कमात

भारत का संविधान निरंकुश बंदीकरण एवं निरोध के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है

प्रश्न- "भारत का संविधान निरंकुश बंदीकरण एवं निरोध के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है।" विवेचना कीजिए। ( "the constitution of India provide protection against arbitrary arrest and detention."discuss. ) उत्तर- संविधान के अनुच्छेद 22 में व्यक्तियों की गिरफ्तारी एवं निरोध के संरक्षण के बारे में प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 22 दो प्रकार के संरक्षण प्रदान करता है- 1. सामान्य गिरफ्तारी के बारे में संरक्षण, तथा 2. निवारक निरोध विधियों के अधीन निरोध से संरक्षण (1) सामान्य गिरफ्तारी के बारे में संरक्षण- अनुच्छेद 22(1) व (2) में सामान्य गिरफ्तारी के बारे में संरक्षण की व्यवस्था की गई है इसके अनुसार- " किसी भी व्यक्ति को जो गिरफ्तार किया गया है ऐसी गिरफ्तारी के कारणों से यथा शीघ्र अवगत कराए बिना अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा तथा अपनी रुचि के विधि व्यवसायी से परामर्श करने और प्रतिरक्षा कराने के अधिकार से वंचित नहीं रखा जायेगा; प्रत्येक व्यक्ति को, जो गिरफ्तार किया गया है और अभिरक्षा में निरुद्ध रखा गया है, गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्

संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख | Characteristics of the Constitution of India

भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। Explain the various characteristics of the Constitution of India? भारत का संविधान एक पवित्र दस्तावेज है इसमें विश्व के प्रमुख संविधान ओं की विशेषताएं समाहित हैं यह संविधान निर्मात्री सभा के 2 वर्ष 11 माह 18 दिन के सतत प्रयत्न, अध्ययन विचार, विमर्श चिंतन एवं परिश्रम का निचोड़ है इसे 26 जनवरी 1950 को संपूर्ण भारत पर लागू किया गया। List of 100+  Landmark Cases  of Supreme Court India   भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताएं निम्नांकित हैं- 1. विशालतम संविधान- सामान्यतया संविधान का आकार अत्यंत छोटा होता है संविधान में मोटी मोटी बातों का उल्लेख कर दिया जाता है और अन्य बातें  अर्थान्वयन के लिए छोड़ दी जाती हैं लेकिन भारत का संविधान इसका अपवाद है भारत के संविधान का आकार ने तो अत्यधिक छोटा रखा गया है और ना ही अत्यधिक बड़ा हमने सभी आवश्यक बातें समाहित करते हुए संतुलित आकार का रखा है। संविधान के मूल प्रारूप में 22 भाग 395 अनुच्छेद तथा 9 अनुसूचियां थी कालांतर में संशोधनों के साथ साथ इनमें अभिवृद्धि होती गई। सर आई जेनिंग्स के शब्दों म

समान कार्य के लिए समान वेतन की अवधारणा | Concept of equal pay for equal work

प्रश्न - समान कार्य के लिए समान वेतन की अवधारणा को समझाइए? Explain the concept of equal pay for equal work उत्तर-- संविधान के अनुच्छेद 39 घ में यह प्रावधान किया गया है कि पुरुषों एवं स्त्रियों का समान कार्य के लिए समान वेतन हो अभिप्राय हुआ कि समान कार्य के लिए पुरुष एवं स्त्रियों के वेतन में भिन्नता अर्थात भेदभाव नहीं होना चाहिए। उत्तराखंड महिला कल्याण परिषद बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश (ए. आई. आर. 1992 एस. सी. 1965) के मामले में ऐसे विभेद को असंवैधानिक माना गया है समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग के लिए आवश्यक है कि सेवा करने वाला व्यक्ति अपेक्षित योग्यता धारण करता है( स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड बनाम दिव्य इंदु भट्टाचार्य ए. आई. आर. 2011 एस. सी. 897) List of 100+  Landmark Cases  of Supreme Court India  

राष्ट्रपति के अध्यादेश की शक्ति | Power of President to issue Ordinance

प्रश्न - भारत के राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्ति को स्पष्ट कीजिए? Explain the power of the President to issue the ordinance? उत्तर-- संविधान के अनुच्छेद 123 के अंतर्गत राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की महत्वपूर्ण शक्ति प्रदान की गई है ऐसे अध्यादेश का वही प्रभाव होता है जो किसी विधि या अधिनियम का होता है (ए. के. राय बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया 1982)  अनुच्छेद 123 के अनुसार उस समय को छोड़कर जब संसद के दोनों सदन सत्र में है यदि किसी समय राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं जिनके कारण तुरंत कार्यवाही करना उसके लिए आवश्यक हो गया है तो वह ऐसा अध्यादेश  प्रख्यापित कर सकेगा जो उसे उन परिस्थितियों में अपेक्षित प्रतीत हो। ऐसा अध्यादेश संसद के दोनों सदनों के समक्ष अनुमोदन के लिए रखा जाएगा।

न्यायिक सक्रियता क्या है | Judicial Activism

प्रश्न - न्यायिक सक्रियता क्या है? What is Judicial Activism? उत्तर-- उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों को नागरिकों के मूल अधिकारों का सजग प्रहरी एवं संविधान का संरक्षक कहा गया है अब प्रत्येक व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रवर्तन के लिए न्यायालय में दस्तक दे सकता है निर्धनता उसके न्याय के मार्ग में बाधक नहीं हो सकती संविधान और विधियों में निर्धन व्यक्तियों के लिए निशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था की गई है लोकहित वाद एवं पत्रों में समाचार पत्रों की कतरनों के आधार पर भी अब न्याय उपलब्ध कराया जाने लगा है। उल्लेखनीय है कि अब तो जनहित के अनेक मामलों में न्यायालय विधायिका एवं कार्यपालिका के कार्यक्षेत्र में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं यही न्यायिक सक्रियता है।

दोहरे दंड से क्या अभिप्राय है | Double Jeopardy Meaning

प्रश्न - दोहरे दंड से क्या अभिप्राय है? What do you understand by double Jeopardy? उत्तर-- संविधान का अनुच्छेद 20(2) यह उपबंधित करता है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए 1 बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जायेगा।  यह व्यवस्था आंगल विधि के सिद्धांत पर आधारित है जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार अभियोजित या दंडित नहीं किया जा सकता इसका मुख्य उद्देश्य है व्यक्तियों की अभियोजन की अनिश्चितता से रक्षा करना है। सुबह सिंह बनाम दविंदर कौर (ए. आई. आर. 2011 एस. सी. 3163) के मामले में अभियुक्त को मृतक की हत्या के लिए दोष सिद्ध किया गया मृतक की पत्नी ने अभियुक्त के विरुद्ध प्रतिकर का सिविल वाद पेश किया अभियुक्त ने दोहरे खतरे के सिद्धांत का बचाव लिया उच्चतम न्यायालय ने इसे नकारते हुए कहा कि सिविल नीति पूर्ति की कार्यवाही अभियोजन नहीं है और क्षतिपूर्ति की डिग्री सजा नहीं है। कलावती बनाम स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेश (ए. आई. आर. 1953 एस. सी. 131) के मामले में इस सिद्धांत की प्रयोज्यता के लिए तीन बातें आवश्यक बताई गई है- 1. व्यक्ति का अभियुक्त होना 2. अभियोजन

शिक्षा का अधिकार | Right to Education

प्रश्न-- शिक्षा का अधिकार क्या है? what is right to education? उत्तर-- संविधान के अनुच्छेद 21- क में यह प्रावधान किया गया है कि - "राज्य 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा इस प्रकार प्रदान करेगा जिस प्रकार से राज्य विधि के अधीन निर्धारित करें।" इस प्रकार संविधान (86 वा संशोधन) अधिनियम 2012 द्वारा अनुच्छेद 21-क अंतः स्थापित कर 6 से 14 वर्ष की आयु तक के बालकों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है। अनिल पंजाब राव नहाटे बनाम स्टेट महाराष्ट्र( ए. आई. आर. 2011 एस. ओ. सी. 109 बंबई ) के मामले में शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार माना गया है।

अनुच्छेद 13 के अंतर्गत प्रयुक्त शब्द विधि | Meaning of Word Law in Article 13

प्रश्न - - संविधान के अनुच्छेद 13 के अंतर्गत प्रयुक्त शब्द विधि में क्या सम्मिलित है? What is the included in the word Law as embodied in the the article 13 of the Constitution? उत्तर-- संविधान के अनुच्छेद 13 में प्रयुक्त शब्द विधि में भारत के राज्य क्षेत्र में विधि का बल रखने वाला कोई अध्यादेश, आदेश, उपविधि, नियम, विनियम, अधिसूचना, रूढ़ि या प्रथा सम्मिलित है। दशरथ रामाराव बनाम स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश (ए. आई. आर. 1961 एस. सी. 564) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि विधि का बल रखने वाली रूढ़ियों एवं प्रथाएं भी विधि में सम्मिलित हैं इसलिए यह मूल अधिकारों से असंगत नहीं हो सकती।

आच्छादन का सिद्धांत | Doctrine of Eclipse

प्रश्न-- आच्छादन के सिद्धांत को समझाइए? Explain the doctrine of eclipse. उत्तर-- संविधान के अनुच्छेद 13 (1) के अनुसार संविधान से पहले बनी ऐसी विधियां उस सीमा तक अवैध होती हैं जिस सीमा तक वे मूल अधिकारों से असंगत होती है ऐसी विधियां आरंभ से ही शुन्य अथवा अवैध नहीं होती अपितु वे मूल अधिकारों द्वारा आच्छादित हो जाती है ऐसी विधियां मृत प्राय नहीं होकर सुषुप्त अवस्था में रहती है और भविष्य में किसी संशोधन द्वारा आच्छादन हट जाने से वे पुनः पुनर्जीवित हो सकती हैं यह आच्छादन का सिद्धांत है। भीकाजी बनाम स्टेट ऑफ़ मध्य प्रदेश( ए. आई. आर. 19955 एस. सी. 781)  के मामले में इस सिद्धांत का सुंदर प्रतिपादन किया गया है।

पृथक्करणीयता का सिद्धांत | Doctrine of Severability

प्रश्न - पृथक्करणीयता का सिद्धांत क्या है? what is the the doctrine of severability? उत्तर-- जब किसी संविधि या अधिनियम के ऐसे भागों को जो अवैध या संविधान के  उपबंधों से असंगत हो, वैध भागों से, विधानमंडल के आशय या अधिनियम के उद्देश्यों को समाप्त किए बिना अलग किए जा सकते हो तब उसे पृथक्करणीयता का सिद्धांत कहा जाता है इस सिद्धांत के अनुसार अधिनियम के वैध भागों को प्रवर्तित कर दिया जाता है और अवैध भाग अप्रवर्तनीय छोड़ दिए जाते हैं। स्टेट ऑफ  बंबई बनाम एफ. एन. बलसारा (ए. आई. आर. 1951 एस. सी. 318) के मामले में यह कहा गया है कि बंबई प्रोहिबिशन एक्ट 1949 के कुछ भाग संवैधानिक उपबंधों से असंगत होने के कारण अपरिवर्तनीय है और शेष प्रवर्तनीय इन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है।

न्यायिक पुनर्विलोकन | Judicial review

प्रश्न - - न्यायिक पुनर्विलोकन से आप क्या समझते हैं? what do you you understand buy Judicial review? उत्तर--  न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति न्यायालयों की एक महत्वपूर्ण शक्ति है। प्रोफेसर कार्विन के अनुसार न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति न्यायालयों की वह शक्ति है जिसके माध्यम से वे विधायका द्वारा पारित विधियों, संविधियों एवं अधिनियम की संवैधानिकता का परीक्षण करते हैं न्यायालय द्वारा ऐसी किसी भी विधि के प्रवर्तन  से इनकार किया जा सकता है जो संविधान के उपबंधों से  असंगत है। न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति न्यायालयों की साधारण अधिकारिता के अंतर्गत आती है वस्तुतः यह विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका की शक्तियों के प्रयोग पर नियंत्रण रखने की एक अहम शक्ति है। Meaning of Judicial Review in Hindi

संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य | State in Article 12 of Constitution

प्रश्न - संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य शब्द से क्या अभिप्राय है? उत्तर- संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य शब्द में निम्नांकित सम्मिलित है-- क. भारत की सरकार एवं संसद ख.  राज्य सरकार और विधानमंडल ग. भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी अस्थानीय प्राधिकारी घ.  अन्य प्राधिकारी मैसूर पेपर मिल्स बनाम मैसूर पेपर मिल्स ऑफिसर्स एसोसिएशन( ए. आई. आर. 2002 एस. सी. 609) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि सभी प्राधिकारी का राज्य की परिभाषा में आना इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी शक्तियों के संचालन  अथवा प्रशासन का वास्तविक स्त्रोत क्या है। श्रीमती सतिम्बला शर्मा बनाम सैट पोल सीनियर सेकेंडरी स्कूल (ए. आई. आर. 2011 एस. सी. 2926) के मामले में गैर सहायता प्राप्त निजी अल्पसंख्यक  विद्यालयों को उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्य नहीं माना गया है इन विद्यालयों के कर्मचारी सरकारी विद्यालयों की कर्मचारियों के समकक्ष वेतन पाने की मांग नहीं कर सकते। Meaning of State in Article 12 of Constitution in Hindi List of 100+

अधिवास द्वारा नागरिकता कैसे अर्जित की जा सकती है | Citizenship by Domicile in India

प्रश्न - अधिवास द्वारा नागरिकता कैसे अर्जित की जा सकती है? उत्तर-- अधिवास नागरिकता अर्जित करने का एक माध्यम है। संविधान के अनुच्छेद 5 में यह कहा गया है कि इस संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका भारत राज्य क्षेत्र में  अभियात है और 1. जो भारत के राज्य क्षेत्र में जन्मा था 2.जिसके माता या पिता में से कोई भारत के राज्य क्षेत्र में जन्मा था 3.जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम से कम 5 वर्ष तक भारत के राज्य क्षेत्र में मामूली तौर पर निवासी रहा है भारत का नागरिक होगा। अधिवास से अभिप्राय ऐसे स्थाई घर या स्थान से है जहां व्यक्ति का स्थाई रूप से तथा अनिश्चितकाल तक निवास करने का आशय है ।।(प्रदीप जैन बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया ए. आई. आर .1984 एस.सी. 1420 ) व्यक्ति का अधिवास केवल तभी कहा जा सकता है जब उसका जन्म हो गया हो (नगीना देवी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया ए. आई. आर. 2010 पटना 117) Citizenship by Domicile in India in Hindi

भारतीय संविधान के एकात्मक स्वरूप को इंगित कीजिए | Unitary Feature of Indian Constitution

प्रश्न-- भारतीय संविधान के एकात्मक स्वरूप को इंगित कीजिए उत्तर-- भारतीय संविधान के निम्नांकित लक्ष्य उसके एकात्मक स्वरूप को इंगित करते हैं 1.एकल नागरिकता 2. राष्ट्रपति द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति 3. राज्यपाल द्वारा कुछ मामलों में अपनी विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग किया जाना 4. कुछ विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजा जाना 5. राष्ट्रहित में राज्य सूची में के विषयों पर संसद द्वारा विधियों का निर्माण किया जाना 6. आपात की उद्घोषणा 7. संसद द्वारा नए राज्यों का सृजन तथा वर्तमान राज्यों की सीमा, क्षेत्रों एवं नामों में परिवर्तन किया जाना 8. उच्चतम एवं उच्च न्यायालय  के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाना तथा उच्चतम न्यायालय का देश का शीर्षस्थ न्यायालय होना 9. अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं का सृजन आदि। Unitary Feature of Indian Constitution in Hindi

संघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व क्या हैं | Important Features of Federal Constitution

प्रश्न-- किसी संघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व क्या हैं? उत्तर-- संघात्मक संविधान के निम्नांकित आवश्यक तत्व माने गए हैं- 1. संघात्मक संविधान सदैव लिखित में होता है 2.संविधान सर्वोपरि अर्थात सर्वोच्च होता है 3.इसमें केंद्रीय एवं प्रांतीय सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन रहता है 4.संविधान देशकाल एवं परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनीय होता है 5.न्यायपालिका का स्वतंत्र अस्तित्व बना रहता है। Important Features of Federal Constitution - Written Constitution, Superamcy of Constitution, Distribution of Legislative Powers, Amendability of Constitution and Independence of Judiciary.

क्या संविधान की प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है | Amendment in Preamble of Constitution

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प्रश्न--  क्या संविधान की प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है? उत्तर- प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न भाग है केशवानंद भारती बनाम स्टेट ऑफ़ केरल(ए. आई. आर. 1973 एस. सी. 1461)के मामले में दिए गए निर्णय के अनुसार इसमें संशोधन तो किया जा सकता है लेकिन ऐसा संशोधन नहीं जिससे संविधान के आधारभूत ढांचे को क्षति पहुंचे। संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी, पंथ निरपेक्ष ,लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना संविधान का आधारभूत ढांचा परिलक्षित करता है, इसलिए इसमें कोई संशोधन नहीं किया जा सकता।   Amendment in Preamble of Constitution as per Landmark Judgment of Kesavananda Bharti vs State of Kerala

संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है | Importance of Preamble

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प्रश्न - संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? उत्तर संविधान की प्रस्तावना उसकी कुंजी है इसमें संविधान के निर्वाचन में सहायता मिलती है इसे साथ ही निम्नांकित विशेषताओं के कारण भी संविधान की प्रस्तावना का महत्वपूर्ण स्थान है। 1.यह संविधान के स्त्रोत पर प्रकाश डालती है 2.यह संविधान के उद्देश्यों को परिलक्षित करती है 3. यह संविधान के प्रवर्तन की तिथि बताती है 4.यह संविधान की व्याख्या में सहायक होती है। List of 100+  Landmark Cases  of Supreme Court India   Importance of Preamble of Indian Constitution Recently a Petition was filled in Supreme Court challenging some words of Preamble of Indian Constitution. Supreme Court of India is going to hear the writ petition soon. It is about the words Secularism and Socialist in Preamble which were added through 42nd Constitutional Amendment.

भारत के संविधान की प्रस्तावना क्या है?

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प्रश्न - भारत के संविधान की प्रस्तावना क्या है? उत्तर- भारत के संविधान की प्रस्तावना इस प्रकार है- हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई( मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मर्पित करते हैं। What is the text of Preamble of Constitution of India

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किन उद्देश्यों का समावेश है

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प्रश्न-भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किन उद्देश्यों का समावेश है उत्तर- भारत के संविधान की प्रस्तावना में निम्नांकित उद्देश्यों को समाहित किया गया है- 1. सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय उपलब्ध कराना। 2. विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रदान करना 3. प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराना 4. व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता में अभिवृद्धि करना। Ideals included in Preamble of Indian Constitution i.e. Social, Political and Economical Justice. Freedoms of various kinds Liberty, Fraternity and Equality Individual Dignity Soverignty and National Integrity