दंगा फसाद तथा झगड़ा करना

क्या दंगा फसाद तथा झगड़ा करना अपराध है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 141,143 से 148 तक, 153- ए

जब 5 या 5 से अधिक लोग दंगा फसाद करने के उद्देश्य से इकट्ठे होते हैं तो यह अपराध होता है। इससे समाज में अशांति फैलती है। अपराध उस समय और भी गंभीर हो जाता है जब यह लोग खतरनाक हथियार रखते हैं। और तोड़फोड़ ,आगजनी ,मारपीट, लूटपाट तथा हत्या कर देते हैं। दंगा संप्रदायिक भी हो सकता है। किन्हीं दो गुटों में भी हो सकता है।

सरकार तथा न्यायालय के किसी आदेश को लागू करने में बाधा डालना भी इस अपराध के अंतर्गत आता है।

उदाहरण

1.सुरेंद्र अपने 5 साथियों के साथ एकत्रित होकर एक सार्वजनिक रास्ता रोककर खड़ा हो जाता है और लोगों को आने जाने नहीं देता। जो लोग आने जाने का प्रयास करते हैं उन्हें मारपीट कर भगा देता है| सुरेंद्र तथा उसके साथियों ने दंगा फसाद करने का अपराध किया है।

2. 5 लोग एक धार्मिक स्थान पर जाकर उस स्थान का अपमान करते हैं। उस धर्म के अनुयाई उत्तेजित हो जाते हैं तथा वे दूसरे धर्मों के लोगों पर आक्रमण कर देते हैं| वे पांचों लोग दंगा कराने के अपराधी है।

दंड का प्रावधान

अपराध की गंभीरता को देखते हुए अपराधी को 6 महीने से लेकर 3 साल तक का कारावास हो सकता है।

यदि किसी धार्मिक स्थल को लेकर दंगा किया जाए तो अपराधियों को 2 वर्ष का कारावास,  जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

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