Section 56 Contract Act 1872
Section 56 Contract Act 1872 in Hindi and English
Section 56 Contract Act 1872 :Agreement to do impossible act - An agreement to do an act impossible in itself is void.
Contract to do act afterwards becoming impossible or unlawful — A contract to do an act which, after the contract is made, becomes impossible, or, by reason of some event which the promisor could not prevent, unlawful, becomes void when the act becomes impossible or unlawful.
Compensation for loss through non-performance of act known to be impossible or unlawful - Where one person has promised to do something which he knew, or, with reasonable diligence, might have known, and which the promisee did not know, to be impossible or unlawful, such promisor must make compensation to such promisee for any loss which such promisee sustains through the non-performance of the promise.
Illustrations
(a) A agrees with B to discover treasure by magic. The agreement is void.
(b) A and B contract to marry each other. Before the time fixed for the marriage, A goes mad. The contract becomes void.
(C) A contract to marry B, being already married to C, and being forbidden by the law to which he is subject to practise polygamy. A must make compensation to B for the loss caused to her by the non-performance of his promise
(d) A contract to take in cargo for B at a foreign port. A's Government afterwards declares war against the country in which the port is situated. The contract becomes void when war is declared.
(e) A contract to act at a theatre for six months in consideration of a sum paid in advance by B. On several occasions A is too ill to act. The contract to act on those occasions becomes void.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 56 of Contract Act 1872 :
Documents citing Section 56 in The Indian Contract Act, 1872
National Agricultura vs Alimenta S.A. on 22 April, 2020
Satyabrata Ghose vs Mugneeram Bangur & Co., And on 16 November, 1953
Sushila Devi And Anr vs Hari Singh And Ors on 5 May, 1971
Boothalinga Agencies vs V. T. C. Poriaswami Nadar on 22 April, 1968
Raja Dhruv Dev Chand vs Harmohinder Singh & Anr on 1 March, 1968
Govindbhai Gordhanbhai Patel & vs Gulam Abbas Mulla Allibhai & Ors on 17 December, 1976
Mary vs State Of Kerala & Ors on 22 October, 2013
Dda vs M/S Kenneth Builders Developers on 29 June, 2016
South East Asia Marine vs Oil India Limited on 11 May, 2020
Bombay Dyeing &Manufacturing; vs The State Of Bombay And Others on 20 December, 1957
भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 56 का विवरण : - असम्भव कार्य करने का करार -- वह करार, जो ऐसा कार्य करने के लिए हो, जो स्वतः असम्भव है, शून्य है।
उस कार्य को करने की संविदा जो तत्पश्चात् असम्भव या विधिविरुद्ध हो जाए -- ऐसा कार्य करने की संविदा, जो संविदा के किए जाने के पश्चात् असम्भव या किसी घटना के कारण जिसका निवारण वचनदाता नहीं कर सकता था, विधिविरुद्ध हो जाए, तब शून्य हो जाती है जब वह कार्य असम्भव या विधिविरुद्ध हो जाए।
ऐसे कार्य के अपालन से हुई हानि के लिए प्रतिकर जिसका असम्भव या विधिविरुद्ध होना ज्ञात हो -- जहाँ कि एक व्यक्ति ने ऐसी कोई बात करने का वचन दिया हो जिसका असम्भव या विधिविरुद्ध होना वह जानता था या युक्तियुक्त तत्परता से जान सकता था और वचनग्रहीता नहीं जानता था, वहाँ जो कोई हानि ऐसे वचनग्रहीता को उस वचन के अपालन से हो, उसके लिए ऐसा वचनदाता ऐसे वचनग्रहीता को प्रतिकर देगा।
दृष्टान्त
(क) जादू से गुप्तनिधि का पता चलाने का 'ख' से 'क' करार करता है। यह करार शून्य है।
(ख) 'क' और 'ख' आपस में विवाह करने की संविदा करते हैं; विवाह के लिए नियत समय से पूर्व ‘क’ पागल हो जाता है। संविदा शून्य हो जाती है।
(ग) 'क', जो पहले से ही '' से विवाहित है और जिसके लिए बहुपत्नीत्व उस विधि द्वारा, जिसके वह अध्यधीन है, निषिद्ध है, 'ख' से विवाह करने की संविदा करता है। उसके वचन के अपालन से ‘ख’ को हुई हानि के लिए 'क' को उसे प्रतिकर देना होगा।
(घ), 'क' संविदा करता है कि वह एक विदेशी पत्तन पर 'ख' के लिए स्थोरा भरेगा। तत्पश्चात् 'क' की सरकार उस देश के विरुद्ध, जिसमें वह पत्तन स्थित है, युद्ध की घोषणा कर देती है। संविदा तब शून्य हो जाती है जब युद्ध
घोषित किया जाता है।
(ङ) 'ख' द्वारा अग्रिम दी गई राशि के प्रतिफल पर 'क' छह मास के लिए एक नाट्यगृह में अभिनय करने की संविदा
करता है। अनेक अवसरों पर 'क' बहुत बीमार होने के कारण अभिनय नहीं कर सकता। उन अवसरों पर अभिनय करने की संविदा शून्य हो जाती है।
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