Section 35 Negotiable Instruments Act, 1881
Section 35 Negotiable Instruments Act, 1881 in Hindi and English
Section 35 Negotiable Instruments Act, 1881 :In the absence of a contract to the contrary, whoever indorses and delivers a negotiable instrument before maturity, without, in such indorsement, expressly excluding or making conditional his own liability, is bound thereby to every subsequent holder, in case of dishonour by the drawee, acceptor or maker, to compensate such holder for any loss or damage caused to him by such dishonour, provided due notice of dishonour has been given to, or received by, such indorser as hereinafter provided
Every indorser after dishonour is liable as upon an instrument payable on demand.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 35 of Negotiable Instruments Act, 1881 :
P. Mohanraj vs M/S. Shah Brothers Ispat Pvt. Ltd. on 1 March, 2021
परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 35 का विवरण : - तत्प्रतिकूल संविदा न हो तो जो कोई किसी परक्राम्य लिखत की परिपक्वता से पूर्व उसे पृष्ठांकित और परिदत्त ऐसे पृष्ठांकन में अपने स्वयं के दायित्व को अभिव्यक्ततः अपवर्जित या सशर्त किए बिना करता है वह तद्द्वारा उस दशा में, जिसमें ऊपरवाल, प्रतिगृहीता या रचयिता द्वारा उसे अनादृत किया जाए, हर एक पश्चात्वर्ती धारक के प्रति ऐसी हानि या नुकसान के लिए, जो ऐसे अनादर से उसे हुआ है, प्रतिकर देने के लिए आबद्ध है, परन्तु यह तब जब कि अनादर की सम्यक् सूचना ऐसे पृष्ठांकक को एतस्मिन् पश्चात् उपबंधित रूप में दे दी गई हो या प्राप्त हो गई हो।
हर पृष्ठांकक अनादर के पश्चात् वैसे ही दायी है जैसे वह माँग पर देय लिखत पर दायी होता है।
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