Section 33 The Arms Act, 195
Section 33 The Arms Act, 1959 in Hindi and English
Section 33 The Arms Act, 1959:(1) Whenever an offence under this Act has been committed by a company, every person who at the time the offence was committed was in charge of, or was responsible to the company for the conduct of, the business of the company, as well as the company, shall be deemed to be guilty of the offence and shall be liable to be proceeded against and punished accordingly:
Provided that nothing contained in this sub-section shall render any such person liable to any punishment under this Act if he proves that the offence was committed without his knowledge and that he exercised all due diligence to prevent the commission of such offence.
(2) Notwithstanding anything contained in sub-section (1), where an offence under this Act has been committed by a company and it is proved that the offence has been committed with the consent or connivance of, or is attributable to any neglect on the part of, any director, manager, secretary or other officer of the company, such director, manager, secretary or other officer shall also be deemed to be guilty of that offence and shall be liable to be proceeded against and punished accordingly.
Explanation.― For the purposes of this section,―
(a) “company” means any body corporate, and includes a firm or other association of individuals; and
(b) “director”, in relation to a firm, means a partner in the firm.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 33 of The Arms Act, 1959 :
Nirmal Singh vs State Of Haryana on 30 March, 2000
Jaswant Singh vs State Of Haryana on 4 April, 2000
State Of Rajasthan vs Manoj Kumar on 11 April, 2014
State Of Rajasthan vs Manoj Kumar on 11 April, 1947
In The Matter Of Nirmal Singh vs State Of Haryana on 30 March, 2000
The State Rep. By Inspector Of vs Mariya Anton Vijay on 1 July, 2015
आयुध अधिनियम, 1959 की धारा 33 का विवरण : - (1) जब कभी भी इस अधिनियम के अधीनअपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया हो तब वह कम्पनी और साथ ही हर व्यक्ति, जो अपराध किए जाने के समय उस कम्पनी का भारसाधक था या उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिए कम्पनी के प्रति उत्तरदायी था उस अपराध के दोषी समझे जाएंगे और अपने विरुद्ध कार्यवाही की जाने और तद्नुसार दण्डित किए जाने के दायित्व के अधीन होंगे :
परन्तु यदि वह व्यक्ति यह साबित कर दे कि वह अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था और ऐसे अपराध का किया जाना निवारित करने के लिए उसने समस्त सम्यक् तत्परता प्रयुक्त की थी तो इस उपधारा में अन्तर्विष्ट कोई बात ऐसे किसी व्यक्ति को इस अधिनियम के अधीन किसी दण्ड के दायित्व के अधीन नहीं बनाएगी ।
(2) उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी जहां कि इस अधिनियम के अधीन अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया हो और यह साबित कर दिया जाए कि वह अपराध उस कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य आफिसर की सम्मति या मौनानुकूलता से किया गया है या वह कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य आफिसर की किसी उपेक्षा के कारण हुआ माना जा सकता है वहां ऐसा निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य आफिसर भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और अपने विरुद्ध कार्यवाही की जाने पर तद्नुसार दण्डित किए जाने के दायित्व के अधीन होगा ।
स्पष्टीकरण - इस धारा के प्रयोजनों के लिए -
(क) “कम्पनी” से कोई भी निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम आता है ; और
(ख) फर्म के संबंध में “निदेशक” से फर्म का भागीदार अभिप्रेत है ।
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