Section 22 The Arms Act, 1959
Section 22 The Arms Act, 1959 in Hindi and English
Section 22 The Arms Act, 1959:
(1) Whenever any magistrate has reason to believe—
(a) that any person residing within the local limits of his jurisdiction has in his possession any arms or ammunition for any unlawful purpose, or
(b) that such person cannot be left in the possession of any arms or ammunition without danger to the public peace or safety,
the magistrate may, after having recorded the reasons for his belief, cause a search to be made of the house or premises occupied by such person or in which the magistrate has reason to believe that such arms or ammunition are or is to be found and may have such arms or ammunition, if any, seized and detain the same in safe custody for such period as he thinks necessary, although that person may be entitled by virtue of this Act or any other law for the time being in force to have the same in his possession.
(2) Every search under this section shall be conducted by or in the presence of a magistrate or by or in the presence of some officer specially empowered in this behalf by the Central Government.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 22 of The Arms Act, 1959 :
Raj Kumar Singh vs State Of Bihar & Ors on 26 September, 1986
Maqbool @ Zubir @ Shahnawaz & Anr vs State Of A.P on 8 July, 2010
आयुध अधिनियम, 1959 की धारा 22 का विवरण : - जब कभी किसी मजिस्ट्रेट के पास यह विश्वास करने का कारण हो कि--
(क) उसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर निवास करने वाले किसी भी व्यक्ति के कब्जे में कोई आयुध या गोलाबारूद किसी विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए है ; अथवा
(ख) कोई आयुध या गोलाबारूद लोक शान्ति या क्षेम की खतरे में डाले बिना ऐसे व्यक्ति के कब्जे में नहीं छोड़े जा सकते, तो वह मजिस्ट्रेट, अपने विश्वास के कारणों को अभिलिखित करने के पश्चात् उस गृह या परिसर की तलाशी करा सकेगा जिस पर ऐसे व्यक्ति का अधिभोग हो या जिसकी बाबत मजिस्ट्रेट के पास यह विश्वास करने का कारण हो कि ऐसा आयुध या गोलाबरूद वहां पाया जाएगा और ऐसे आयुध या गोलाबारूद को, यदि कोई हो, अभिगृहीत करा सकेगा और इतनी कालावधि के लिए जितनी वह ठीक समझे सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध कर सकेगा भले ही वह व्यक्ति उन्हें इस अधिनियम या किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के आधार पर अपने कब्जे में रखने का हकदार हो ।
(2) इस धारा के अधीन हर तलाशी, मजिस्ट्रेट द्वारा या उसकी उपस्थिति में या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त विशेषत: सशक्त आफिसर द्वारा या उसकी उपस्थित में की जाएगी ।
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