Section 155 Indian Evidence Act 1872
Section 155 Indian Evidence Act 1872 in Hindi and English
Section 155 Evidence Act 1872 : Impeaching credit of witness -- The credit of a witness may be impeached in the following ways by the adverse party, or, with the consent of the Court, by the party who calls him :-
(1) by the evidence of persons who testify that they, from their knowledge of the witness, believe him to be unworthy of credit;
(2) by proof that the witness has been bribed, or has accepted the offer of a bribe, or has received any other corrupt inducement to give his evidence;
(3) by proof of former statements inconsistent with any part of his evidence which is liable to be contradicted;
Explanation -- A witness declaring another witness to be unworthy of credit may not, upon his examination-in-chief, give reasons for his belief, but he may be asked his reasons in cross-examination, and the answers which he gives cannot be contradicted, though, if they are false, he may afterwards be charged with giving false evidence.
Illustrations
(a) A sues B for the price of woods sold and delivered to B.
C says that he delivered the goods to B.
Evidence is offered to show that, on a previous occasion, he said that he had not delivered goods to B.
The evidence is admissible.
(b) A is indicated for the murder of B.
C says that B, when dying, declared that A had given B the wound of which he died.
Evidence is offered to show that, on a previous occasion, C said that the wound was not given by A or in his presence.
The evidence is admissible.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 155 Indian Evidence Act 1872:
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 155 का विवरण : - साक्षी की विश्वसनीयता पर अधिक्षेप -- किसी साक्षी की विश्वसनीयता पर प्रतिपक्षी द्वारा, या न्यायालय की सम्मति से उस पक्षकार द्वारा, जिसने उसे बुलाया है, निम्नलिखित प्रकारों से अधिक्षेप किया जा सकेगा :-
(1) उन व्यक्तियों के साक्ष्य द्वारा, जो यह परिसाक्ष्य देते हैं कि साक्षी के बारे में अपने ज्ञान के आधार पर, वे उसे विश्वसनीयता का अपात्र समझते हैं,
(2) यह साबित किए जाने द्वारा कि साक्षी को रिश्वत दी गई है या उसने रिश्वत की प्रस्थापना प्रतिगृहीत कर ली है या उसे अपना साक्ष्य देने के लिए कोई अन्य भ्रष्ट उत्प्रेरणा मिली है,
(3) उसके साक्ष्य के किसी ऐसे भाग से, जिसका खण्डन किया जा सकता है, असंगत पिछले कथनों को साबित करने द्वारा;
स्पष्टीकरण -- कोई साक्षी जो किसी अन्य साक्षी को विश्वसनीयता के लिए अपात्र घोषित करता है, अपने से की गई मुख्य परीक्षा में अपने विश्वास के कारणों को चाहे न बताए, किन्तु प्रतिपरीक्षा में उससे उनके कारणों को पूछा जा सकेगा, और उन उत्तरों का, जिन्हें वह देता है, खण्डन नहीं किया जा सकता, तथापि यदि वे मिथ्या हों, तो तत्पश्चात् उस पर मिथ्या साक्ष्य देने का आरोप लगाया जा सकेगा।
दृष्टांत
(क) ख को बेचे गए और परिदान किए गए माल के मूल्य के लिए ख पर क वाद लाता है।
ग कहता है कि उसने ख को माल का परिदान किया।
यह दर्शित करने के लिए साक्ष्य प्रस्थापित किया जाता है कि किसी पूर्व अवसर पर उसने कहा था कि उसने उस माल का परिदान ख को नहीं किया था।
यह साक्ष्य ग्राह्य है।
(ख) ख की हत्या के लिए क पर अभ्यारोप लगाया गया है।
ग कहता है कि ख ने मरते समय घोषित किया था कि क ने ख को यह घाव किया था, जिससे वह मर गया।
यह दर्शित करने के लिए साक्ष्य प्रस्थापित किया जाता है कि किसी पूर्व अवसर पर ग ने कहा था कि घाव क द्वारा या उसकी उपस्थिति में नहीं किया गया था।
यह साक्ष्य ग्राह्य है।
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