Section 143 Contract Act 1872
Section 143 Contract Act 1872 in Hindi and English
Section 143 Contract Act 1872 :Guarantee obtained by concealment, invalid - Any.guarantee which the creditor has obtained by means of keeping silence as to a material circumstance is invalid.
Illustrations
(a) A engages B as clerk to collect money for him. B fails to account for some of his receipts, and A in consequence calls upon him to furnish security for his duly accounting. C gives his guarantee for B's duly accounting. A does not acquaint C with B's previous conduct. B afterwards makes default. The guarantee is invalid.
(b) A guarantees to C payment for iron to be supplied by him to B to the amount of 2,000 tons. B and C have privately agreed that B should pay five rupees per ton beyond the market price, such excess to be applied in liquidation of an old debt. This agreement is concealed from A. A is not liable as a surety
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 143 of Contract Act 1872 :
Avitel Post Studioz Limited And vs Hsbc Pi Holding (Mauritius) on 19 August, 2020
भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 143 का विवरण : - छिपाव द्वारा अभिप्राप्त प्रत्याभूति की अविधिमान्यता -- कोई भी प्रत्याभूति जो लेनदार ने तात्विक परिस्थिति के बारे में मौन धारण से अभिप्राप्त की है, अविधिमान्य है।
दृष्टान्त
(क) 'क' अपने लिए रुपये का संग्रहण करने के लिए 'ख' को लिपिक के तौर पर रखता है। ‘ख’ अपनी कुल प्राप्तियों का सम्यक् लेखा देने में असफल रहता है और परिणामस्वरूप 'क' उससे यह अपेक्षा करता है कि वह अपने द्वारा सम्यक् रूप से लेखा दिये जाने के लिए प्रतिभूति दे। 'ख' द्वारा सम्यक् रूप से लेखा दिये जाने की प्रत्याभूति 'ग' दे देता है। 'ग' को 'ख' के पिछले आचरण से 'क' अवगत नहीं करता है। तत्पश्चात् ‘ख’ लेखा देने में व्यतिक्रम | करता है। प्रत्याभूति अविधिमान्य है।
(ख) 'ग' द्वारा 'ख' को 2,000 टन परिमाण तक प्रदाय किए जाने वाले लोहे के लिए संदाय की प्रत्याभूति ‘ग' को 'क' देता है। 'ख' और 'ग' ने प्राइवेट तौर पर करार कर लिया है कि 'ख' बाजार दाम से पाँच रुपये प्रति टन अधिक देगा जो अधिक रकम एक पुराने ऋण के समापन में उपयोजित की जाएगी। यह करार 'क' से छिपाया गया है। ‘क’ प्रतिभू के तौर पर दायी नहीं है
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