गिरफ्तारी

 गिरफ्तारी

आम भाषा में गिरफ्तारी का अर्थ किसी पुलिस वाले व्यक्ति द्वारा व्यक्ति को अपने कब्जे में ले लेने से होता है।  गिरफ्तारी सामान्यतः पुलिस ही करती है।  पुलिस किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी उस व्यक्ति के खिलाफ एफ आई आर दर्ज होने पर या कोई अपराध करने की सूचना मिलने पर या कोई अपराध करता हुआ पाया जाने पर करती है। 

उदाहरण के लिए-   अ के खिलाफ ब  एक एफ.आई.आर.दर्ज करवाता है।  की अने रात को उसके घर पर आकर उसकी पत्नी स के साथ छेड़छाड़ की  तो पुलिस ब  की रिपोर्ट के आधार पर अ को  गिरफ्तार कर सकती है। 

उदाहरण दो- पुलिस थाने में फोन आता है कि अमुक बैंक में डकैती हो रही है तो पुलिस डकैतों को गिरफ्तार करती है। 

सामान्यता गिरफ्तारी दो प्रकार से की जाती है।  एक तो वारंट से और दूसरी वारंट के बिना।  संगीत एवं खतरनाक अपराधियों में पुलिस अधिकारी अभियुक्त को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है, जबकि सामान्य अपराधों में पुलिस अधिकारी किसी अभियुक्त को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।  सीआरपीसी की धारा 47 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति संज्ञेय  अपराध  करता है तो पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है।  पुलिस अधिकारी केवल शंका के आधार पर बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।  उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपने पास गृह भेदन का खतरनाक औजार रखता है तो पुलिस उसे संदेह के आधार पर चोरी या डकैती के आरोप में बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।  यदि राज्य सरकार ने किसी व्यक्ति को अपराध घोषित कर दिया हो तो पुलिस उसे बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।  यदि कोई व्यक्ति जेल से फरार हो गया हो या किसी व्यक्ति के पास चोरी का सामान मिलता है या किसी व्यक्ति ने विदेश में रहकर ऐसा कार्य किया है जो कार्य भारत में अपराध है तो उस व्यक्ति को पुलिस उसे बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। 

सीआरपीसी की धारा 42 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध  करता है तथा पुलिस अधिकारी द्वारा नाम व पता पूछने पर नाम और पता बताने से इनकार करता है या गलत बताता है तो सही नाम व पता निश्चित करने के लिए उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है। आगे पुलिस में वारंट से और वारंट के बिना गिरफ्तारी होने वाले अपराधी की सूची दी गई है।

सीआरपीसी की धारा 45 के अनुसार कोई भी आम व्यक्ति किसी अपराधी को गिरफ्तार कर सकता है। किसी और व्यक्ति के सामने कोई व्यक्ति अपराध करता है तो वह व्यक्ति अपराध करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है। कोई भी व्यक्ति किसी इनामी अपराधी को गिरफ्तार कर सकता है। किसी भी व्यक्ति को चाहिए कि वह गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत पुलिस को सौंप दें लेकिन कोई भी आम व्यक्ति सत्य संदेह के आधार पर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकता।

सीआरपीसी की धारा 46 के अनुसार किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय पुलिस अधिकारी सभी प्रकार के साधनों का प्रयोग कर सकता है| यदि अपराधी गिरफ्तार होने से बचने का प्रयास करता है तो पुलिस उस अपराधी को पकड़ने के लिए हर संभव साधनों का प्रयोग कर सकती है| लेकिन गिरफ्तार करते समय पुलिस अधिकारी किसी अभियुक्त या अपराधी को जान से नहीं मार सकती|

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