Section 45 The Trade Marks Act, 1999

 



Section 45 The Trade Marks Act, 1999: 


Registration of assignments and transmissions.—

(1) Where a person becomes entitled by assignment or transmission to a registered trade mark, he shall apply in the prescribed manner to the Registrar to register his title, and the Registrar shall, on receipt of the application and on proof of title to his satisfaction, register him as the proprietor of the trade mark in respect of the goods or services in respect of which the assignment or transmission has effect, and shall cause particulars of the assignment or transmission to be entered on the register: Provided that where the validity of an assignment or transmission is in dispute between the parties, the Registrar may refuse to register the assignment or transmission until the rights of the parties have been determined by a competent court.

(2) Except for the purpose of an application before the Registrar under sub-section (1) or an appeal from an order thereon, or an application under section 57 or an appeal from an order thereon, a document or instrument in respect of which no entry has been made in the register in accordance with sub-section (1), shall not be admitted in evidence by the Registrar or the Appellate Board or any court in proof of title to the trade mark by assignment or transmission unless the Registrar or the Appellate Board or the court, as the case may be, otherwise directs.


Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 45 The Trade Marks Act, 1999: 

American Home Products vs Mac Laboratories Private Limited on 30 September, 1985

Whirlpool Corporation vs Registrar Of Trade Marks, Mumbai & on 26 October, 1998

Canara Bank vs N.G. Subbaraya Setty on 20 April, 2018

Whirlpool Corporation vs Registrar Of Trade Marks, Mumbai & on 26 October, 1998

Patel Field Marshal Agencies And vs P.M Diesels Ltd. And Ors. on 29 November, 2017

Competition Commission Of India vs Bharti Airtel Ltd on 5 December, 2018

M/S. Dhodha House vs S.K. Maingi on 15 December, 2005

Union Of India vs Association Of Unified Telecom on 24 October, 2019

Infosys Technologies Ltd vs Jupiter Infosys Ltd. & Anr on 9 November, 2010

Satnam Overseas vs Sant Ram & Co.& Anr on 22 November, 2013


व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 45 का विवरण : 

 समनुदेशनों और पारेषणों का रजिस्ट्रीकरण-(1) जहां कोई व्यक्ति किसी रजिस्ट्रीकरण व्यापार चिह्न का समनुदेशन या पारेषण द्वारा हकदार हो जाता है, वहां वह अपने हक को रजिस्टर करने के लिए रजिस्ट्रार को विहित रीति में आवेदन करेगा और रजिस्ट्रार, आवेदन की प्राप्ति पर, उस माल या सेवाओं की बाबत व्यापार चिह्न के स्वत्वधारी के रूप में उसे रजिस्टर करेगा, जिसकी बाबत ऐसा समनुदेशन या पारेषण प्रभावी है और समनुदेशन या पारेषण की विशिष्टियों को रजिस्टर में प्रविष्ट कराएगा ।

(2) रजिस्ट्रार आवेदक से केवल वहीं जहां दिए गए किसी कथन या किसी दस्तावेज की सत्यता के बारे में कोई युक्तियुक्त संदेह हो, यह अपेक्षा कर सकेगा कि वह हक के सबूत में कोई साक्ष्य या अतिरिक्त साक्ष्य दे ।

(3) जहां किसी समनुदेशन या पारेषण की विधिमान्यता पक्षकारों के बीच में विवादग्रस्त है, वहां रजिस्ट्रार ऐसे समनुदेशन या पारेषण को रजिस्टर करने से तब तक इंकार कर सकेगा, जब तक कि पक्षकारों के अधिकार सक्षम न्यायालय द्वारा अवधारित नहीं किए जाते हैं और सभी अन्य मामलों में रजिस्ट्रार आवेदन का निपटारा विहित अवधि के भीतर करेगा ।

(4) जब तक कि उपधारा (1) के अधीन कोई आवेदन फाइल नहीं किया गया हो, तब तक समनुदेशन या पारेषण ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध प्रभावी नहीं होगा, जो रजिस्ट्रीकृत व्यापार चिह्न में या उसके अधीन समनुदेशन या पारेषण के ज्ञान के बिना विवादग्रस्त हित अर्जित करता है ।]

 


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