Section 35 The Trade Marks Act, 1999
Section 35 The Trade Marks Act, 1999:
Saving for use of name, address or description of goods or services.—Nothing in this Act shall entitle the proprietor or a registered user of a registered trade mark to interfere with any bona fide use by a person of his own name or that of his place of business, or of the name, or of the name of the place of business, of any of his predecessors in business, or the use by any person of any bona fide description of the character or quality of his goods or services.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 35 The Trade Marks Act, 1999:
Precious Jewels & Anr vs Varun Gems on 4 August, 2014Asso.Of Unified vs Union Of India & Ors on 17 April, 1947
Asso.Of Unified vs Union Of India & Ors on 17 April, 2014
Cellular Operators Association vs Telecom Regulatory Authority Of on 11 May, 2016
Union Of India vs Association Of Unified Telecom on 24 October, 2019
Ruston & Hornsby Ltd vs The Zamindara Engineering Co on 8 September, 1969
M/S S.M. Dyechem Ltd vs M/S Cadbury (India) Ltd on 9 May, 2000
M/S S.M. Dyechem Ltd vs M/S Cadbury (India) Ltd on 9 May, 2000
व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 35 का विवरण :
किसी वस्तु या पदार्थ या सेवा के नाम या वर्णन के रूप में उपयोग में लाए गए शब्दों की व्यावृत्ति-(1) किसी व्यापार चिह्न का रजिस्ट्रीकरण केवल इस कारण अविधिमान्य हो गया नहीं समझा जाएगा कि रजिस्ट्रीकरण की तारीख के पश्चात् कोई एक या अधिक शब्द, जो व्यापार चिह्न में अंतर्विष्ट है या जिनसे मिलकर वह बनता है, किसी वस्तु या पदार्थ या सेवा के नाम या वर्णन के रूप में उपयोग में लाए गए हैं:
परंतु यदि यह साबित हो जाता है कि या तो-
(क) उस वस्तु या पदार्थ या सेवा के नाम या वर्णन के रूप में उक्त शब्दों का उस व्यक्ति या उन व्यक्तियों द्वारा, जो उसमें व्यापार कर रहे हैं, सुविख्यात और प्रतिष्ठित उपयोग है और ऐसा उपयोग व्यापार के अनुक्रम में स्वत्वधारी से या व्यापार चिह्न के रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता से संसक्त मालों या सेवाओं से संबद्ध नहीं है या (प्रमाणीकरण व्यापार चिह्न की दशा में) स्वत्वधारी द्वारा प्रमाणित मालों या सेवाओं से संबद्ध नहीं है ; या
(ख) वह वस्तु या पदार्थ पहले किसी पेटेन्ट के अधीन विनिर्मित होता था, उस पेटेन्ट की समाप्ति के पश्चात् दो वर्ष या इससे अधिक की कालावधि व्यतीत हो चुकी है, और उक्त शब्द उस वस्तु या पदार्थ का केवल उपयोज्य नाम का वर्णन है,
तो उपधारा (2) के उपबंध लागू होंगे
(2) जहां उपधारा (1) के परंतुक के खण्ड (क) या खण्ड (ख) में उल्लिखित तथ्य किन्हीं शब्दों की बाबत साबित कर दिए जाते हैं वहां, -
(क) धारा 57 के अधीन किन्हीं कार्यवाहियों के प्रयोजन के लिए यदि व्यापार चिह्न केवल ऐसे शब्दों से ही मिलकर बना है तो उस प्रश्नगत वस्तु या पदार्थ या उसी विवरण के किसी माल या किन्हीं सेवाओं या उसी विवरण की किन्हीं सेवाओं की बाबत, जैसा कि मामले में अपेक्षित हो, रजिस्ट्रीकरण के लिए उस व्यापार चिह्न के रजिस्ट्रीकरण को रजिस्टर पर गलती से रह गई प्रविष्टि समझा जाएगा;
(ख) व्यापार चिह्न से संबंधित किन्हीं अन्य विधिक कार्यवाहियों के प्रयोजन के लिए-
(i) यदि व्यापार चिह्न केवल ऐसे शब्दों से ही मिलकर बना है तो उस व्यापार चिह्न के उपयोग के बारे में इस अधिनियम या किसी अन्य विधि के अधीन स्वत्वधारी के सब अधिकार; या
(ii) यदि व्यापार चिह्न में ऐसे शब्द और अन्य बातें हैं तो ऐसे शब्दों के उपयोग के बारे में स्वत्वधारी के ऐसे सब अधिकार,
वस्तु या पदार्थ या उसी विवरण के किसी माल के संबंध में या सेवा या उसी विवरण की किन्हीं सेवाओं के संबंध में, जैसा कि मामलें में अपेक्षित हो, उस तारीख को समाप्त हो गए समझे जाएंगे जिस तारीख को उपधारा (1) के परन्तुक के खंड (क) में उल्लिखित उपयोग सर्वप्रथम सुविख्यात और प्रतिष्ठित हुआ या उक्त परन्तुक के खण्ड (ख) में उल्लिखित दो वर्षों की कालावधि समाप्त हुई ।
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