Section 49 The Trade Marks Act, 1999
Section 49 The Trade Marks Act, 1999:
Registration as registered user.—
(1) Where it is proposed that a person should be registered as a registered user of a trade mark, the registered proprietor and the proposed registered user shall jointly apply in writing to the Registrar in the prescribed manner, and every such application shall be accompanied by—
(a) the agreement in writing or a duly authenticated copy thereof, entered into between the registered proprietor and the proposed registered user with respect to the permitted use of the trade mark; and
(b) an affidavit made by the registered proprietor or by some person authorised to the satisfaction of the Registrar to act on his behalf,—
(i) giving particulars of the relationship, existing or proposed, between the registered proprietor and the proposed registered user, including particulars showing the degree of control by the proprietor over the permitted use which their relationship will confer and whether it is a term of their relationship that the proposed registered user shall be the sole registered user or that there shall be any other restriction as to persons for whose registration as registered users application may be made;
(ii) stating the goods or services in respect of which registration is proposed;
(iii) stating the conditions or restrictions, if any, proposed with respect to the characteristics of the goods or services, to the mode or place of permitted use, or to any other matter;
(iv) stating whether the permitted use is to be for a period or without limit of period, and, if for a period, the duration thereof; and
(c) such further documents or other evidence as may be required by the Registrar or as may be prescribed.
(2) When the requirements of sub-section (1) have been complied with, the Registrar shall register the proposed registered user in respect of the goods or services as to which he is so satisfied.
(3) The Registrar shall issue notice in the prescribed manner of the registration of a person as a registered user, to other registered users of the trade mark, if any.
(4) The Registrar shall, if so requested by the applicant, take steps for securing that information given for the purposes of an application under this section (other than matters entered in the register) is not disclosed to rivals in trade.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 49 The Trade Marks Act, 1999:
M/S Gujarat Pottling Co.Ltd. & Ors vs The Coca Cola Co. & Ors on 4 August, 1995
American Home Products vs Mac Laboratories Private Limited on 30 September, 1985
Wander Ltd. And Anr. vs Antox India P. Ltd. on 26 April, 1990
M/S. Thukral Mechanical Works vs P.M. Diesels Pvt. Ltd. & Anr on 18 December, 2008
व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 49 का विवरण :
रजिस्ट्रीकरण उपयोक्ता के रूप में रजिस्ट्रीकरण-(1) जहां यह प्रस्थापना है कि किसी व्यक्ति को व्यापार चिह्न के रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता के रूप में रजिस्टर किया जाए वहां रजिस्ट्रीकृत स्वत्वधारी और प्रस्थापित रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता संयुक्ततः लिखित रूप में रजिस्ट्रार को विहित रीति में आवेदन करेंगे और ऐसे प्रत्येक आवेदन के साथ निम्नलिखित होंगे: -
(क) रजिस्ट्रीकृत स्वत्वधारी और प्रस्थापित रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता के बीच व्यापार चिह्न के अनुज्ञात उपयोग की बाबत किया गया लिखित करार या उसकी सम्यक्तः अधिप्रमाणित प्रति; और
(ख) रजिस्ट्रीकृत स्वत्वधारी या इस निमित्त कार्य करने के लिए रजिस्ट्रार के समाधानप्रद रूप में प्राधिकृत किसी व्यक्ति द्वारा किया गया शपथपत्र जिसमें-
(i) रजिस्ट्रीकृत स्वत्वधारी और प्रस्थापित रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता के बीच विद्यमान या प्रस्थापित संबंध की विशिष्टियां उन विशिष्टियों सहित दी हुई होंगी जिनमें उस अनुज्ञात उपयोग पर जो उनके संबंध द्वारा प्रदत्त होगा, स्वत्वधारी द्वारा नियंत्रण की मात्रा और यह बात दर्शित होगी कि क्या यह उनके संबंध का निबन्धन है कि प्रस्थापित रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता एकमात्र रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता होगा या उन व्यक्तियों की बाबत कोई अन्य निर्बन्धन होगा जिनके रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता के रूप में रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन किया जा सकेगा ;
(ii) वे माल या सेवाएं कथित होंगी, जिनकी बाबत रजिस्ट्रीकरण प्रस्थापित है;
(iii) वे शर्तें और निर्बन्धन, यदि कोई हों, कथित होंगे, जो माल या सेवाओं के लक्षणों की बाबत, अनुज्ञात उपयोग के ढंग या स्थान की बाबत या किसी अन्य बात की बाबत प्रस्थापित है;
(iv) यह कथित होगा कि क्या अनुज्ञात उपयोग किसी अवधि के लिए होगा या बिना सीमा की अवधि के लिए होगा, और यदि अवधि के लिए है तो उसकी अस्तित्वावधि; और
(ग) ऐसे और दस्तावेज या अन्य साक्ष्य जो रजिस्ट्रार द्वारा अपेक्षित हों या जो विहित किए जाएं ।
(2) उपधारा (1) की अपेक्षाओं का अनुपालन हो जाने पर, रजिस्ट्रार उन माल और सेवाओं की बाबत, जिनके बारे में उसका इस प्रकार समाधान हो जाए, प्रस्थापित रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता को रजिस्ट्रीकृत करेगा ।
(3) रजिस्ट्रार किसी व्यक्ति के रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ता के रूप में रजिस्ट्रीकरण की सूचना उस व्यापार चिह्न के अन्य रजिस्ट्रीकृत उपयोक्ताओं को, यदि कोई हों, विहित रीति में जारी करेगा ।
(4) यदि आवेदक ऐसी प्रार्थना करे तो रजिस्ट्रार यह सुनिश्िचत करने के लिए कदम उठाएगा कि इस धारा के अधीन आवेदन के प्रयोजनार्थ दी गई सूचना (रजिस्टर में प्रविष्ट बातों के अतिरिक्त) व्यापार में प्रतिद्वन्दियों को प्रकट नहीं की जाएं ।
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