Section 72 The Trade Marks Act, 1999

 


Section 72 The Trade Marks Act, 1999: 


Consideration of application for registration by the Registrar.—

(1) The Registrar shall consider the application made under section 71 with regard to the following matters, namely:—

(a) whether the applicant is competent to certify the goods in respect of which the mark is to be registered;

(b) whether the draft of the regulations to be filed under section 74 is satisfactory;

(c) whether in all the circumstances the registration applied for would be to the public advantage, and may either—

(i) refuse the application; or

(ii) accept the application and approve the said draft of the regulations either without modification and unconditionally or subject to any conditions or limitations, or to any amendments or modifications of the application or of the regulations, which he thinks requisite having regard to any of the said matters.

(2) Except in the case of acceptance and approval without modification and unconditionally, the Registrar shall not decide any matter under sub-section (1) without giving the applicant an opportunity of being heard.


Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 72 The Trade Marks Act, 1999: 

National Sewing Thread Co. Ltd vs James Chadwick & Bros. Ltd.(J.& P.on 7 May, 1953

Supreme Court of India Cites 23 - Cited by 261 - Full Document

American Home Products  vs Mac Laboratories Private Limited on 30 September, 1985

Supreme Court of India Cites 84 - Cited by 131 - Full Document



व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 72 का विवरण : 

रजिस्ट्रीकरण के आवेदन पर रजिस्ट्रार द्वारा विचार-(1) रजिस्ट्रार धारा 71 के अधीन आवेदन पर निम्नलिखित विषयों के बारे में विचार करेगा, अर्थात्: -

(क) क्या आवेदक उस माल को, जिसकी बाबत चिह्न, रजिस्टर किया जाना है, प्रमाणित करने के लिए सक्षम है;

(ख) क्या धारा 74 के अधीन फाइल किए जाने वाले विनियमों का प्ररूप समाधानप्रद है;

(ग) क्या आवेदित रजिस्ट्रीकरण सभी परिस्थितियों में सार्वजनिक लाभ के लिए होगा, और या तो-


(i) आवेदन नामंजूर कर सकेगा; या

(ii) आवेदन स्वीकार कर सकेगा और विनियमों के उक्त प्ररूप को या तो बिना उपांतरों के और शर्त के बिना या किन्हीं शर्तों और परिसीमाओं के अथवा आवेदन या विनियमों के किन्हीं संशोधनों या उपांतरों के अधीन रहते हुए, जिन्हें उक्त विषयों में से किन्हीं पर ध्यान देते हुए वह आवश्यक समझे, अनुमोदित कर सकेगा ।


(2) उपांतरों और शर्तों के बिना स्वीकार और अनुमोदित करने की दशा के सिवाय, रजिस्ट्रार आवेदक को सुनवाई का अवसर दिए बिना उपधारा (1) के अधीन किसी मामले का विनिश्चय नहीं करेगा ।

 


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