Section 33 The Trade Marks Act, 1999

 


Section 33 The Trade Marks Act, 1999: 


Effect of acquiescence.—

(1) Where the proprietor of an earlier trade mark has acquiesced for a continuous period of five years in the use of a registered trade mark, being aware of that use, he shall no longer be entitled on the basis of that earlier trade mark—

(a) to apply for a declaration that the registration of the later trade mark is invalid, or

(b) to oppose the use of the later trade mark in relation to the goods or services in relation to which it has been so used, unless the registration of the later trade mark was not applied in good faith.

(2) Where sub-section (1) applies, the proprietor of the later trade mark is not entitled to oppose the use of the earlier trade mark, or as the case may be, the exploitation of the earlier right, notwithstanding that the earlier trade mark may no longer be invoked against his later trade mark.



Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 33 The Trade Marks Act, 1999: 

Cellular Operators Association vs Telecom Regulatory Authority Of  on 11 May, 2016

Supreme Court of India Cites 79 - Cited by 0 - Full Document

Star India Private Limited vs Department Of Industrial Policy on 30 October, 2018

Supreme Court of India Cites 80 - Cited by 0 - Full Document



व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 33 का विवरण : 

उपमति का प्रभाव-(1) जहां किसी पूर्ववर्ती व्यापार चिह्न का स्वत्वधारी रजिस्ट्रीकृत व्यापार चिह्न के उपयोग में, उस उपयोग की जानकारी रखते हुए, लगातार पांच वर्ष की अवधि तक उपमत रहा है वहां उसे तब तक उस पूर्ववर्ती व्यापार चिह्न के आधार पर, -

(क) यह घोषणा करने के लिए आवेदन करने का हक नहीं होगा कि पश्चात्वर्ती व्यापार चिह्न का रजिस्ट्रीकरण अविधिमान्य है; या

(ख) उन माल या सेवाओं के संबंध में, जिनके संबंध में उनका इस प्रकार उपयोग किया जाता रहा है, पश्चात्वर्ती व्यापार चिह्न के उपयोग का विरोध करने का हक नहीं होगा,

जब तक कि पश्चात्वर्ती व्यापार चिह्न के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन सद्भावपूर्वक नहीं किया गया है ।

(2) जहां उपधारा (1) लागू होती है वहां पश्चात्वर्ती व्यापार चिह्न के स्वत्वधारी को, यथास्थिति, पूर्ववर्ती व्यापार चिह्न के उपयोग का विरोध करने का या पूर्ववर्ती अधिकार का समुपयोजन करने का इस बात के होते हुए भी हक नहीं होगा कि पूर्ववर्ती व्यापार चिह्न का अब उसके पश्चात्वर्ती व्यापार चिह्न के विरुद्ध अवलंब नहीं लिया जा सकेगा ।



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