Section 36 The Trade Marks Act, 1999

 


 Section 36 The Trade Marks Act, 1999: 

Saving for words used as name or description of an article or substance or service.—

(1) The registration of a trade mark shall not be deemed to have become invalid by reason only of any use after the date of the registration of any word or words which the trade mark contains or of which it consists as the name or description of an article or substance or service: Provided that, if it is proved either—

(a) that there is a well known and established use of the said word as the name or description of the article or substance or service by a person or persons carrying on trade therein, not being used in relation to goods or services connected in the course of trade with the proprietor or a registered user of the trade mark or (in the case of a certification trade mark) in relation to goods or services certified by the proprietor; or

(b) that the article or substance was formerly manufactured under a patent that a period of two years or more after the cesser of the patent has elapsed and that the said word is the only practicable name or description of the article or substance, the provisions of sub-section (2) shall apply.

(2) Where the facts mentioned in clause (a) or clause (b) of the proviso to sub-section (1) are proved with respect to any words, then,—

(a) for the purpose of any proceedings under section 57 if the trade mark consists solely of such words, the registration of the trade mark, so far as regards registration in respect of the article or substance in question or of any goods of the same description, or of the services or of any services of the same description, as the case requires, shall be deemed to be an entry wrongly remaining on the register;

(b) for the purposes of any other legal proceedings relating to the trade mark,—

(i) if the trade mark consists solely of such words, all rights of the proprietor under this Act or any other law to the use of the trade mark; or

(ii) if the trade mark contains such words and other matter, all such right of the proprietor to the use of such words, in relation to the article or substance or to any goods of the same description, or to the service or to any services of the same description, as the case requires, shall be deemed to have ceased on the date on which the use mentioned in clause (a) of the proviso to sub-section (1) first became well known and established or at the expiration of the period of two years mentioned in clause (b) of the said proviso.


Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 36 The Trade Marks Act, 1999: 

Cellular Operators Association vs Telecom Regulatory Authority Of on 11 May, 2016

B.S.N.L vs Telecom Regulatory Auth.Of India  on 6 December, 2013

Star India Private Limited vs Department Of Industrial Policy on 30 October, 2018

Competition Commission Of India vs Bharti Airtel Ltd on 5 December, 2018

American Home Products vs Mac Laboratories Private Limited on 30 September, 1985

M/S. Thukral Mechanical Works vs P.M. Diesels Pvt. Ltd. & Anr on 18 December, 2008

Hotel & Restaurant Assocn. And Anr vs Star India Pvt. Ltd. And Ors on 24 November, 2006

Tamil Nadu Polution Control Board vs Sterlite Industries (I) Ltd. . on 18 February, 2019

B.S.N.L vs Vodafone Essar Gujarat Limited on 23 September, 2016




व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 36 का विवरण : 

मैड्रिड प्रोटोकॉल के अधीन अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण की दशा में अधिनियम का लागू होना-इस अध्याय के उपबंध अंतरराष्ट्रीय मैड्रिड प्रोटोकॉल के अधीन अंतरराष्ट्रीय आवेदनों और अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण को लागू होंगे ।

36ख. परिभाषाएं-इस अध्याय में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -

(क) संविदाकारी राज्य या संविदाकारी संगठन के संबंध में आवेदन" से ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया आवेदन अभिप्रेत है जो, यथास्थिति, उस संविदाकारी राज्य या ऐसे राज्य का, जो उस संविदाकारी संगठन का सदस्य है, नागरिक है या उसमें अधिवासी है अथवा उसमें उसका वास्तविक और क्रियाशील औद्योगिक या वाणिज्ियक स्थापन है ।

स्पष्टीकरण-इस खंड के प्रयोजनों के लिए वास्तविक और क्रियाशील औद्यौगिक या वाणिज्यिक स्थापन" से ऐसा कोई स्थापन अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत है, जहां कुछ वास्तविक औद्योगिक या वाणिज्यिक क्रियाकलाप होते हैं और आवश्यकतः कारबार का मुख्य स्थान होना आवश्यक नहीं है;

(ख) मूल आवेदन" से धारा 18 के अधीन फाइल किए गए व्यापार चिह्न के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन अभिप्रेत है, जिसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन करने के लिए आधार के रूप में किया जाता है;

(ग) मूल रजिस्ट्रीकरण" से धारा 23 के अधीन व्यापार चिह्न का रजिस्ट्रीकरण अभिप्रेत है, जिसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन करने के लिए आधार के रूप में किया जाता है;


(घ) सामान्य विनियमों" से मैड्रिड प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन से संबंधित विनियम अभिप्रेत हैं;

 (ङ) संविदाकारी संगठन" से ऐसा संविदाकारी पक्षकार अभिप्रेत है, जो अंतर-सरकारी संगठन है;

(च) संविदाकारी पक्षकार" से मैड्रिड प्रोटोकॉल का संविदाकारी राज्य या संविदाकारी संगठन पक्षकार अभिप्रेत है;

(छ) संविदाकारी राज्य" से मैड्रिड प्रोटोकॉल का पक्षकार देश अभिप्रेत है ;

(ज) अंतरराष्ट्रीय आवेदन" से मैड्रिड प्रोटोकॉल के अधीन अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के लिए या किसी संविदाकारी पक्षकार को अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के परिणामस्वरूप संरक्षण के विस्तारण के लिए आवेदन अभिप्रेत है;

(झ) अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो" से विश्व बौद्धिक संपदा संगठन का अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो अभिप्रेत है;

(ञ) अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण" से मैड्रिड प्रोटोकॉल के अधीन प्रभावी अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो के रजिस्टर में व्यापार चिह्न का रजिस्ट्रीकरण अभिप्रेत है;


(ट) मैड्रिड करार" से 14 अप्रैल, 1891 को मैड्रिड में अंगीकृत और तत्पश्चात् पुनरीक्षित और संशोधित चिह्नों के अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण से संबंधित मैड्रिड करार अभिप्रेत है;


(ठ) मैड्रिड प्रोटोकॉल" से 27 जून, 1989 को मैड्रिड में अंगीकृत, समय-समय पर यथासंशोधित चिह्नों के अंतरराष्ट्रीय रजिर्स्टीकरण से संबंधित मैड्रिड करार के संबंध में प्रोटोकॉल अभिप्रेत है ।

36ग. अंतरराष्ट्रीय आवेदनों पर कार्यवाही करने के लिए व्यापार चिह्न रजिस्ट्री-धारा 5 की उपधारा (3) में किसी बात के होते हुए भी, किसी अंतरराष्ट्रीय आवेदन पर व्यापार चिह्न रजिस्ट्री के प्रधान कार्यालय द्वारा या रजिस्ट्री के ऐसे शाखा कार्यालय द्वारा कार्यवाही की जाएगी, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे ।

36घ. भारत से उद्भूत अंतरराष्ट्रीय आवेदन-(1) जहां व्यापार चिह्न के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन धारा 18 के अधीन किया गया है या व्यापार चिह्न धारा 23 के अधीन रजिस्टर कर लिया गया है, वहां आवेदक या उसका रजिस्ट्रीकृत स्वत्वधारी उस व्यापार चिह्न के अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के लिए सामान्य विनियमों द्वारा विहित प्ररूप में अंतरराष्ट्रीय आवेदन कर सकेगा ।

(2) अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण धारक कोई व्यक्ति, ऐसे रजिस्ट्रीकरण के परिणामस्वरूप किसी अन्य संविदाकारी पक्षकार को संरक्षण के विस्तारण के लिए सामान्य विनियमों द्वारा विहित प्ररूप में अंतरराष्ट्रीय आवेदन कर सकेगा ।

(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन अंतरराष्ट्रीय आवेदन, जहां अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के परिणामस्वरूप संरक्षण अपेक्षित है, संविदाकारी पक्षकारों को अभिहित करेगा ।

(4) रजिस्ट्रार विहित रीति में यह प्रमाणित करेगा कि अंतरराष्ट्रीय आवेदन में वर्णित विशिष्टियां, धारा 18 के अधीन आवेदन में या धारा 23 के अधीन रजिस्ट्रीकरण में प्रमाणन के समय वर्णित विशिष्टियों के तद्रूप है और, यथास्थिति, उस आवेदन की तारीख और संख्या या उस रजिस्ट्रीकरण की तारीख और संख्या तथा उस आवेदन की तारीख और संख्या उपदर्शित करेगा, जिसके परिणामस्वरूप रजिस्ट्रीकरण हुआ है और विहित अवधि के भीतर अंतरराष्ट्रीय आवेदन को अन्तरराष्ट्रीय ब्यूरो को रजिस्ट्रीकरण के लिए अग्रेषित करेगा और अंतरराष्ट्रीय आवेदन की तारीख भी उपदर्शित करेगा ।

  (5) जहां अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण से पांच वर्ष की अवधि की समाप्ति से पूर्व किसी समय, चाहे ऐसा रजिस्ट्रीकरण किसी अन्य अन्य व्यक्ति को अंतरित कर दिया गया है अथवा नहीं, यथास्थिति, धारा 18 के अधीन आवेदन या धारा 23 के अधीन रजिस्ट्रीकरण वापस ले लिया गया है, रद्द कर दिया गया है, समाप्त हो गया है अथवा अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण में सूचीबद्ध सभी या कुछ माल या सेवाओं की बाबत अंतिम रूप से नामंजूर कर दिया गया है, वहां ऐसे अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के परिणामस्वरूप संरक्षण प्रभावी नहीं रहेगा:

परंतु जहां रजिस्ट्रीकरण के विनिश्चय के विरुद्ध कोई अपील की जाती है और किसी आवेदन की वापसी के लिए अनुरोध करते हुए कोई कार्य या आवेदन का विरोध अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण से पांच वर्ष की अवधि की समाप्ति से पूर्व आरंभ किया गया है वहां वापसी, रद्दकरण समाप्ति या इंकार में परिणत कोई अंतिम विनिश्चय अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण से पांच वर्ष की अवधि की समाप्ति से पूर्व किया गया समझा जाएगा ।

 (6) रजिस्ट्रार, अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण की तारीख से आरंभ होने वाली पांच वर्ष की अवधि के दौरान, उपधारा (5) में निर्दिष्ट प्रत्येक सूचना को अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो को पारेषित करेगा ।

 (7) रजिस्ट्रार अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो को, यथास्थिति, मूल आवेदन या मूल रजिस्ट्रीकरण की वर्तमान प्रास्थिति को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के किए जाने वाले रद्दकरण को अधिसूचित करेगा ।

36ङ. जहां भारत को अभिहित किया गया है, वहां अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण-(1) रजिस्ट्रार, जहां भारत को अभिहित किया गया है, वहां किसी अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के बारे में अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो से सलाह लेने के पश्चात्, विहित रीति में उस अन्तरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण की विशिष्टियों का अभिलेख रखेगा ।

 (2) जहां, उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण की विशिष्टियों को अभिलिखित करने के पश्चात्, रजिस्ट्रार का यह समाधान हो जाता है कि मामले की परिस्थितियों में भारत में व्यापार चिह्न का संरक्षण प्रदान नहीं किया जाना चाहिए या ऐसा संरक्षण ऐसी शर्तों या परिसीमाओं के या उन शर्तों या परिसीमाओं के अतिरिक्त अथवा उनसे भिन्न शर्तों के अधीन रहते है, हुए प्रदान किया जाना चाहिए जिनके अधीन रहते हुए अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण स्वीकार किया गया है, वहां वह, आवेदक को सुनने के पश्चात्, यदि वह ऐसी वांछा करे, संरक्षण प्रदान करने से इंकार कर सकेगा और उस तारीख से, जिसको उपधारा (1) में निर्दिष्ट सलाह प्राप्त हुई थी, अठारह मास के भीतर विहित रीति में, अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो को सूचित करेगा ।

(3) जहां रजिस्ट्रार उपधारा (2) के अधीन संरक्षण प्रदान करने से इंकार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण की विशिष्टियों में कुछ नहीं पाता है, वहां वह विहित अवधि के भीतर ऐसे अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण को विहित रीति से विज्ञापित कराएगा ।

(4) धारा 9 से धारा 21 (दोनों धाराओं सहित), धारा 63 और धारा 74 के उपबंध किसी अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण को यथा आवश्यक परिवर्तनों सहित इस प्रकार लागू होंगे, मानो ऐसा अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण धारा 18 के अधीन व्यापार चिह्न के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन हो ।

 (5) जब अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के संरक्षण का विरोध नहीं किया गया है और विरोध की सूचना के लिए समय समाप्त हो गया है, तब रजिस्ट्रार उपधारा (1) के अधीन सलाह की प्राप्ति के अठारह मास की अवधि के भीतर अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो को ऐसे अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के अधीन व्यापार चिह्न के संरक्षण के विस्तारण को अपनी स्वीकृति के बारे में अधिसूचित करेगा और यदि रजिस्ट्रार अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो को अधिसूचित करने में असफल रहता है तो यह समझा जाएगा कि संरक्षण व्यापार चिह्न तक विस्तारित किया गया है ।

 (6) जहां व्यापार चिह्न का रजिस्ट्रीकृत स्वत्वधारी भारत में उस चिह्न का अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण करता है और भारत को अभिहित करता है वहां रजिस्ट्रीकरण की तारीख से अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण द्वारा भारत में धारित रजिस्ट्रीकरण को ऐसे पूर्व में धारित रजिस्ट्रीकरण के अधीन अर्जित किसी अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा और रजिस्ट्रार आवेदक के अनुरोध पर धारा 6 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट रजिस्टर में आवश्यक प्रविष्टि करेगा ।

(7) किसी व्यापार चिह्न के अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के धारक को, जो भारत को अभिहित करता है और जिसको भारत में संरक्षण विस्तारित नहीं किया गया है, वही उपचार उपलब्ध होगा, जो धारा 18 के अधीन व्यापार चिह्न के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन करने वाले किसी व्यक्ति को उपलब्ध है और जो धारा 23 के अधीन रजिस्ट्रीकरण में परिणत नहीं हुआ है ।

 (8) जहां किसी समय अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण की पांच वर्ष की अवधि की समाप्ति से पूर्व, चाहे ऐसा रजिस्ट्रीकरण किसी अन्य व्यक्ति को अंतरित किया गया हो अथवा नहीं, यथास्थिति, संबंधित मूल आवेदन या भारत से भिन्न किसी संविदाकारी पक्षकार देश में मूल रजिस्ट्रीकरण वापस ले लिया गया है या रद्द कर दिया गया है या समाप्त हो गया है या अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण में सूचीबद्ध सभी या कुछ माल अथवा सेवाओं की बाबत अंतिम रूप रूप से इंकार कर दिया गया है वहां भारत में ऐसे अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के परिणामस्वरूप संरक्षण प्रभावी नहीं रहेगा ।

36च. अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के प्रभाव-(1) किसी व्यापार चिह्न के अंतरराष्ट्रीय की तारीख से, जहां भारत को अभिहित किया गया है या व्यापार चिह्न के अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के परिणामस्वरूप संरक्षण के भारत को विस्तार के बारे में अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो के रजिस्टर में लेखबद्ध तारीख से, भारत में व्यापार चिह्न का संरक्षण वैसा ही होगा मानो व्यापार चिह्न भारत में रजिस्ट्रीकृत किया गया हो 

(2) आवेदक द्वारा दिए गए माल और सेवाओं के वर्गों का उपदर्शन व्यापार चिह्न के संरक्षण की परिधि के अवधारण के संबंध में रजिस्ट्रार पर आबद्धकार नहीं होगा ।

36छ. अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण की अवधि और उसका नवीकरण-(1) अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो में किसी व्यापार चिह्न का अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण दस वर्ष की अवधि के लिए होगा और पूवर्वर्ती अवधि की समाप्ति से दस वर्ष की अवधि के लिए नवीकृत किया जा सकेगा ।

(2) नियमों द्वारा विहित अधिभार के संदाय के अधीन रहते हुए, अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रीकरण के नवीकरण के लिए छह मास की अनुग्रह अवधि अनुज्ञात की जाएगी ।ट


 


To download this dhara / Section of  The Trade Marks Act, 1999 in pdf format use chrome web browser and use keys [Ctrl + P] and save as pdf.

Comments

Popular posts from this blog

100 Questions on Indian Constitution for UPSC 2020 Pre Exam

भारतीय संविधान से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उतर

संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख | Characteristics of the Constitution of India