State of Rajasthan vs Balchand Case in Hindi | राजस्थान राज्य बनाम बालचंद केस

 State of Rajasthan vs Balchand  Case in Hindi |  राजस्थान राज्य बनाम बालचंद केस हिंदी में


Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले

आपने अक्सर सुना होगा कि किसी भी अभियुक्त को जेल की जगह बेल मिलनी चाहिए| कोई भी व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा होने की कोशिश करता है और हम देखते हैं कि एक निश्चित समय अवधि के बाद किसी भी अभियुक्त को बेल दे दी जाती है| भारतीय क्रिमिनल कानून में बेल की अवधारणा कहां से आई? हम अक्सर सुनते हैं कि बेल कॉमन है और जेल एक्सेप्शन है| 1977 में सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों की बेंच ने  स्टेट ऑफ राजस्थान जयपुर वर्सेस बालचंद आलियास बलिया के केस में  निर्णय दिया था| इस बेंच में जस्टिस कृष्णा अय्यर और जस्टिस  कुठवालिया थे| इस केस में बालचंद पर इल्जाम था और ट्रायल कोर्ट में उस पर ट्रायल चल रहा था मगर उस समय वह बेल पर था| ट्रायल कोर्ट के बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और वहां बालचंद को बरी कर दिया गया| मगर मगर राजस्थान स्टेट में इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की| अपील होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बालचंद को कोर्ट के सामने सरेंडर करने को कहा| बालचंद ने खुद को सरेंडर किया| संडे करने के बाद बाल झड़ने फिर से बेल के लिए एप्लीकेशन लगाया| बेल बेल की सुनवाई  के बाद जब सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट आई तो उसमें जस्टिस कृष्णा अय्यर ने जजमेंट में लिखा की बेल इज ए बेसिक रूल, नोट जेल. उन्होंने का कारण देते हुए लिखा कि जेल में उन लोगों को रखा जाता है जो मामले की जांच में इंटरफेयर कर सकते हैं और सबूत और गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं या वह भाग सकते हैं या फिर वह दुबारा इस तरह की घटना को अंजाम दे सकते हैं| इसीलिए बेल देते समय इन बातों पर ध्यान देना चाहिए अगर अभियुक्त के साथ इस तरह कि कोई भी वजह जुड़ी हुई नहीं है तो उसे बेल दे दी जानी चाहिए. बेल देते समय दो तरह की बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए| पहला व्यक्ति ने किस तरह का अपराध किया है अगर उसने जघन्य अपराध किया है तो ऐसे व्यक्ति को जमानत देने से बचना चाहिए| या फिर अभियुक्त ने ऐसा जुल्म किया है जिसमें उसे लंबी सजा हो सकती है ऐसे में अगर  उसे जमानत देते हैं तो उसके भाग जाने की संभावना अधिक है| इसीलिए जमानत जब भी दी जाती है तो उसके साथ कुछ शर्ते लगाई जाती है जैसे 

1. आप विदेश नहीं जाएंगे

2. आप सबूत और गवाहों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे

3. अब यह क्या निश्चित समय के बाद थाने में आकर अपनी हाजिरी लगाएंगे

इसके अलावा और भी कई तरह की शर्तें लगाई जा सकती हैं|

इस केस में भी ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट में मुकदमा जब तक रहा बालचंद को जमानत दी गई और बालचंद ने कोर्ट के इस भरोसे को बनाए रखा इसलिए उसे सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत दे दी गई. इस जजमेंट में कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियुक्त को जमानत देते समय जो सिक्योरिटी के लिए निश्चित रकम कोर्ट में जमा कराई जाती है उसके बदले अभियुक्त के किसी रिश्तेदार या यह संस्था में वह काम करता है वहां वहां से अभियुक्त की अंडरटेकिंग ली जाए तो वह ज्यादा बेहतर होगा|

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