Sarla Mudgal vs Union of India Case in Hindi | सरला मुद्गल बनाम भारत संघ

 Sarla Mudgal vs Union of India Case in Hindi |  सरला मुद्गल बनाम भारत संघ

Sarla Mudgal,President, Kalyani v/s Union of India, 1995 AIR 1531


पहले से शादीशुदा व्यक्ति द्वारा अपना धर्म बदल कर दूसरी शादी करता है तो क्या उसकी शादी जायज है? यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने तब आया जब सरला मुद्गल वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया का केस सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट के सामने कंपटीशन में इस तरह का सवाल सामने आया था कि एक हिंदू व्यक्ति जो पहले से शादीशुदा है वह अगर इस्लाम धर्म अपनाकर दूसरी शादी कर लेता है तो क्या उसकी पहली शादी खारिज हो जाएगी या उसकी दूसरी शादी लीगल नहीं मानी जाएगी और शादी करने वाला व्यक्ति आईपीसी की धारा 494 के अनुसार बाइगैमी के अपराध का दोषी माना जाएगा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति दूसरी शादी करने के लिए अगर इस्लाम में कन्वर्ट हो जाता है तो ऐसा नहीं है कि उसकी पहली शादी अपने आप खत्म हो जाएगी. और यह शादी तब तक जायज मानी जाएगी जब तक हिंदू मैरिज एक्ट के तहत इस शादी को खत्म नहीं किया जाता. दूसरी बात कोर्ट ने कहा कि अगर व्यक्ति धर्म बदल कर दूसरी शादी करता है तो दूसरी शादी सुनने मानी जाएगी यानी कानून की नजरों में उसकी कोई मान्यता नहीं है. इसीलिए दूसरी शादी करने पर भाई बाइगैमी दोषी पाया जाता है. क्योंकि शादीशुदा होते हुए दूसरे किसी व्यक्ति के साथ पति या पत्नी शादी कर लेते हैं तो उसे बाइगैमी के तहत सजा दी जाती है. मगर मगर इसमें अपवाद यह है कि अगर दूसरी शादी शुन्य है  तो वह बाइगैमी का दोषी नहीं माना जाएगा.

इसीलिए धर्म बदलकर की गई शादी मान्य नहीं होगी. अगर पहली शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत खत नहीं की गई है. और दूसरी शादी जमाने नहीं है तो इसमें 449 की धारा भी नहीं लगेगी. इस केस के माध्यम से देश में एक तरह की जागरूकता आई जो लोग सिर्फ दूसरी शादी करने के लिए अपना धर्म बदलते थे उनकी शादी माने नहीं है. मगर इस दूसरी शादी से पैदा होने वाले बच्चों की शिक्षा अधिकार है जब तक वह 18 साल के नहीं हो जाते. इस शादी से पैदा होने वाले बच्चों को उनके पिता का नाम मिलता है. इस केस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि सिर्फ दूसरी शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन करना गलत है और इसके द्वारा की गई शादी भी सुन्य मानी जाएगी.


Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले

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