D.K Basu vs. State of West Bengal Case in Hindi | डी के बासु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

 D.K Basu vs. State of West Bengal Case in Hindi |  डी के बासु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य


D K Basu Versus State of West Bengal (1997 (1) SCC 416)
D K Basu v. State of West Bengal (AIR 1997 SC 610) 

पुलिस द्वारा जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर उसे जेल में रखा जाता है.उस समय कुछ नियम और कानून का पालन किया जाता है. यह गाइडलाइन कोर्ट के द्वारा बनाई गई है जिसे कोर्ट ने डीके बसु वर्सेस स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल की केस में निर्धारित किया था. डीके बसु एग्जीक्यूटिव चेयरमैन थे लीगल एड सर्विस  वेस्ट बंगाल के. उन्होंने अखबार में एक दिन एक खबर पढ़ें और उसकी कटिंग 1 लेटर पर चिपका कर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भेज दिया.  उनका कहना था कि इसे लेटर पिटिशन मानते हुए इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए. इस पिटीशन में उन्होंने जेल में रह रहे कैदियों पर पुलिस के द्वारा किए जा रहे अत्याचार की जानकारी दी. कई बार हम सुनते हैं कि जेल में कैदी की मौत हो जाती है और उसके शरीर पर चोट के निशान पाए जाते हैं या महिला कैदी के साथ पुलिस द्वारा दुष्कर्म की शिकायत की जाती है. इसी की शिकायत डीके बसु ने अपने पीआईएल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में की. इस केस की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जो जजमेंट दिया उसमें उन्होंने जेल में कैद कैदियों के अधिकारों के सुरक्षा के लिए कुछ गाइडलाइंस दिए. कोर्ट का कहना था कि यह गाइडलाइंस पुलिस के द्वारा मानना अनिवार्य है.

कोर्ट द्वारा पुलिस को दिए गए गाइडलाइंस निम्नलिखित है

जब कभी भी पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर रही है वह कॉन्स्टेबल हो या अफसर गिरफ्तारी के समय पुलिस वाले की वर्दी पर उसका बैच पूरी सही तरीके से दिखाई देना चाहिए . 

जब भी किसी को गिरफ्तार किया जाएगा तो गिरफ्तारी मेमो बनाया जाएगा और यह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के रिश्तेदारों के सामने बनाया जाएगा.

जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाए तो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अधिकार है कि वह अपनी गिरफ्तारी की सूचना अपने परिवार वाले या संबंधियों तक पहुंचा सके. अगर गिरफ्तार किया गया व्यक्ति अपने जिले में नहीं है तो पुलिस इसकी सूचना उसके परिवार वालों तक पहुंचाएगी.

जब भी कोई व्यक्ति गिरफ्तार होता है तो यह उसका अधिकार है कि वह अपनी पसंद का वकील अपने लिए चुन सके.

पूछताछ के दौरान कैदी को अधिकार है कि उसका वकील उसके साथ मौजूद रहे.

जब भी कोई व्यक्ति गिरफ्तार होता है तो उसका मेडिकल करना अनिवार्य है ताकि उसकी बॉडी पर जिस भी तरह का चोट या जख्म है या नहीं है उसका पहले से पता चल सके.

अरे किए गए व्यक्ति का बार-बार मेडिकल किया जाना चाहिए क्यों कि कहीं जेल में उसके साथ अत्याचार तो नहीं हो रहा.

जब भी कोई व्यक्ति गिरफ्तार होता है तो पुलिस कंट्रोल रूम में इसकी सूचना जल्द से जल्द देनी चाहिए.

यह सब गाइडलाइंस डीके बसु के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई.


Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले

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