Section 9C The Industrial Disputes Act, 1947

 


Section 9C The Industrial Disputes Act, 1947: 


Setting up of Grievance Settlement Authorities and reference of certain individual disputes to such authorities.-

(1) The employer in relation to every industrial establishment in which fifty or more workmen are employed or have been employed on any day in the preceding twelve months, shall provide for, in accordance with the rules made in that behalf under this Act, a Grievance Settlement Authority for the settlement of industrial disputes connected with an individual workman employed in the establishment.

(2) Where an industrial dispute connected with an individual workman arises in an establishment referred to in sub- section (1), a workman or any trade union of workmen of which such workman is a member, refer, in such manner as may be prescribed such dispute to the Grievance Settlement Authority provided for by the employer under that sub- section for settlement.

(3) The Grievance Settlement Authority referred to in sub- section (1) shall follow such procedure and complete its proceedings within such period as may be prescribed.

(4) No reference shall be made under Chapter III with respect to any dispute referred to in this section unless such dispute has been referred to the Grievance Settlement Authority concerned and the decision of the Grievance Settlement Authority is not acceptable to any of the parties to the dispute.


Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 9C The Industrial Disputes Act, 1947: 

National Engineering Industries ... vs State Of Rajasthan And Ors on 1 December, 1999

Dharappa Sangappa Nandyal vs Bijapur Co-Operative Milk  on 26 April, 2007




औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 9ग का विवरण - 

शिकायत प्रतितोषण तंत्र की स्थापना-(1) ऐसे प्रत्येक औद्योगिक स्थापन में, जिसमें बीस या अधिक कर्मकार नियोजित हैं, व्यष्टिक शिकायतों से उद्भूत होने वाले विवादों के हल के लिए एक या अधिक शिकायत प्रतितोषण समिति होगी ।

(2) शिकायत प्रतितोषण समिति नियोजक और कर्मकारों से बराबर संख्या में सदस्यों से मिलकर बनेगी ।

(3) शिकायत प्रतितोषण समिति के अध्यक्ष का चयन नियोजक से और कर्मकारों में से आनुकल्पिक रूप में प्रत्येक वर्ष चक्रानुक्रम में किया जाएगा ।

(4) शिकायत प्रतितोषण समिति के सदस्यों की कुल संख्या छह से अधिक नहीं होगीः

परन्तु यदि शिकायत प्रतितोषण समिति में दो सदस्य हैं तो यथासाध्य एक महिला सदस्य होगी और यदि सदस्यों की संख्या दो से अधिक है तो महिला सदस्यों की संख्या में आनुपातिक रूप से वृद्धि की जा सकेगी ।

(5) इस धारा में किसी बात के होते हुए भी, शिकायत प्रतितोषण समिति के गठन से उसी विषय के संबंध में इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन औद्योगिक विवाद उठाने के कर्मकार के अधिकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

(6) शिकायत प्रतितोषण समिति, व्यथित पक्षकार द्वारा या उसकी ओर से लिखित आवेदन की प्राप्ति पर तीस दिन के भीतर अपनी कार्यवाहियों को पूरा कर सकेगी ।

(7) ऐसा कर्मकार, जो शिकायत प्रतितोषण समिति के विनिश्चय से व्यथित है, शिकायत प्रतितोषण समिति के विनिश्चय के विरुद्ध नियोजक को अपील कर सकेगा और नियोजक, ऐसी अपील की प्राप्ति की तारीख से एक मास के भीतर, उसका निपटारा करेगा और अपने विनिश्चय की एक प्रति संबंधित कर्मकार को भेजेगा ।

(8) इस धारा की कोई बात ऐसे कर्मकार को लागू नहीं होगी, जिसके लिए संबंधित स्थापन में स्थापित एक शिकायत प्रतितोषण तंत्र है ।]





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