Section 9A The Industrial Disputes Act, 1947
Section 9A The Industrial Disputes Act, 1947:
Notice of change.- No employer, who proposes to effect any change in the conditions of service applicable to any workman in respect of any matter specified in the Fourth Schedule, shall effect such change,--
(a) without giving to the workmen likely to be affected by such change a notice in the prescribed manner of the nature of the change proposed to be effected; or
(b) within twenty- one days of giving such notice: Provided that no notice shall be required for effecting any such change--
(a) where the change is effected in pursuance of any 1 settlement or award]; or
(b) where the workmen likely to be affected by the change are persons to whom the Fundamental and Supplementary Rules, Civil Services (Classification, Control and Appeal) Rules, Civil Services (Temporary Service) Rules, Revised Leave Rules, Civil Service Regulations, Civilians in Defence Services (Classification, Control and Appeal) Rules or the Indian Railway Establishment Code or any other rules or regulations that may be notified in this behalf by the appropriate Government in the Official Gazette, apply.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 9A The Industrial Disputes Act, 1947:
M/S. Lokmat Newspapers Pvt. Ltd vs Shankarprasad on 19 July, 1999
M/S. Lokmat Newspapers Pvt. Ltd vs Shankarprasad on 19 July, 1999
Caparo Engineering India Ltd. vs Ummed Singh Lodhi on 26 October, 2021
L. Robert D'Souza vs The Executive Engineer Southern on 16 February, 1982
Assam Match Company Limited vs Bijoy Lal Sen & Others on 27 April, 1973
Management Of Lndian Oil vs Its Workmen on 24 July, 1975
Hindustan Steel Works vs Hindustan Steel Works on 11 August, 2005
M/S. Tata Iron & Steel Co. Ltd vs The Workmen & Ors on 5 May, 1972
Hindustan Lever Ltd vs Ram Mohan Ray & Ors. (With on 7 March, 1973
The Life Insurance Corporation Of vs D. J. Bahadur & Ors on 10 November, 1980
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 9क का विवरण -
तब्दीली की सूचना-कोई भी नियोजक, जो किसी कर्मकार को लागू सेवा की शर्तों में किसी ऐसे विषय की बाबत, जो चतुर्थ अनुसूची में विनिर्दिष्ट है, कोई तब्दीली करने की प्रस्थापना करता है-
(क) ऐसे कर्मकार को, जिस पर ऐसी तब्दीली का प्रभाव पड़ना सम्भाव्य हो, प्रस्थापित तब्दीली की प्रकृति की विहित रीति से सूचना दिए बिना, अथवा
(ख) ऐसी सूचना देने के इक्कीस दिन के भीतर, ऐसी तब्दीली नहीं करेगाः
परन्तु ऐसी कोई तब्दीली करने के लिए उस दशा में किसी भी सूचना की अपेक्षा नहीं होगी जिसमें कि-
(क) तब्दीली 3[किसी समझौते या अधिनिर्णयट के अनुसरण में की गई है, अथवा
(ख) वे कर्मकार, जिन पर उस तब्दीली का प्रभाव पड़ना संभाव्य हो, ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें फंडामेंटल एण्ड सप्लीमेंटरी रूल्स अर्थात् मौलिक और अनुपूरक नियम, सिविल सर्विसेज (क्लासिफिकेशन, कन्ट्रोल एण्ड अपील) रूल्स अर्थात् सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, सिविल सर्विसेज (टेम्पोरेरी सर्विस) रूल्स अर्थात् सिविल सेवा (अस्थायी सेवा) नियम, रिवाइज्ड लीव रूल्स अर्थात् पुनरीक्षित छुट्टी नियम, सिविल सर्विस रेग्युलेशन्स अर्थात् सिविल सेवा विनियम, सिविलिन्स इन डिफेंस सर्विसेज (क्लासिफिकेशन, कन्ट्रोल एण्ड अपील) रूल्स अर्थात् रक्षा सेवाओं के सिविलियन (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, या भारतीय रेल स्थापन संहिता या कोई अन्य नियम या विनियम, जो समुचित सरकार द्वारा शासकीय राजपत्र में इस निमित्त अधिसूचित किए जाएं, लागू होते हैं ।
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