Section 9 The Industrial Disputes Act, 1947
Section 9 The Industrial Disputes Act, 1947:
Filling of vacancies.- If, for any reason a vacancy (other than a temporary absence) occurs in the office of the presiding officer of a Labour Court, Tribunal or National Tribunal or in the office of the chairman or any other member of a Board or Court, then, in the case of a National Tribunal, the Central Government and in any other case, the appropriate Government, shall appoint another person in accordance with the provisions of this Act to fill the vacancy, and the proceeding may be continued before the Labour Court, Tribunal, National Tribunal, Board or Court, as the case may be, from the stage at which the vacancy is filled.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 9 The Industrial Disputes Act, 1947:
The United Commercial Bank Ltd vs Their Workmen(And Other on 9 April, 1951
Express Newspapers (Private) vs The Union Of India And Others(And on 8 January, 1958
Express Newspapers (Private) vs The Union Of India (Uoi) And Ors. on 19 March, 1958
Minerva Mills Ltd vs Their Workers on 8 October, 1953
The Bharat Bank Ltd., Delhi vs The Employees Of The Bharat Bank on 1 March, 1950
S.D.Joshi & Ors vs High Court Of Judicature At Bombay on 11 November, 2010
S.D.Joshi & Ors vs High Court Of Judicature At Bombay on 11 November, 2010
The Bharat Bank Ltd., Delhi vs Employees Of The Bharat Bank on 26 May, 1950
Raj Kumar vs Dir.Of Education & Ors on 13 April, 2016
Workers Of The Industry vs Management Of The on 12 December, 1952
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 9 का विवरण -
बोर्डों आदि को गठित करने वाले आदेशों की अंतिमता-(1) समुचित सरकार का या केन्द्रीय सरकार का कोई भी आदेश, जिससे किसी व्यक्ति की नियुक्ति, बोर्ड या न्यायालय के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य के रूप में या श्रम न्यायालय, अधिकरण या राष्ट्रीय अधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में की गई है, किसी भी रीति से प्रश्नगत नहीं किया जाएगा; और किसी बोर्ड या न्यायालय के समक्ष का कोई भी कार्य या कार्यवाही ऐसे बोर्ड या न्यायालय में किसी रिक्ति के या उसके गठन में किसी त्रुटि के अस्तित्व के आधार पर ही किसी भी रीति से प्रश्नगत नहीं की जाएगी ।
(2) सुलह कार्यवाही के अनुक्रम में किया गया कोई भी समझौता केवल इस तथ्य के कारण ही अविधिमान्य नहीं होगा कि ऐसा समझौता, यथास्थिति, धारा 12 की उपधारा (6) में या धारा 13 की उपधारा (5) में निर्दिष्ट कालावधि के अवसान के पश्चात् किया गया था ।
(3) जहां कि बोर्ड के समक्ष की सुलह कार्यवाही के अनुक्रम में किए गए किसी समझौते की रिपोर्ट पर बोर्ड के अध्यक्ष और अन्य सभी सदस्य हस्ताक्षर कर देते हैं वहां ऐसा समझौता केवल इसी कारण अविधिमान्य नहीं होगा कि कार्यवाही के किसी भी प्रक्रम के दौरान बोर्ड के सदस्यों में से (जिनके अन्तर्गत अध्यक्ष आता है) कोई आकस्मिक अथवा अपूर्वकल्पित रूप में अनुपस्थित था ।]
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