Section 33B The Industrial Disputes Act, 1947
Section 33B The Industrial Disputes Act, 1947:
Power to transfer certain proceedings.-
(1) The appropriate Government may, by order in writing and for reasons to be stated therein, withdraw any proceeding under this Act pending before a Labour Court, Tribunal or National Tribunal and transfer the same to another Labour Court, Tribunal or National Tribunal, as the case may be, for the disposal of the proceeding and the Labour Court, Tribunal or National Tribunal to which the proceeding is so transferred may, subject to special directions in the order of transfer, proceed either de novo or from the stage at which it was so transferred: Provided that where a proceeding under section 33 or section 33A is pending before a Tribunal or National Tribunal, the proceeding may also be transferred to a Labour Court.
(2) Without prejudice to the provisions of sub- section (1), any Tribunal or National Tribunal, if so authorized by the appropriate Government, may transfer any proceeding under section 33 or section 33A pending before it to any one of the Labour Courts specified for the disposal of such proceedings by the appropriate Government by notification in the Official Gazette and the Labour Court to which the proceeding is so transferred shall dispose of the same.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 33B The Industrial Disputes Act, 1947:
Management Of M/S M.S. Nally vs State Of Bihar & Ors on 9 February, 1990
Associated Electrical vs Its Workmen on 1 March, 1960
P. D. Sharma vs State Bank Of India on 7 February, 1968
Bengal Chemical & vs Their Workmen on 28 January, 1959
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 33ख का विवरण -
कतिपय कार्यवाहियों को अन्तरित करने की शक्ति-(1) समुचित सरकार इस अधिनियम के अधीन किसी श्रम न्यायालय, अधिकरण या राष्ट्रीय अधिकरण के समक्ष लम्बित किसी कार्यवाही को लिखित आदेश द्वारा और ऐसे कारणों से जिन्हें उसमें लिखा जाएगा, प्रत्याहृत कर सकेगी और कार्यवाही को निपटाने के लिए, उसे, यथास्थिति, किसी अन्य श्रम न्यायालय, अधिकरण या राष्ट्रीय अधिकरण को अन्तरित कर सकेगी, और वह श्रम न्यायालय, अधिकरण या राष्ट्रीय अधिकरण, जिसे कार्यवाही ऐसे अन्तरित की गई है, अन्तरण आदेश में के विशेष निदेशों के अध्यधीन रहते हुए, या तो नए सिरे से या उस प्रक्रम से अग्रसर हो सकेगा जिस पर वह ऐसे अन्तरित की गई थी :
परन्तु जहां कि धारा 33 या धारा 33क के अधीन कोई कार्यवाही किसी अधिकरण या राष्ट्रीय अधिकरण के समक्ष लम्बित है वहां ऐसी कार्यवाही किसी श्रम न्यायालय को भी अन्तरित की जा सेकेगी ।
(2) यदि कोई अधिकरण या राष्ट्रीय अधिकरण समुचित सरकार द्वारा इस प्रकार प्राधिकृत किया गया हो, तो वह अपने समक्ष लम्बित धारा 33 या धारा 33क के अधीन की किसी कार्यवाही को, उपधारा (1) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उन श्रम न्यायालयों में से किसी एक को अन्तरित कर सकेगा, जिन्हें ऐसी कार्यवाहियां निपटाने के लिए शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा समुचित सरकार ने विनिर्दिष्ट किया हो और वह श्रम न्यायालय, जिसे कार्यवाही इस प्रकार अन्तरित की गई है, उसे निपटाएगा ।
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