Section 25FFF The Industrial Disputes Act, 1947
Section 25FFF The Industrial Disputes Act, 1947:
Compensation to workmen in case of closing down of undertakings.-
(1) Where an undertaking is closed down for any reason whatsoever, every workman who has been in continuous service fornot less than one year in that undertaking immediately before such closure shall, subject to the provisions of sub- section (2), be entitled to notice and compensation in accordance with the provisions of section 25F, as if the workman had been retrenched: Provided that where the undertaking is closed down on account of unavoidable circumstances beyond the control of the employer, the compensation to be paid to the workman under clause (b) of section 25F shall not exceed his average pay for three months. 1 Explanation.-- An undertaking which is closed down by reason merely of--
(i) financial difficulties (including financial losses); or
(ii) accumulation of undisposed of stocks; or
(iii) the expiry of the period of the lease or licence granted to it; or
(iv) in a case where the undertaking is engaged in mining operations, exhaustion of the minerals in the area in which such operations are carried on; shall not be deemed to be closed down on account of unavoidable circumstances beyond the control of the employer within the meaning of the proviso to this sub- section.]
(1A) 2 Notwithstanding anything contained in sub- section (1), where an undertaking engaged in mining operations is closed down by reason merely of exhaustion of the minerals in the area in which such operations are carried on, no workman referred to in that sub- section shall be entitled to any notice or compensation in accordance with the provisions of section 25F, if--
(a) the employer provides the workman with alternative employment with effect from the date of closure at the same remuneration as he was entitled to receive, and on the same terms and conditions of service as were applicable to him, immediately before the closure;
(b) the service of the workman has not been interrupted by such alternative employment; and
(c) the employer is, under the terms of such alternative employment or otherwise, legally liable to pay to the workman, in the event of his retrenchment, compensation on the basis that his service has been continuous and has not been interrupted by such alternative employment.(1B) For the purposes of sub- sections (1) and (1A), the expressions" minerals" and" mining operations" shall have the meanings respectively assigned to them in clauses (a) and (d) of section 3 of the Mines and Minerals (Regulation and Development) Act, 1957 (67 of 1957 ).]
(2) Where any undertaking set- up for the construction of buildings, bridges, roads, canals, dams or other construction work is closed down on account of the completion of the work within two years from the date on which the undertaking had been set- up, no workman employed therein shall be entitled to any compensation under clause (b) of section 25F, but if the construction work is not so completed within two years, he shall be entitled to notice and compensation under that section for every 1 completed year of continuous service] or any part thereof in excess of six months.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 25FFF The Industrial Disputes Act, 1947:
Avon Services (Production vs Industrial Tribunal, Haryana on 6 October, 1978
District Red Cross Society vs Babita Arora & Ors on 14 August, 2007
Management Of Hindustan Steel Ltd vs The Workmen & Ors on 12 January, 1973
Ramakrishna Ramnath vs The Presiding Officer, Labour on 27 February, 1970
Lal Mohammad & Ors vs Indian Railway Construction on 11 January, 2007
Bharat Barrel & Drum vs Bharat Barrel Employees Union on 9 April, 1987
Kalinga Tubes Ltd vs Their Workmen on 3 May, 1968
M/S Maruti Udyog Ltd vs Ram Lal & Ors on 25 January, 2005
Payment Of Wages Inspector vs Surajmal Mehta & Anr on 3 December, 1968
Isha Steel Treatment, Bombay vs Association Of Engineering on 25 February, 1987
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25चचच का विवरण -
उपक्रमों के बंद कर दिए जाने की दशा में कर्मकारों को प्रतिकर-(1) जहां कि कोई उपक्रम किसी भी कारणवश बन्द कर दिया जाता है वहां हर कर्मकार, जो ऐसी बन्दी से ठीक पहले उस उपक्रम में कम से कम एक वर्ष के लिए निरन्तर सेवा में रह चुका है, उपधारा (2) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए धारा 25च के उपबन्धों के अनुसार सूचना तथा प्रतिकर का वैसे ही हकदार होगा मानो उस कर्मकार की छंटनी की गई होः
परन्तु जहां कि उपक्रम नियोजक के नियंत्रण के परे की अपरिवर्जनीय परिस्थितियों के कारण बन्द किया गया है, वहां धारा 25च के खंड (ख) के अधीन कर्मकार को देय प्रतिकर तीन मास के उसके औसत वेतन से अधिक नहीं होगा ।
1[स्पष्टीकरण-उस उपक्रम के बारे में, जो केवल-
(i) वित्तीय कठिनाइयों के (जिनके अन्तर्गत वित्तीय हानियां आती हैं) कारण; या
(ii) अव्ययनित स्टाक के संचय के कारण; या
(iii)) उसे अनुदत्त पट्टे या अनुज्ञप्ति की अवधि के अवसान के कारण; या
(iv) उस दशा में जब कि उपक्रम खनन संक्रिया में लगा हो, उस क्षेत्र में खनिजों के निःशेषण के कारण, जिसमें ऐसी संक्रिया की गई हो,
बन्द किया गया है, यह नहीं समझा जाएगा कि वह इस उपधारा के परन्तुक के अर्थ के अन्दर नियोजक के नियंत्रण से परे की अपरिवर्जनीय परिस्थितियों के कारण बन्द किया गया है ।]
2[(1क) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां खनन संक्रियाओं में लगा हुआ कोई उपक्रम उस क्षेत्र में जिसमें ऐसी संक्रियाएं की जा रही हों, केवल खनिजों के निःशेषण के कारण बन्द किया गया है, वहां उस उपधारा में निर्दिष्ट कोई कर्मकार धारा 25च के उपबन्धों के अनुसार किसी सूचना या प्रतिकर का हकदार नहीं होगा, यदि-
(क) बन्द होने की तारीख से ही नियोजक कर्मकार के लिए उसी पारिश्रमिक पर जिसे प्राप्त करने का वह हकदार था, और सेवा के उन्हीं निबन्धनों और शर्तों पर, जो बन्द होने के ठीक पूर्व उसे लागू थीं, अनुकल्पी नियोजन की व्यवस्था कर देता है;
(ख) कर्मकार की सेवा ऐसे अनुकल्पी नियोजन से भंग न हुई हो; तथा
(ग) नियोजक कर्मकार को, उसकी छंटनी की दशा में, इस आधार पर कि उसकी सेवा निरन्तर चलती रही है और ऐसे अनुकल्पी नियोजन द्वारा भंग नहीं हुई है, ऐसे अनुकल्पी नियोजन के निबन्धनों के अधीन या अन्यथा प्रतिकर के संदाय का वैध रूप से दायी हो ।
(1ख) उपधारा (1) और (1क) के प्रयोजनार्थ “खनिजों" और “खनन संक्रियाओं" पदों के वे ही अर्थ होंगे जो खान तथा खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1957 (1957 का 67) की धारा 3 के खण्ड (क) तथा (घ) में क्रमशः उनके हैं ।]
(2) जहां कि भवनों, पुलों, सड़कों, नहरों या बांधों के सन्निर्माण के लिए या अन्य सन्निर्माण कामों के लिए स्थापित कोई उपक्रम काम के पूरे होने के कारण उस तारीख से, जिसको वह उपक्रम स्थापित किया गया था, दो वर्ष के भीतर बन्द कर दिया जाता है वहां, उसमें नियोजित कोई भी कर्मकार, धारा 25च के खंड (ख) के अधीन किसी प्रतिकर का हकदार नहीं होगा, किन्तु यदि वह सन्निर्माण काम इस प्रकार दो वर्ष के भीतर पूरा नहीं हो जाता हो तो वह कर्मकार 1[निरन्तर सेवा के हर संपूरित वर्ष] के लिए या छह मास से अधिक के उसके किसी भाग के लिए उस धारा के अधीन सूचना और प्रतिकर का हकदार होगा ।
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