Section 25C The Industrial Disputes Act, 1947

 

Section 25C The Industrial Disputes Act, 1947: 


Duty of an employer to maintain muster rolls of workmen. Notwithstanding that workmen in any industrial establishment have been laid- off, it shall be the duty of every employer to maintain for the purposes of this Chapter a muster roll and to provide for the making of entries therein by workmen who may present themselves for work at the establishment at the appointed time during normal working hours.


Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 25C The Industrial Disputes Act, 1947: 

The Management Of Indian Cable vs Its Workmen on 5 March, 1962

Batala Cooperative Sugar Mills  vs Sowaran Singh on 7 October, 2005

Excel Wear Etc vs Union Of India & Ors on 29 September, 1978

S.G. Chemical And Dyes Trading vs S.G. Chemicals And Dyes Trading on 3 April, 1986

Punjab Land Development  vs Presiding Officer, Labour on 4 May, 1990

Raj Kumar Gupta vs Lt. Governor, Delhi And Ors on 5 November, 1996

Managing Director, Karnataka vs Workmen Of Karnataka Pulpwood on 11 October, 2007




औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25 ग का विवरण - 

जिन कर्मकारों की कामबंदी की गई है उनका प्रतिकर के लिए अधिकार-जब कभी (बदली कर्मकार या आकस्मिक कर्मकार से भिन्न) किसी ऐसे कर्मकार की, जिसका नाम औद्योगिक स्थापन के मस्टर रोल में दर्ज है और जिसने किसी नियोजक के अधीन कम से कम एक वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी कर ली है, चाहे निरन्तर चाहे आन्तरायिक रूप से कामबन्दी की जाती है तब नियोजक, ऐसे साप्ताहिक अवकाश दिनों के सिवाय जो बीच में पड़ जाएं, उन सभी दिनों के लिए, जिनके दौरान उसकी इस प्रकार कामबन्दी की जाए, ऐसा प्रतिकर देगा जो उसकी उस आधारिक मजदूरी और मंहगाई भत्ते के योग के, जो उसकी इस प्रकार कामबन्दी न किए जाने पर संदेय होता, पचास प्रतिशत के बराबर होगाः

परन्तु यदि बाहर मास की किसी कालावधि के दौरान कर्मकार की पैंतालीस दिन से अधिक की इस प्रकार कामबन्दी की जाए तो उस कामबन्दी के प्रथम पैंतालीस दिन के अवसान के पश्चात् की किसी भी कालावधि की बाबत ऐसा कोई प्रतिकर उस दशा में संदेय नहीं होगा जिसमें कर्मकार और नियोजक के बीच उस भाव का कोई करार होः

परन्तु यह और कि पूर्वगामी परन्तुक के अन्तर्गत आने वाले किसी मामले में नियोजक के लिए यह विधिपूर्ण होगा कि वह उस कर्मकार की छंटनी धारा 25च में अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अनुसार उस कामबन्दी के प्रथम पैंतालीस दिन के अवसान के पश्चात् किसी भी समय कर दे, और जब ऐसा वह करता है तब पूर्ववर्ती बारह मास के दौरान कामबन्दी की जाने के लिए कर्मकार को दिया गया कोई भी प्रतिकर उस प्रतिकर में से मुजरा किया जा सकेगा जो छंटनी के लिए संदेय हो ।

स्पष्टीकरण-बदली कर्मकार" से वह कर्मकार अभिप्रेत है, जो किसी औद्योगिक स्थापन में किसी अन्य कर्मकार के स्थान पर नियुक्त है, जिसका नाम स्थापन के मस्टर रोल में दर्ज है, किन्तु यदि उसने स्थापन में एक वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी कर ली है तो इस धारा के प्रयोजन के लिए उसे ऐसा नहीं माना जाएगा ।]


 


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