Section 17A The Industrial Disputes Act, 1947
Section 17A The Industrial Disputes Act, 1947:
Commencement of the award.-
(1) An award (including an arbitration award) shall become enforceable on the expiry of thirty days from the date of its publication under section 17: Provided that--
(a) if the appropriate Government is of opinion, in any case where the award has been given by a Labour Court or Tribunal in relation to an industrial dispute to which it is a party; or
(b) if the Central Government is of opinion, in any case where the award has been given by a National Tribunal, that it will be inexpedient on public grounds affecting national economy or social justice to give effect to the whole or any part of the award, the appropriate Government, or as the case may be, the Central Government may, by notification in the Official Gazette, declare that the award shall not become enforceable on the expiry of the said period of thirty days.
(2) Where any declaration has been made in relation to an award under the proviso to sub- section (1), the appropriate Government or the Central Government may, within ninety days from the date of publication of the award under section 17, make an order rejecting or modifying the award, and shall, on the first available opportunity, lay the award together with a copy of the order before the Legislature of the State, if the order has been made by a State Government, or before Parliament, if the order has been made by the Central Government.
(3) Where any award as rejected or modified by an order made under sub- section (2) is laid before the Legislature of a State or before Parliament, such award shall become enforceable on the expiry of fifteen days from the date on which it is so laid; and where no order under sub- section (2) is made in pursuance of a declaration under the proviso to sub- section (1), the award shall become enforceable on the expiry of the period of ninety days referred to in sub- section (2).
(4) Subject to the provisions of sub- section (1) and sub- section (3) regarding the enforceability of an award, the award shall come into operation with effect from such date as may be specified therein, but where no date is so specified, it shall come into operation on the
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 17A The Industrial Disputes Act, 1947:
M/S. Haryana Suraj Malting Ltd. vs Phool Chand on 18 May, 2018
India General Navigation And vs Their Workmen on 14 October, 1959
Grindlays Bank Ltd vs Central Government Industrial on 12 December, 1980
Kishan Prakash Sharma & Ors vs Union Of India & Ors on 19 March, 2001
The Remington Rand Of India Ltd vs The Workmen on 11 August, 1967
M/S Sangham Tape Company vs Hans Raj on 27 September, 2004
The Management Of Hotel Imperial, vs Hotel Workers' Union on 21 May, 1959
The Sirsilk Ltd. And Others vs Government Of Andhra Pradesh &on 20 March, 1963
The State Of Bihar vs D. N. Ganguly & Others on 22 August, 1958
The Engineering Mazdoor Sabha vs The Hind Cycles Ltd., Bombay(And on 18 October, 1962
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 17क का विवरण -
अधिनिर्णय का प्रारंभ-(1) अधिनिर्णय (जिसके अन्तर्गत माध्यस्थम् पंचाट आता है) धारा 17 के अधीन प्रकाशन की तारीख से तीस दिन के अवसान पर प्रवर्तनीय हो जाएगाः
परन्तु-
(क) यदि किसी ऐसे मामले में, जिसमें किसी ऐसे औद्योगिक विवाद के सम्बन्ध में, जिसमें समुचित सरकार पक्षकार है, कोई अधिनिर्णय श्रम न्यायालय या अधिकरण ने दिया है, समुचित सरकार की यह राय हो, अथवा
(ख) यदि किसी ऐसे मामले में, जिसमें अधिनिर्णय राष्ट्रीय अधिकरण ने दिया, केन्द्रीय सरकार की यह राय हो,
कि राष्ट्रीय अर्थ-व्यवस्था या सामाजिक न्याय पर प्रभाव डालने वाले लोक आधारों पर पूरे अधिनिर्णय या उसके किसी भाग को प्रभावशील करना असमीचीन होगा तो, यथास्थिति, समुचित सरकार या केन्द्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में अभिसूचना द्वारा, यह घोषित कर सकेगी कि अधिनिर्णय तीस दिन की उक्त कालावधि के अवसान पर प्रवर्तनीय न होगा ।
(2) जहां कि किसी अधिनिर्णय के सम्बन्ध में कोई घोषणा उपधारा (1) के परन्तुक के अधीन की गई है, वहां समुचित सरकार या केन्द्रीय सरकार अधिनिर्णय की धारा 17 के अधीन प्रकाशन की तारीख से नब्बे दिन के भीतर अधिनिर्णय को प्रतिक्षेपित या उपान्तरित करने का आदेश कर सकेगी और अधिनिर्णय को, आदेश की प्रतिलिपि सहित, यदि आदेश राज्य सरकार द्वारा किया गया हो तो राज्य के विधान-मंडल के समक्ष, या यदि आदेश केन्द्रीय सरकार द्वारा किया गया हो तो संसद् के समक्ष प्रथम उपलभ्य अवसर पर रखेगी ।
(3) जहां कि उपधारा (2) के अधीन किए गए किसी आदेश के द्वारा यथा प्रतिक्षेपित या यथा उपान्तरित कोई अधिनिर्णय राज्य के विधान-मंडल के समक्ष या संसद् के समक्ष रखा गया है, वहां ऐसा अधिनिर्णय इस प्रकार रखे जाने की तारीख से पन्द्रह दिन के अवसान पर प्रवर्तनीय हो जाएगा, और जहां कि उपधारा (2) के अधीन का कोई आदेश उपधारा (1) के परन्तुक के अधीन की घोषणा के अनुसरण में नहीं किया गया है, वहां अधिनिर्णय उपधारा (2) में निर्दिष्ट नब्बे दिन की कालावधि के अवसान पर प्रवर्तनीय हो जाएगा ।
(4) अधिनिर्णयता की प्रवर्तनीयता के संबंध में उपधारा (1) और उपधारा (2) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, अधिनिर्णय उस तारीख को और से प्रवर्तन में आएगा जो उसमें विनिर्दिष्ट की जाए, किंतु जहां कोई तारीख ऐसे विनिर्दिष्ट नहीं की गई है वहां वह उस तारीख को प्रवर्तन में आएगा जिसको अधिनिर्णय, यथास्थिति, उपधारा (1) या उपधारा (3) के अधीन प्रवर्तनीय हो जाता है ।]
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