Section 13 The Industrial Disputes Act, 1947
Section 13 The Industrial Disputes Act, 1947:
Duties of Board.-
(1) Where a dispute has been referred to a Board under this Act, it shall be the duty of the Board to endeavour to bring about a settlement of the same and for this purpose the Board shall, in such manner as it thinks fit and without delay, investigate the dispute and all matters affecting the merits and the right settlement thereof and may do all such things as it thinks fit for the purpose of inducing the parties to come to a fair and amicable settlement of the dispute.
(2) If a settlement of the dispute or of any of the matters in dispute is arrived at in the course of the conciliation proceedings, the Board shall send a report thereof to the appropriate Government together with a memorandum of the settlement signed by the parties to the dispute.
(3) If no such settlement is arrived at, the Board shall, as soon as practicable after the close of the investigation, send to the appropriate
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 13 The Industrial Disputes Act, 1947:
Hindustan Lever vs Hindustan Lever Mazdoor Sabha on 28 September, 1993
State Of Bombay vs K. P. Krishnan And Others. (And on 18 April, 1960
N.T.C. (South Maharashtra) vs Rashtriya Mill Mazdoor Sangh And on 24 November, 1992
Payment Of Wages Inspector vs Surajmal Mehta & Anr on 3 December, 1968
M/S Maruti Udyog Ltd vs Ram Lal & Ors on 25 January, 2005
Tata Memorial Hospital Workers vs Tata Memporial Centre & Anr on 9 August, 2010
Chemicals & Fibres Of India Ltd vs D. G. Bhoir & Ors on 2 May, 1975
Gujarat Electricity vs Hind Mazdoor Sabha & Ors on 9 May, 1995
The Rajasthan State Road vs Krishna Kant Etc.Etc on 3 May, 1995
Air India Statutory Corporation vs United Labour Union & Ors on 6 November, 1996
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 13 का विवरण -
बोर्ड के कर्तव्य-(1) जहां कि कोई विवाद इस अधिनियम के अधीन बोर्ड को निर्देशित किया गया है, वहां बोर्ड का यह कर्तव्य होगा कि वह उसका समझौता कराने का प्रयास करे और बोर्ड इस प्रयोजन के लिए विवाद का तथा उसके गुणागुण और उसका ठीक समझौता होने पर प्रभाव डालने वाले सभी मामलों का अन्वेषण अविलम्ब और ऐसी रीति से, जैसी वह उचित समझे, करेगा और विवाद का ऋजु तथा सौहार्दपूर्ण समझौता करने के लिए पक्षकारों को उत्प्रेरित करने के प्रयोजनार्थ वे सभी बातें कर सकेगा, जिन्हें वह ठीक समझे ।
(2) यदि विवाद का या विवादग्रस्त मामलों में से किसी का भी समझौता सुलह कार्यवाहियों के अनुक्रम में हो जाता है तो बोर्ड समुचित सरकार को उसकी रिपोर्ट, विवाद के पक्षकारों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता-ज्ञापन सहित, भेजेगा ।
(3) यदि ऐसा कोई समझौता नहीं हो पाता है तो बोर्ड अन्वेषण समाप्त होने के पश्चात् यथासाध्य शीघ्रता से समुचित सरकार को पूरी रिपोर्ट भेजेगा, जिसमें विवाद से संबद्ध तथ्यों और परिस्थितियों का अभिनिश्चय करने और विवाद का समझौता कराने के लिए बोर्ड द्वारा की गई कार्यवाहियों और उठाए गए कदम, और साथ ही उन तथ्यों और परिस्थितियों का पूरा-पूरा विवरण, उन पर उसके निष्कर्ष और वे कारण जिनसे उसकी राय में समझौता नहीं हो सका तथा विवाद का अवधारण कराने के लिए उसकी सिफारिशें उपवर्णित होंगी ।
(4) यदि लोक उपयोगी सेवा से सम्बद्ध विवाद की बाबत उपधारा (3) के अधीन रिपोर्ट की प्राप्ति पर, समुचित सरकार धारा 10 के अधीन 5[श्रम न्यायालय, अधिकरण या राष्ट्रीय अधिकरण] को निर्देश नहीं करती तो वह उसके लिए अपने कारण अभिलिखित करेगी और सम्पृक्त पक्षकारों को संसूचित करेगी ।
(5) बोर्ड इस धारा के अधीन अपनी रिपोर्ट, उस तारीख से, 1[जिसको उसे विवाद निर्दिष्ट किया गया थाट दो मास के भीतर या ऐसी अल्पतर कालावधि के भीतर, जैसी समुचित सरकार द्वारा नियत की जाए, निवेदित करेगाः
परन्तु समुचित सरकार रिपोर्ट निवेदित करने का समय ऐसी अतिरिक्त कालावधियों के लिए, जो कुल मिलाकर दो मास से अधिक की न होंगी, समय-समय पर बढ़ा सकेगीः
परन्तु यह और कि रिपोर्ट निवेदित करने का समय इतनी कालावधि के लिए बढ़ाया जा सकेगा, जितनी के बारे में विवाद के सभी पक्षकारों में लिखित रूप में सहमति हो जाए ।
14. न्यायालयों के कर्तव्य-न्यायालय अपने को निर्देशित मामलों की जांच करेगा और उन पर अपनी रिपोर्ट समुचित सरकार को, जांच के प्रारम्भ से मामूली तौर पर छह महीनों की कालावधि के भीतर देगा ।
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