Section 89 Motor Vehicles Act, 1988
Section 89 Motor Vehicles Act, 1988 in Hindi and English
Section 89 of MV Act 1988 :- Appeals -- (1) Any person --
(a) aggrieved by the refusal of the State or a Regional Transport Authority to grant a permit, or by any condition attached to a permit granted to him, or
(b) aggrieved by the revocation or suspension of the permit or by any variation of the conditions thereof, or
(c) aggrieved by the refusal to transfer the permit under section 82, or
(d) aggrieved by the refusal of the State or a Regional Transport Authority to countersign a permit or by any condition attached to such countersignature, or
(e) aggrieved by the refusal or renewal of a permit, or
(f) aggrieved by the refusal to grant permission under section 83, or
(g) aggrieved by any other order which may be prescribed,
may, within the prescribed time and in the prescribed manner, appeals to the State Transport Appellate Tribunal constituted under sub-section (2), who shall, after giving such person and the original authority an opportunity of being heard, give a decision thereon which shall be final.
(2) The State Government shall constitute such number of Transport Appellate Tribunals as it thinks fit and each such Tribunal shall consist of a judicial officer who is not below the rank of a District Judge or who is qualified to be a Judge of the High Court and it shall exercise jurisdiction within such area as may be notified by that Government.
(3) Notwithstanding anything contained in sub-section (1) or sub- section (2), every appeal pending at the commencement of this Act, shall continue to be proceeded with and disposed of as if this Act had not been passed.
Explanation -- For the removal of doubts, it is hereby declared that when any order is made by the State Transport Authority or the Regional Transport Authority in pursuance of a direction issued by the Inter-State Transport Commission under clause (c) of sub-section (2) of section 63A of the Motor Vehicles Act, 1939 (4 of 1939), as it stood immediately before the commencement of this Act, and any person feels aggrieved by such order on the ground that it is not in consonance with such direction, he may appeal under sub-section (1) to the State Transport Appellate Tribunal against such order but not against the direction so issued.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 89 of Motor Vehicles Act, 1988:
Suleman Rehiman Mulani & Anr vs State Of Maharashtra on 1 December, 1967
State Of Karnataka vs Krishna Alias Raju on 1 January, 1987
State Of Karnataka vs Krishna Alias Raju on 21 January, 1987
State Of Andhra Pradesh & Others vs B.Noorulla Khan & Another Etc on 6 May, 2004
Gurudeth S/O Madhavan vs State Of Kerala on 18 July, 1988
Ashwani Kumar & Anr vs Regional Transport Authority on 1 September, 1999
U.P. State Road Transport vs Assistant Comnr.Of Police on 12 February, 2009
Punjab Roadways Moga vs Punjab Sahib Bus & Transport Co.& on 27 April, 2010
Shivappa vs State Of Karnataka on 29 November, 1994
Ashwani Kumar & Anr. vs Regional Transport Authority on 28 September, 1999
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 89 का विवरण : - अपील -- (1) कोई भी व्यक्ति, जो--
(क) राज्य या प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण द्वारा परमिट देने से इंकार करने या उसे दिए गए को परमिट पर लगाई गई किसी शर्त से व्यथित है, या
(ख) परमिट के प्रतिसंहरण या निलंबन से या उसकी शर्तों में किए गए किसी परिवर्तन से व्यथित है, या
(ग) धारा 82 के अधीन परमिट का अंतरण करने से इंकार करने से व्यथित है, या
(घ) राज्य के प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण द्वारा परमिट को प्रतिहस्ताक्षरित करने से इंकार करने या ऐसे प्रतिहस्ताक्षरण पर लगाई गई किसी शर्त से व्यथित है, या
(ङ) परमिट के नवीकरण से इंकार करने से व्यथित है, या
(च) धारा 83 के अधीन अनुज्ञा देने से इंकार करने से व्यथित है, या
(छ) किसी अन्य आदेश से, जो विहित किया जाए, व्यथित है,
उपधारा (2) के अधीन गठित राज्य परिवहन अपील अधिकरण को विहित समय के अंदर और विहित रीति से अपील कर सकेगा जो ऐसे व्यक्ति और मूल प्राधिकारी को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात् उसका विनिश्चय करेगा, जो अंतिम होगा ।
(2) राज्य सरकार, उतने परिवहन अपील अधिकरणों का गठन करेगी, जितने वह ठीक समझे और प्रत्येक ऐसे अधिकरण में ऐसा एक न्यायिक अधिकारी होगा, जो जिला न्यायाधीश की पंक्ति से नीचे का न हो या जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होने के लिए अर्हित हो और वह अधिकारिता का ऐसे क्षेत्र के भीतर प्रयोग करेगा, जो उस सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए ।
(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) में किसी बात के होते हुए भी, प्रत्येक अपील पर, जो इस अधिनियम के प्रारंभ पर लंबित है, इस तरह आगे कार्यवाही किया जाना और निपटाया जाना जारी रखा जाएगा मानो यह अधिनियम पारित नहीं हुआ था ।
स्पष्टीकरण -- शंकाओं को दूर करने के लिए इसके द्वारा घोषित किया जाता है कि जब राज्य परिवहन प्राधिकरण या प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण उस निदेश के अनुसरण में ऐसा कोई आदेश देता है, जो अंतरराज्य परिवहन आयोग ने मोटर यान अधिनियम, 1939 (1939 का 4) जो इस अधिनियम के प्रारंभ के ठीक पहले था, की धारा 63क की उपधारा (2) के खड (ग) के अधीन दिया है, और कोई व्यक्ति ऐसे आदेश से इस आधार पर व्यथित है कि वह आदेश ऐसे निदेश के अनुरूप नहीं है तब वह राज्य परिवहन अपील प्राधिकरण को ऐसे आदेश के विरुद्ध अपील उपधारा (1) के अधीन कर सकेगा, किन्तु ऐसे दिए गए निदेश के विरुद्ध अपील नहीं कर सकेगा ।
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