Section 114A Indian Evidence Act 1872
Section 114A Indian Evidence Act 1872 in Hindi and English
Section 114A Evidence Act 1872 :Presumption as to absence of consent in certain prosecution for rape -- In a prosecution for rape under clause (a), clause (b), clause (c), clause (d), clause (e), clause (f), clause (g), clause (h), clause (i), clause (j), clause (k), clause (1), clause (m) or clause (n) of sub-section (2) of section 376 of the Indian Penal Code (45 of 1860), where sexual intercourse by the accused is proved and the question is whether it was without the consent of the woman alleged to have been raped and such woman states in her evidence before the court that she did not consent, the court shall presume that she did not consent.
Presumption as to offences committed under section 354, section 354A, section 354B, section 354C, section 354D, section 509, section 509A or section 509B of the Indian Penal Code, 1860 -- When the question is whether a person has committed an offence under section 354, section 354A, section 354B, section 354C, section 354D, section 509, 509A, or section 509B of the Indian Penal Code and if the victim deposes before the court that she has been subjected to sexual harassment or her modesty was outraged or she was disrobed or she was stalked or her privacy was intruded or she was sexually harassed by any means, as the case may be, the court may, unless contrary is proved, presume that such offence has been committed by that person.”.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 114A Indian Evidence Act 1872:
Deepak vs State Of Haryana on 10 March, 2015
Mohan Lal & Anr vs State Of Punjab on 11 April, 2013
Puran Chand vs State Of H.P on 23 April, 2014
Puran Chand vs State Of H.P on 23 April, 1947
State Of Rajasthan vs Roshan Khan & Ors on 15 January, 1947
State Of Rajasthan vs Roshan Khan & Ors on 15 January, 2014
Santosh Prasad @ Santosh Kumar vs The State Of Bihar on 14 February, 2020
Rajoo & Ors vs State Of M.P on 3 December, 2008
Chandran @ Manichan @ Maniyan vs State Of Kerala on 4 April, 2011
Rajesh Patel vs State Of Jharkhand on 15 March, 2013
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 114-क का विवरण : - बलात्संग के लिए कतिपय अभियोजन में सम्मति के न होने के बारे में उपधारणा -- भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 376 की उपधारा (2) के खण्ड (क), खण्ड (ख), खण्ड (ग), खण्ड (घ), खण्ड (ङ), खण्ड (च), खण्ड (छ), खण्ड (ज), खण्ड (झ), खण्ड (ब), खण्ड (ट), खण्ड (ठ), खण्ड (ड) या खण्ड (ढ) के अधीन बलात्संग के किसी अभियोजन में, जहां अभियुक्त द्वारा मैथुन किया जाना साबित हो जाता है और प्रश्न यह है कि क्या वह उस स्त्री की, जिसके बारे में यह अभिकथन किया गया है कि उससे बलात्संग किया गया है, सम्मति के बिना किया गया और ऐसी स्त्री अपने साक्ष्य में न्यायालय के समक्ष यह कथन करती है कि उसने सम्मति नहीं दी थी, वहां न्यायालय यह उपधारणा करेगा कि उसने सम्मति नहीं दी थी।
स्पष्टीकरण -- इस धारा में “मैथुन" से भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 375 के खण्ड (क) से खण्ड (घ) में वर्णित कोई कार्य अभिप्रेत होगा।
राज्य संशोधन
छत्तीसगढ़ -- धारा 114क के पश्चात्, निम्नलिखित अंत:स्थापित किया जाए, अर्थात् :-
"114ख. भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 354, धारा 354क, धारा 354ख, धारा 354ग, धारा 354घ, धारा 509, धारा 509क या धारा 509ख के अधीन कारित अपराधों के संबंध में उपधारणा -- जब प्रश्न यह है कि क्या भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 354, धारा 354क, धारा 354ख, धारा 354ग, धारा 354घ, धारा 509, धारा 509क या धारा 509ख के अंतर्गत किसी व्यक्ति ने अपराध कारित किया है और यदि पीड़ित, न्यायालय के समक्ष यह कथन करती है कि उसका यौन उत्पीड़न हुआ या उसकी लज्जाभंग हुई अथवा उसके कपड़े उतारे गए अथवा उसका पीछा किया गया या उसकी निजता में हस्तक्षेप किया गया अथवा वह किन्हीं साधनों द्वारा यौन उत्पीड़ित की गई, यथास्थिति, वहां न्यायालय, जब तक कि विपरीत साबित न हो, तब तक यह उपधारणा कर सकेगा कि ऐसा अपराध उस व्यक्ति द्वारा कारित किया गया है।"
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