Section 8 CrPC
Section 8 CrPC in Hindi and English
Section 8 of CrPC 1973 :- 8. Metropolitan areas — (1) The State Government may, by notification, declare that, as from such date as may be specified in the notification, any area in the State comprising a city or town whose population exceeds one million shall be a metropolitan area for the purposes of this Code.
(2) As from the commencement of this Code, each of the Presidency-towns of Bombay, Calcutta and Madras and the city of Ahmedabad shall be deemed to be declared under sub-section (1) to be a metropolitan area.
(3) The State Government may, by notification, extend, reduce or alter the limits of a metropolitan area but the reduction or alteration shall not be so made as to reduce the population of such area to less than one million.
(4) Where, after an area has been declared, or deemed to have been declared to be, a metropolitan area, the population of such area falls below one million, such area shall, on and from such date as the State Government may, by notification, specify in this behalf, cease to be a metropolitan area; but notwithstanding such cesser, any inquiry, trial or appeal pending immediately before such cesser before any Court or Magistrate in such area shall continue to be dealt with under this Code, as if such cesser had not taken place.
(5) Where the State Government reduces or alters, under sub-section (3), the limits of any metropolitan area, such reduction or alteration shall not affect any inquiry, trial or appeal pending immediately before such reduction or alteration before any Court or Magistrate and every such inquiry, trial or appeal shall continue to be dealt with under this Code as if such reduction or alteration had not taken place.
Explanation - In this section, the expression “population” means the population as ascertained at the last preceding census of which the relevant figures have been published.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 8 of Criminal Procedure Code 1973:
Dr. M. Ismail Faruqui Etc, Mohd. vs Union Of India And Others on 24 October, 1994
State Of Andhra Pradesh vs P.V. Hanumantha Rao (D) Thr. Lrs. on 14 October, 2003
K.R.Suraj vs The Excise Inspector, on 4 December, 2000
Dr M. Ismail Frauqui And Ors. vs Union Of India (Uoi) And Ors. on 24 October, 1994
Balbir Singh Delhi Admn. Delhi vs D.N. Kadian, M.M. Delhi & Anr. D.N.on 10 December, 1985
Chandu Naik & Ors vs Sita Ram B. Naik & Anr on 6 December, 1977
Ram Deo Chauhan @ Raj Nath vs State Of Assam on 10 May, 2001
Konda Lakshmana Bapuji vs Govt. Of Andhra Pradesh & Ors on 29 January, 2002
Macquarie Bank Limited vs Shilpi Cable Technologies Ltd on 15 December, 2017
Ram Deo Chauhan @ Raj Nath vs State Of Assam on 10 May, 2001
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 8 का विवरण : - 8. महानगर क्षेत्र -- (1) राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा घोषित कर सकती है कि उस तारीख से; जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाए, राज्य का कोई क्षेत्र जिसमें ऐसा नगर या नगरी समाविष्ट है जिसकी जनसंख्या दस लाख से अधिक है, इस संहिता के प्रयोजनों के लिए महानगर क्षेत्र होगा।
(2) इस संहिता के प्रारंभ से, मुम्बई, कलकत्ता और मद्रास प्रेसिडेन्सी नगरों में से प्रत्येक और अहमदाबाद नगर, उपधारा (1) के अधीन महानगर क्षेत्र घोषित किए गए समझे जाएँगे।
(3) राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, महानगर क्षेत्र की सीमाओं को बढ़ा सकती है, कम कर सकती है या परिवर्तित कर सकती है, किन्तु ऐसी कमी या परिवर्तन इस प्रकार नहीं किया जाएगा कि उस क्षेत्र की जनसंख्या दस लाख से कम रह जाए।
(4) जहाँ किसी क्षेत्र के महानगर क्षेत्र घोषित किए जाने या घोषित समझे जाने के पश्चात् ऐसे क्षेत्र की जनसंख्या दस लाख से कम हो जाती है वहाँ ऐसा क्षेत्र, ऐसी तारीख को और उससे, जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, महानगर क्षेत्र नहीं रहेगा, किन्तु महानगर क्षेत्र न रहने पर भी ऐसी जाँच, विचारण या अपील जो ऐसे न रहने के ठीक पहले ऐसे क्षेत्र में किसी न्यायालय या मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित थी इस संहिता के अधीन इस प्रकार निपटाई जाएगी, मानो वह महानगर क्षेत्र हो ।
(5) जहाँ राज्य सरकार उपधारा (3) के अधीन, किसी महानगर क्षेत्र की सीमाओं को कम करती है या परिवर्तित करती है वहाँ ऐसी जाँच, विचारण या अपील पर जो ऐसे कम करने या परिवर्तन के ठीक पहले किसी न्यायालय या मजिस्ट्रेट के समक्ष लम्बित थी, ऐसे कम करने या परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं होगा और ऐसी प्रत्येक जाँच, विचारण या अपील इस संहिता के अधीन उसी प्रकार निपटाई जाएगी मानो ऐसी कमी या परिवर्तन न हुआ हो ।
स्पष्टीकरण -- इस धारा में 'जनसंख्या’ पद से नवीनतम पूर्ववर्ती जनगणना में यथा अभिनिश्चित वह जनसंख्या अभिप्रेत है, जिसके सुसंगत आँकड़े प्रकाशित हो चुके हैं।
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