Section 6 Indian Evidence Act 1872
Section 6 Indian Evidence Act 1872 in Hindi and English
Section 6 Evidence Act 1872 :Relevancy of facts forming part of same transaction -- Facts which, though not in issue, are so connected with a fact in issue as to form part of the same transaction, are relevant, whether they occurred at the same time and place or at different times and places.
Illustrations
(a) A is accused of the murder of B by beating him. Whatever was said or done by A or B or the by-standers at the beating, or so shortly before or after it as to form part of the transaction, is a relevant fact.
(b) A is accused of waging war against the Government of India by taking part in an armed insurrection in which property is destroyed, troops are attacked and goals are broken open. The occurrence of these facts is relevant, as forming part of the general transaction, though A may not have been present at all of them.
(c) A sues B for a libel contained in a letter forming part of a correspondence. Letters between the parties relating to the subject out of which the libel arose, and forming part of the correspondence in which it is contained, are relevant facts, though they do not contain the libel itself.
(d) The question is, whether certain goods ordered from B were delivered to A. The goods were delivered to several intermediate persons successively. Each delivery is a relevant fact.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 6 Indian Evidence Act 1872:
Radhy Shyam(D)Thr. Lrs & Ors vs State Of U.P.& Ors on 15 April, 2011
Dhal Singh Dewangan vs State Of Chhattisgarh on 23 September, 2016
State Of Maharashtra vs Kamal Ahmed Mohd. Vakil Ansari & on 14 March, 2013
Arjun Panditrao Khotkar vs Kailash Kushanrao Gorantyal on 14 July
Sukhar vs State Of Uttar Pradesh on 1 October, 1999
Anand Singh & Anr vs State Of U.P. & Ors on 28 July, 2010
Federation Of Obstetrics And vs Union Of India on 3 May, 2019
Bairon Singh vs State Of M.P on 29 May, 2009
Krishan Kumar Malik vs State Of Haryana on 4 July, 2011
Vijatabai & Ors vs Shriram Tukaram & Ors on 20 November, 1998
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 6 का विवरण : - एक ही संव्यवहार के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति -- जो तथ्य विवाद्य न होते हुए भी किसी विवाद्यक तथ्य से उस प्रकार संसक्त है कि वे एक ही संव्यवहार के भाग हैं, वे तथ्य सुसंगत हैं, चाहे वे उसी समय और स्थान पर या विभिन्न समयों और स्थानों पर घटित हुए हों।
दृष्टांत
(क) ख को पीटकर उसकी हत्या करने का क अभियुक्त है। क या ख या पास खड़े लोगों द्वारा जो कुछ भी पिटाई के समय या उससे इतने अल्पकाल पूर्व या पश्चात् कहा या किया गया था कि वह उसी संव्यवहार का भाग बन गया है, वह सुसंगत तथ्य है।
(ख) क एक सशस्त्र विप्लव में भाग लेकर, जिसमें संपत्ति नष्ट की जाती है, फौजों पर आक्रमण किया जाता है और जेलें तोड़कर खोली जाती हैं। भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने का अभियुक्त है। इन तथ्यों का घटित होना साधारण संव्यवहार का भाग होने के नाते सुसंगत है, चाहे क उन सभी में उपस्थित न रहा हो।
(ग) क एक पत्र में, जो एक पत्र-व्यवहार का भाग है, अन्तर्विष्ट अपमान-लेख के लिए ख पर वाद लाता है। जिस विषय में अपमान-लेख उद्भूत हुआ है, उससे संबंध रखने वाले पक्षकारों के बीच जितनी चिट्ठियाँ उस पत्र-व्यवहार का भाग हैं जिसमें वह अंतर्विष्ट हैं, वे सुसंगत तथ्य हैं, चाहे उनमें वह अपमान लेख स्वयं अन्तर्विष्ट न हो।
(घ) प्रश्न यह है कि क्या ख से आदिष्ट अमुक माल क को परिदत्त किया गया था। वह माल, अनुक्रमशः कई मध्यवर्ती व्यक्तियों को परिदत्त किया गया था। हर एक परिदान सुसंगत तथ्य है।
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