Section 470 CrPC
Section 470 CrPC in Hindi and English
Section 470 of CrPC 1973 :- 470. Exclusion of time in certain cases —
(1) In computing the period of limitation, the time during which any person has been prosecuting with due diligence another prosecution, whether in a Court of first instance or in a Court of appeal or revision, against the offender, shall be excluded :
Provided that no such exclusion shall be made unless the prosecution relates to the same facts and is prosecuted in good faith in a Court which from defect of jurisdiction or other cause of a like nature, is unable to entertain it.
(2) Where the institution of the prosecution in respect of an offence has been stayed by an injunction or order, then, in computing the period of limitation, the period of the continuance of the injunction or order, the day on which it was issued or made and the day on which it was withdrawn, shall be excluded.
(3) Where notice of prosecution for an offence has been given, or where, under any law for the time being in force, the previous consent or sanction of the Government or any other authority is required for the institution of any prosecution for an offence, then, in computing the period of limitation, the period of such notice or, as the case may be, the time required for obtaining such consent or sanction shall be excluded.
Explanation — In computing the time required for obtaining the consent or sanction of the Government or any other authority, the date on which the application was made for obtaining the consent or sanction and the date of receipt of the order of the Government or other authority shall both be excluded.
(4) In computing the period of limitation, the time during which the offender
(a) has been absent from India or from any territory outside India which is under the administration of the Central Government, or
(b) has avoided arrest by absconding or concealing himself, shall be excluded.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 470 of Criminal Procedure Code 1973:
Rakesh Kumar Jain vs State Through Cbi on 8 August, 2000
Mahendra Singh Saini vs State Of Uttrakhand & Anr on 15 April, 2008
Sarah Mathew vs Inst., Cardio Vascular Diseases & on 26 November, 2013
Surinder Mohan Vikal vs Ascharaj Lal Chopra on 28 February, 1978
State Of Maharashtra vs Keshav Ramchandra Pangare And Anr on 1 November, 1999
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 470 का विवरण : - 470. कुछ दशाओं में समय का अपवर्जन --
(1) परिसीमा-काल की संगणना करने में, उस समय का अपवर्जन किया जाएगा, जिसके दौरान कोई व्यक्ति चाहे प्रथम बार के न्यायालय में या अपील या पुनरीक्षण न्यायालय में अपराधी के विरुद्ध अन्य अभियोजन सम्यक् तत्परता से चला रहा है :
परन्तु ऐसा अपवर्जन तब तक नहीं किया जाएगा जब तक अभियोजन उन्हीं तथ्यों से संबंधित न हो और ऐसे न्यायालय में सद्भावपूर्वक न किया गया हो जो अधिकारिता में दोष या इसी प्रकार के अन्य कारण से उसे ग्रहण करने में असमर्थ हो ।
(2) जहाँ किसी अपराध की बाबत अभियोजन का संस्थित किया जाना किसी व्यादेश या आदेश द्वारा रोक दिया गया है वहाँ परिसीमा-काल की संगणना करने में व्यादेश या आदेश के बने रहने की अवधि को, उस दिन को, जिसको वह जारी किया गया था या दिया गया था और उस दिन को, जिस दिन उसे वापस लिया गया था, अपवर्जित किया जाएगा।
(3) जहाँ किसी अपराध के अभियोजन के लिए सूचना दी गई है, या जहाँ तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी की पूर्व अनुमति या मंजूरी किसी अपराध की बाबत अभियोजन संस्थित करने के लिए अपेक्षित है वहाँ परिसीमा-काल की संगणना करने में, ऐसी सूचना की अवधि या, यथास्थिति, ऐसी अनुमति या मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवश्यक समय अपवर्जित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण -- सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी की अनुमति या मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवश्यक समय की संगणना करने में उस तारीख का जिसको अनुमति या मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया गया था और उस तारीख का जिसको सरकार या अन्य प्राधिकारी का आदेश प्राप्त हुआ, दोनों का अपवर्जन किया जाएगा।
(4) परिसीमा-काल की संगणना करने में, वह समय अपवर्जित किया जाएगा जिसके दौरान अपराधी--
(क) भारत से या भारत से बाहर किसी राज्यक्षेत्र से, जो केन्द्रीय सरकार के प्रशासन के अधीन है, अनुपस्थित रहा है, या
(ख) फरार होकर या अपने को छिपाकर गिरफ्तारी से बचता है।
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