Section 461 CrPC

 

Section 461 CrPC in Hindi and English



Section 461 of CrPC 1973 :- 461. Irregularities which vitiate proceedings -

If any Magistrate, not being empowered by law in this behalf, does any of the following things, namely :

(a) attaches and sells property under section 83;

(b) issues a search warrant for a document, parcel or other things in the custody of a postal or telegraph authority;

(c) demands security to keep the peace;

(d) demands security for good behaviour;

(e) discharges a person lawfully bound to be of good behaviour;

(f) cancels a bond to keep the peace;

(g)makes an order for maintenance;

(h) makes an order under section 133 as to a local nuisance;

(i) prohibits, under section 143, the repetition or continuance of a public nuisance;

(j) makes an order under Part C or Part D of Chapter X;

(k) takes cognizance of an offence under clause (c) of sub-section (1) of section 190;

(l) tries an offender;

(m) tries an offender summarily;

(n) passes a sentence, under section 325, on proceedings recorded by another Magistrate;

(o) decides an appeal;

(p) calls, under section 397, for proceedings; or

(q) revises an order passed under section 446, his proceedings shall be void.




Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 461 of Criminal Procedure Code 1973:

Nupur Talwar vs Cbi & Anr on 7 June, 2012

Nitinbhai Saevantilal Shah & Anr vs Manubhai Manjibhai Panchal & Anr on 1 September, 2011

P.C.Mishra vs State(C.B.I) & Anr on 27 March, 2014

Ramesh vs State Tr.Insp.Of Police on 1 August, 2014

P.C.Mishra vs State(C.B.I) & Anr on 27 March, 1947

Dhannjay Ram Sharma vs M.S. Uppadaya And Ors. on 11 March, 1960

Securities And Exchange Board Of vs Gaurav Varshney And Anr on 15 July, 2016

Rosy And Anr vs State Of Kerala And Ors on 10 January, 2000

Mukesh Singh vs State (Narcotic Branch Of Delhi) on 31 August, 2020




दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 461 का विवरण :  -  461. वे अनियमितताएँ जो कार्यवाही को दूषित करती हैं --

यदि कोई मजिस्ट्रेट, जो निम्नलिखित बातों में से कोई बात विधि द्वारा इस निमित्त सशक्त न होते हुए, करता है तो उसकी कार्यवाही शून्य होगी, अर्थात्--

(क) संपत्ति को धारा 83 के अधीन कुर्क करना और उसका विक्रय;

(ख) किसी डाक या तार प्राधिकारी की अभिरक्षा में की किसी दस्तावेज, पार्सल या अन्य चीज के लिए तलाशी वारण्ट जारी करना; परिशांति कायम रखने के लिए प्रतिभूति की मांग करनाः

(घ) सदाचार के लिए प्रतिभूति की मांग करना;

(ड.) सदाचारी बने रहने के लिए विधिपूर्वक आबद्ध व्यक्ति को उन्मोचित करना;

(च) परिशांति कायम रखने के बंधपत्र को रद्द करना;

(छ) भरणपोषण के लिए आदेश देना;

(ज) स्थानीय न्यूसेन्स के बारे में धारा 133 के अधीन आदेश देना;

(झ) लोक न्यूसेन्स की पुनरावृत्ति या उसे चालू रखने का धारा 143 के अधीन प्रतिषेध करना;

(ब) अध्याय 10 के भाग ग या भाग घ के अधीन आदेश देना; 

(ट) किसी अपराध की धारा 190 की उपधारा (1) के खण्ड (ग) के अधीन संज्ञान करना;

(ठ) किसी अपराधी का विचारण करना;

(ड) किसी अपराधी का संक्षेपतः विचारण करना;

(ढ) किसी अन्य मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित कार्यवाही पर धारा 325 के अधीन दण्डादेश पारित करना;

(ण) अपील का विनिश्चय करना;

(त) कार्यवाही को धारा 397 के अधीन मंगाना; अथवा

(थ) धारा 446 के अधीन पारित आदेश का पुनरीक्षण करना।



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