Section 456
Section 456 CrPC in Hindi and English
Section 456 of CrPC 1973 :- 456. Power to restore possession of immovable property —
(1) When a person is convicted of an offence attended by criminal force or show of force or by criminal intimidation and it appears to the Court that, by such force or show of force or intimidation, any person has been dispossessed of any immovable property, the Court may, if it thinks fit, order that possession of the same be restored to that person after evicting by force, if necessary, any other person who may be in possession of the property :
Provided that no such order shall be made by the Court more than one month after the date of the conviction.
(2) Where the Court trying the offence has not made an order under sub-section (1), the Court of appeal, confirmation or revision may, if it thinks fit, make such order while disposing of the appeal, reference or revision, as the case may be.
(3) Where an order has been made under sub-section (1), the provisions of section 454 shall apply in relation thereto as they apply in relation to an order under section 453.
(4) No order made under this section shall prejudice any right or interest to or in such immovable property which any person may be able to establish in a civil suit.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 456 of Criminal Procedure Code 1973:
H.P Gupta vs Manohar Lal And Ors on 3 November, 1978
Smt. Kanwal Sood vs Nawal Kishore And Another on 26 November, 1982
Nidhi Kaim vs State Of M P And Ors Etc on 12 May, 2016
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 456 का विवरण : - 456, स्थावर संपत्ति का कब्जा लौटाने की शक्ति --
(1) जब आपराधिक बल या बल-प्रदर्शन या आपराधिक अभित्रास से युक्त किसी अपराध के लिए कोई व्यक्ति दोषसिद्ध किया जाता है और न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि ऐसे बल या बल प्रदर्शन या अभित्रास से कोई व्यक्ति किसी स्थावर संपत्ति से बेकब्जा किया गया है तब, यदि न्यायालय ठीक समझे तो, आदेश दे सकता है किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसका उस संपत्ति पर कब्जा है यदि आवश्यक हो तो, बल द्वारा बेदखल करने के पश्चात्, उस व्यक्ति को उसका कब्जा लौटा दिया जाए :
परन्तु न्यायालय द्वारा ऐसा कोई आदेश दोषसिद्धि की तारीख से एक मास के पश्चात् नहीं दिया जाएगा ।
(2) जहाँ अपराध का विचारण करने वाले न्यायालय ने उपधारा (1) के अधीन कोई आदेश नहीं दिया है, वहाँ अपील, पुष्टीकरण या पुनरीक्षण न्यायालय, यदि ठीक समझे तो, यथास्थिति, अपील, निर्देश या पुनरीक्षण को निपटाते समय ऐसा आदेश दे सकता है।
(3) जहाँ उपधारा (1) के अधीन आदेश दिया गया है, वहाँ धारा 454 के उपबंध उसके संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे धारा 453 के अधीन दिए गए किसी आदेश के संबंध में लागू होते हैं।
(4) इस धारा के अधीन दिया गया कोई आदेश ऐसी स्थावर संपत्ति पर किसी ऐसे अधिकार या उसमें किसी ऐसे हित पर प्रतिकूल प्रभाव न डालेगा जिसे कोई व्यक्ति सिविल वाद में सिद्ध करने में सफल हो जाता है।
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