Section 269 CrPC
Section 269 CrPC in Hindi and English
Section 269 of CrPC 1973 :- 269. Officer in charge of prison to abstain from carrying out order in certain contingencies – Where the person in respect of whom an order is made under section 267
(a) is by reason of sickness or infirmity unfit to be removed from the prison; or
(b) is under committal for trial or under remand pending trial or pending a preliminary investigation; or
(c) is in custody for a period which would expire before the expiration of the time required for complying with the order and for taking him back to the prison in which he is confined or detained; or
(d) is a person to whom an order made by the State Government under section 268 applies, the officer in charge of the prison shall abstain from carrying out the Court's order and shall send to the Court a statement of reasons for so abstaining :
Provided that where the attendance of such person is required for giving evidence at a place not more than twenty-five kilometres distance from the officer in charge of the prison shall not so abstain for the reason mentioned in clause (b).
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 269 of Criminal Procedure Code 1973:
Dhirendra Kumar Mandal vs The Superintendent on 20 April, 1954
Santosh Kumari vs State Of J & K & Ors on 13 September, 2011
The State Of West Bengal vs Anwar Ali Sarkar on 11 January, 1952
The State Of Uttar Pradesh vs Jail Superintendent (Ropar) on 26 March, 2021
The State Of West Bengal vs Anwar All Sarkarhabib on 11 January, 1952
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 269 का विवरण : - 269. कारागार के भारसाधक अधिकारी का कतिपय आकस्मिकताओं में आदेश को कार्यान्वित न करना -- जहाँ वह व्यक्ति, जिसके बारे में धारा 267 के अधीन कोई आदेश दिया गया है--
(क) बीमारी या अंग-शैथिल्य के कारण कारागार से हटाए जाने के योग्य नहीं है; अथवा
(ख) विचारण के लिए सुपुर्दगी के अधीन है या विचारण के लंबित रहने तक के लिए या प्रारंभिक अन्वेषण तक के लिए प्रतिप्रेषणाधीन है; अथवा
(ग) इतनी अवधि के लिए अभिरक्षा में है जितनी आदेश का अनुपालन करने के लिए और उस कारागार में जिसमें वह परिरुद्ध या निरुद्ध है, उसे वापस ले आने के लिए अपेक्षित समय के समाप्त होने के पूर्व समाप्त होती है; अथवा
(घ) ऐसा व्यक्ति है जिसे धारा 268 के अधीन राज्य सरकार द्वारा दिया गया कोई आदेश लागू होता है, वहाँ कारागार का भारसाधक अधिकारी न्यायालय के आदेश को कार्यान्वित नहीं करेगा और ऐसा न करने के कारणों का विवरण न्यायालय को भेजगा :
परन्तु जहाँ ऐसे व्यक्ति से किसी ऐसे स्थान पर, जो कारागार से पच्चीस किलोमीटर से अधिक दूर नहीं है, साक्ष्य देने के लिए हाजिर होने की अपेक्षा की जाती है, वहाँ कारागार के भारसाधक अधिकारी के ऐसा न करने का कारण खण्ड (ख) में वर्णित कारण नहीं होगा।
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