Section 265A CrPC

 Section 265A CrPC in Hindi and English



Section 265A of CrPC 1973 :- 265A. Application of the Chapter — (1) This Chapter shall apply in respect of an accused against whom

(a) the report has been forwarded by the officer in charge of the police station under section 173 alleging therein that an offence appears to have been committed by him other than an offence for which the punishment of death or of imprisonment for life or of imprisonment for a term exceeding seven years has been provided under the law for the time being in force; or

(b) a Magistrate has taken cognizance of an offence on complaint, other than an offence for which the punishment of death or of imprisonment for life or of imprisonment for a term exceeding seven years, has been provided under the law for the time being in force, and after examining complainant and witnesses Te s under section 200, issued the process under section 204, but does not apply where such offence affects the socio-economic condition of the country or has been committed against a woman, or a child below the age of fourteen years.

(2) For the purposes of sub-section (1), the Central Government shall, by notification, determine the offences under the law for the time being in force which shall be the offences affecting the socio-economic condition of the country.



Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 265A of Criminal Procedure Code 1973:



दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 265क का विवरण :  -  265 क. अध्याय का लागू होना -- (1) यह अध्याय ऐसे अभियुक्त के संबंध में लागू होगा जिसके विरुद्ध--

(क) पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा धारा 173 के अधीन यह अभिकथित करते हुए रिपोर्ट अग्रेषित की गई है कि उसके द्वारा ऐसे अपराध से भिन्न कोई अपराध किया गया प्रतीत होता है, जिसके लिए तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन मृत्यु या आजीवन कारावास या सात वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास के दंड का उपबंध है; या

(ख) मजिस्ट्रेट ने परिवाद पर उस अपराध का, संज्ञान ले लिया है जो उस अपराध से भिन्न है, जिसके लिए तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन मृत्यु या आजीवन कारावास या सात वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास के दंड का उपबंध है और धारा 200 के अधीन परिवादी और साक्षी की परीक्षा करने के पश्चात् धारा 204 के अधीन आदेशिका जारी की है, किंतु यह अध्याय वहाँ लागू नहीं होगा जहाँ ऐसा अपराध देश की सामजिक-आर्थिक दशा को प्रभावित करता है या किसी महिला अथवा चौदह वर्ष की आयु से कम के बालक के विरुद्ध किया गया है।

(2) उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए, केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन वे अपराध अवधारित करेगी जो देश की सामाजिक-आर्थिक दशा को प्रभावित करते हैं।



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