Section 256 CrPC
Section 256 CrPC in Hindi and English
Section 256 of CrPC 1973 :- 256. Non-appearance or death of complainant —
(1) If the summons has been issued on complaint, and on the day appointed for the appearance of the accused, or any day subsequent thereto to which the hearing may be adjourned, the complainant does not appear, the Magistrate shall, notwithstanding anything hereinbefore contained, acquit the accused, unless for some reason he thinks it proper to adjourn the hearing of the case to some other day.
Provided that where the complainant is represented by a pleader or by the officer conducting the prosecution or where the Magistrate is of opinion that the personal attendance of the complainant is not necessary, the Magistrate may dispense with his attendance and proceed with the case.
(2) The provisions of sub-section (1) shall, so far as may be, apply also to cases where the non-appearance of the complainant is due to his death.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 256 of Criminal Procedure Code 1973:
S. Anand vs Vasumathi Chandrasekar on 14 February, 2008
S. Rama Krishna vs S. Rami Reddy (D) By His Lrs. & Ors on 29 April, 2008
Satish Sharma vs Pinki Dhawan on 12 March, 2007
The Associated Cement Co. Ltd vs Keshvanand on 16 December, 1997
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 256 का विवरण : - 256. परिवादी का हाजिर न होना या उसकी मृत्यु --
(1) यदि परिवाद पर समन जारी कर दिया गया हो और अभियुक्त की हाजिरी के लिए नियत दिन, या उसके पश्चात्वर्ती किसी दिन, जिसके लिए सुनवाई स्थगित की जाती है, परिवादी हाजिर नहीं होता है, तो, मजिस्ट्रेट इसमें इसके पूर्व किसी बात के होते हुए भी, अभियुक्त को दोषमुक्त कर देगा जब तक कि वह किन्हीं कारणों से किसी अन्य दिन के लिए मामले की सुनवाई स्थगित करना ठीक न समझे :
परन्तु जहाँ परिवादी का प्रतिनिधित्व प्लीडर द्वारा या अभियोजन का संचालन करने वाले अधिकारी द्वारा किया जाता है या जहाँ मजिस्ट्रेट की यह राय है कि परिवादी की वैयक्तिक हाजिरी आवश्यक नहीं है, वहाँ मजिस्ट्रेट उसकी हाजिरी से उसे अभिमुक्ति दे सकता है और मामले में कार्यवाही कर सकता है।
(2) उपधारा (1) के उपबंध, जहाँ तक हो सके, उन मामलों को भी लागू होंगे, जहाँ परिवादी के हाजिर न होने का कारण उसकी मृत्यु है।
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