Section 209 Motor Vehicles Act, 1988
Section 209 Motor Vehicles Act, 1988 in Hindi and English
Section 209 of MV Act 1988 :- Restriction on conviction -- No person prosecuted for an offence punishable under section 183 or section 184 shall be convicted unless --
(a) he was warned at the time the offence was committed that the question of prosecuting him would be taken into consideration, or
(b) within fourteen days from the commission of the offence, a notice specifying the nature of the offence and the time and place where it is alleged to have been committed was served on or sent by registered post to him or the person registered as the owner of the vehicle at the time of the commission of the offence, or
(c) within twenty-eight days of the commission of the offence, a summons for the offence was served on him :
Provided that nothing, in this section shall apply where the Court is satisfied that--
(a) the failure to serve the notice or summons referred to in this sub section was due to the fact that neither the name and address of the accused nor the name and address of the registered owner of the vehicle could with reasonable diligence have been ascertained in time, or
(b) such failure was brought about by the conduct of the accused.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 209 of Motor Vehicles Act, 1988:
The State Of Arunachal Pradesh vs Ramchandra Rabidas @ Ratan ... on 4 October, 2019
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 209 का विवरण : - दोषसिद्धि पर निर्बंधन -- धारा 183 या धारा 184 के अधीन दण्डनीय अपराध के लिए अभियोजित कोई भी व्यक्ति तभी दोषसिद्ध किया जाएगा जब --
(क) अपराध किए जाने के समय उसे यह चेतावनी दे दी गई थी कि उसका अभियोजन करने के प्रश्न पर विचार किया जाएगा, या
(ख) अपराध किए जाने के चौदह दिन के भीतर अपराध का स्वरूप तथा वह समय और स्थान जहां उसका किया जाना अभिकथित है, विनिर्दिष्ट करने वाली सूचना की तामील उस पर या अपराध किए जाने के समय यान के स्वामी के रूप में रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति पर कर दी गई थी या रजिस्ट्रीकृत डाक द्वारा भेज दी गई थी, या
(ग) अपराध किए जाने के अट्ठाईस दिन के भीतर उस पर अपराध के लिए समन की तामील कर दी गई थी :
परन्तु इस धारा की कोई बात वहां लागू न होगी जहां न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि--
(क) इस उपधारा में निर्दिष्ट सूचना या समन की तामील में असफलता इस बात के कारण हुई थी कि न तो अभियुक्त व्यक्ति का नाम और पता और न यान के रजिस्ट्रीकृत स्वामी का नाम और पता ही समुचित तत्परता से समय के भीतर अभिनिश्चित किया जा सका था, या
(ख) ऐसी असफलता अभियुक्त के आचरण के कारण हुई थी।
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