Section 176 CrPC
Section 176 CrPC in Hindi and English
Section 176 of CrPC 1973 :- 176. Inquiry by Magistrate into cause of death —
(1) When the case is of the nature referred to in clause (i) or clause (ii) of sub-section (3) of section 1741. the nearest Magistrate empowered to hold inquests shall and in any other case mentioned in sub-section (1) of section 174, any Magistrate so empowered may hold an inquiry into the cause of death either instead of, or in addition to the investigation held by the police officer; and if he does so, he shall have all the powers in conducting it which he would have in holding an inquiry into an offence.
(1-A) Where
(a) any person dies or disappears, or
(b) rape is alleged to have been committed on any woman, while such person or woman is in the custody of the police or in any other custody authorised by the Magistrate or the Court, under this Code in addition to the inquiry or investigation held by the police, an inquiry shall be held by the Judicial Magistrate or the Metropolitan Magistrate, as the case may be, within whose local jurisdiction the offence has been committed.
(2) The Magistrate holding such an inquiry shall record the evidence taken by him in connection therewith in any manner hereinafter prescribed according to the circumstances of the case.
(3) Whenever such Magistrate considers it expedient to make an examination of the dead body of any person who has been already interred, in order to discover the cause of his death, the Magistrate may cause the body to be disinterred and examined.
(4) Where an inquiry is to be held under this section, the Magistrate shall, wherever practicable, inform the relatives of the deceased whose names and addresses are known and shall allow them to remain present at the inquiry.
(5) The Judicial Magistrate or the Metropolitan Magistrate or Executive Magistrate or police officer holding an inquiry or investigation, as the case may be, under sub-section (1-A) shall, within twenty-four hours of the death of a person, forward the body with a view to its being examined to the nearest Civil Surgeon or other qualified medical man appointed in this behalf by the State Government, unless it is not possible to do so for reasons to be recorded in writing.]
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 176 of Criminal Procedure Code 1973:
Sadhu Ram & Another vs The State Of Rajasthan on 10 April, 2003
Smt. Nilabati Behera Alias Lalit vs State Of Orissa And Ors on 24 March, 1993
Rajiv Thapar & Ors vs Madan Lal Kapoor on 23 January, 2013
Asokan vs State Rep. By Public Prosecutor, on 5 April, 2000
Madhu @ Madhuranatha & Anr vs State Of Karnataka on 28 November, 2013
Tehseen Poonawalla vs Union Of India on 19 April, 2018
Shamima Kauser vs Union Of India & Ors on 19 April, 2010
Shamima Kauser vs Union Of India & Ors on 19 April, 2010
Dinubhai Boghabhai Solanki vs State Of Gujarat & Ors on 25 February, 2014
Dr. Subramanian Swamy vs Arun Shourie on 23 July, 2014
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 176 का विवरण : - 176. मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जांच --
(1) जब मामला धारा 174 की उपधारा (3) के खण्ड (i) या खण्ड (ii) में निर्दिष्ट प्रकृति का है तब मृत्यु के कारण की जांच, पुलिस अधिकारी द्वारा किए जाने वाले अन्वेषण के बजाय या उसके अतिरिक्त, वह निकटतम मजिस्ट्रेट करेगा जो मृत्यु-समीक्षा करने के लिए सशक्त है और धारा 174 की उपधारा (1) में वर्णित किसी अन्य दशा में इस प्रकार सशक्त किया गया कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकेगा, और यदि वह ऐसा करता है तो उसे ऐसी जांच करने में वे सब शक्तियाँ होंगी जो उसे किसी अपराध की जांच करने में होती।
(1-क) जहाँ--
(क) कोई व्यक्ति मर जाता है या गायब हो जाता है; या
(ख) किसी स्त्री के साथ बलात्संग किया गया अभिकथित है, तो उस दशा में जब कि ऐसा व्यक्ति या स्त्री पुलिस अभिरक्षा या इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य अभिरक्षा में है, वहाँ पुलिस द्वारा की गई जाँच या किए गए अन्वेषण के अतिरिक्त, यथास्थिति, ऐसे न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट द्वारा, जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर अपराध किया गया है, जाँच की जाएगी |
(2) ऐसी जांच करने वाला मजिस्ट्रेट उसके संबंध में लिए गए साक्ष्य को इसमें इसके पश्चात् विहित किसी प्रकार से, मामले की परिस्थितियों के अनुसार अभिलिखित करेगा।
(3) जब कभी ऐसे मजिस्ट्रेट के विचार में यह समीचीन है कि किसी व्यक्ति के, जो पहले ही गाड़ दिया गया है, मृत शरीर की इसलिए परीक्षा की जाए कि उसकी मृत्यु के कारण का पता चले तब मजिस्ट्रेट उस शरीर को निकलवा सकता है और उसकी परीक्षा करा सकता है ।
(4) जहाँ कोई जांच इस धारा के अधीन की जानी है, वहाँ मजिस्ट्रेट, जहाँ कहीं साध्य है, मृतक के उन नातेदारों को, जिनके नाम और पते ज्ञात हैं, इत्तिला देगा और उन्हें जांच के समय उपस्थित रहने की अनुज्ञा देगा।
(5) उपधारा (1-क) के अधीन, यथास्थिति, जाँच या अन्वेषण करने वाला न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी, किसी व्यक्ति की मृत्यु के चौबीस घण्टे के भीतर उसकी परीक्षा किए जाने की दृष्टि से शरीर को निकटतम सिविल सर्जन या अन्य अर्हित चिकित्सक को, जो इस निमित्त राज् सरकार द्वारा नियुक्त किया गया हो, भेजेगा जब तक कि लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से ऐसा करना संभव न हो
स्पष्टीकरण -- इस धारा में “नातेदार” पद से माता-पिता, संतान, भाई, बहन और पति या पत्नी अभिप्रेत है।
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