Section 172 Motor Vehicles Act, 1988
Section 172 Motor Vehicles Act, 1988 in Hindi and English
Section 172 of MV Act 1988 :- Award of compensatory costs in certain cases -- (1) Any Claims Tribunal adjudicating upon any claim for compensation under this Act, may in any case where it is satisfied for reasons to be recorded by it in writing that--
(a) the policy of insurance is void on the ground that it was obtained by representation of fact which was false in any material particular, or
(b) any party or insurer has put forward a false or vexatious claim or defence, such Tribunal may make an order for the payment, by the party who is guilty of misrepresentation or by whom such claim or defence has been put forward of special costs by way of compensation to the insurer or, as the case may be, to the party against whom such claim or defence has been put forward.
(2) No Claims Tribunal shall pass an order for special costs under sub-section (1) for any amount exceeding one thousand rupees.
(3) No person or insurer against whom an order has been made under this section shall, by reason thereof be exempted from any criminal liability in respect of such misrepresentation, claim or defence as is referred to in sub-section (1).
(4) Any amount awarded by way of compensation under this section in respect of any misrepresentation, claim or defence, shall be taken into account in any subsequent suit for damages for compensation in respect of such misrepresentation, claim or defence.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 172 of Motor Vehicles Act, 1988:
United India Insurance Co.Ltd vs Shila Datta & Ors on 13 October, 2011
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 172 का विवरण : - कतिपय मामलों में प्रतिकरात्मक खर्चे दिलाना -- (1) इस अधिनियम के अधीन प्रतिकर के किसी दावे का न्यायनिर्णयन करने वाले दावा अधिकरण का जहां किसी मामले में ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे, यह समाधान हो जाता है कि--
(क) बीमा पॉलिसी इस आधार पर शून्य है कि वह ऐसे तथ्य के व्यपदेशन से अभिप्राप्त की गई थी जिसकी कोई महत्वपूर्ण विशिष्टि मिथ्या थी; या
(ख) किसी पक्षकार या बीमाकर्ता ने कोई मिथ्या या तंग करने वाला दावा या प्रतिवाद पेश किया है,
वहां अधिकरण आदेश दे सकेगा कि जो पक्षकार दुर्व्यपदेशन का दोषी रहा है या जिसने ऐसा दावा या प्रतिवाद पेश किया है वह, यथास्थिति, बीमाकर्ता अथवा उस पक्षकार को, जिसके विरुद्ध ऐसा दावा या प्रतिवाद पेश किया गया है, प्रतिकर के रूप में विशेष खर्चा दे ।
(2) कोई भी दावा अधिकरण, उपधारा (1) के अधीन विशेष खर्चों के बारे में एक हजार रुपए से अधिक की किसी रकम का आदेश न देगा ।
(3) कोई भी व्यक्ति या बीमाकर्ता जिसके विरुद्ध इस धारा के अधीन आदेश दिया गया है, मात्र इस कारण ऐसे दुर्व्यपदेशन, दावे या प्रतिवाद के संबंध में, जैसा उपधारा (1) में निर्दिष्ट है किसी आपराधिक दायित्व से छूट नहीं पाएगा।
(4) किसी दुर्व्यपदेशन, दावे या प्रतिवाद की बाबत इस धारा के अधीन प्रतिकर के रूप में अधिनिर्णीत कोई रकम ऐसे दुर्व्यपदेशन, दावे या प्रतिवाद की बाबत प्रतिकर के संबंध में नुकसानी के लिए किसी पश्चात्वर्ती वाद में गणना में ली जाएगी ।
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