Section 157 CrPC
Section 157 CrPC in Hindi and English
Section 157 of CrPC 1973 :- 157. Procedure for investigation -(1) If, from information received or otherwise, an officer in charge of a police station has reason to suspect the commission of an offence which he is empowered under section 156 to investigate, he shall forthwith send a report of the same to a Magistrate empowered to take cognizance of such offence upon a police report and shall proceed in person, or shall depute one of his subordinate officers not being below such rank as the State Government may, by general or special order, prescribe in this behalf, to proceed, to the spot, to investigate the facts and circumstances of the case and, if necessary, to take measures for the discovery and arrest of the offender :
Provided that :
(a) when information as to the commission of any such offence is given against any person by name and the case is not of a serious nature, the officer in charge of a police station need not proceed in person or depute a subordinate officer to make an investigation on the spot;
(b) if it appears to the officer in charge of a police station that there is no sufficient ground for entering on an investigation, he shall not investigate the case.
[Provided further that in relation to an offence of rape, the recording of statement of the victim shall be conducted at the residence of the victim or in the place of her choice and as far as practicable by a woman police officer in the presence of her parents or guardian or near relatives or social worker of the locality.]
(2) In each of the cases mentioned in clauses (a) and (b) of the proviso to subsection (1), the officer in charge of the police station shall state in his report his reasons for not fully complying with the requirements of that sub-section and, in the case mentioned in clause (b) of the said proviso, the officer shall also forthwith notify to the informant, if any, in such manner as may be prescribed by the State Government, the fact that he will not investigate the case or cause it to be investigated.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 157 of Criminal Procedure Code 1973:
Kunwar Ram Nath And Others vs The Municipal Board, Pilibhit on 2 June, 1983
Mukesh Singh vs State (Narcotic Branch Of Delhi) on 31 August, 2020
Union Of India vs Ashok Kumar Sharma on 28 August, 2020
Lalita Kumari vs Govt.Of U.P.& Ors on 12 November, 2013
S.N. Sharma vs Bipen Kumar Tiwari And Ors on 10 March, 1970
State Of Rajasthan vs Daud Khan on 4 November, 2015
Bijoy Singh & Anr vs State Of Bihar on 17 April, 2002
State Rep.By Insepctor Of vs N.S. Gnaneswaran on 9 January, 2013
Bhagwat Singh vs Commissioner Of Police And Anr on 25 April, 1985
Lalita Kumari vs Govt.Of U.P.& Ors on 27 February, 2012
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 157 का विवरण : - 157. अन्वेषण के लिए प्रक्रिया -- (1) यदि पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, इत्तिला प्राप्त होने पर या अन्यथा यह संदेह करने का कारण है कि ऐसा अपराध किया गया है जिसका अन्वेषण करने के लिए धारा 156 के अधीन वह सशक्त है तो वह उस अपराध की रिपोर्ट उस मजिस्ट्रेट को तत्काल भेजेगा जो ऐसे अपराध का पुलिस रिपोर्ट पर संज्ञान करने के लिए सशक्त है और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों का अन्वेषण करने के लिए, और यदि आवश्यक हो तो अपराधी का पता चलाने और उसकी गिरफ्तारी के उपाय करने के लिए, उस स्थान पर या तो स्वयं जाएगा या अपने अधीनस्थ अधिकारियों में से एक को भेजेगा जो ऐसी पंक्ति से निम्नतर पंक्ति का न होगा जिसे राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त विहित करे :
परन्तु--
(क) जब ऐसे अपराध के किए जाने की कोई इत्तिला किसी व्यक्ति के विरुद्ध उसका नाम देकर की गई है। और मामला गंभीर प्रकार का नहीं है तब यह आवश्यक न होगा कि पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी उस स्थान पर अन्वेषण करने के लिए स्वयं जाए या अधीनस्थ अधिकारी को भेजे;
(ख) यदि पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को यह प्रतीत होता है कि अन्वेषण करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है तो वह उस मामले का अन्वेषण न करेगा।
[परन्तु यह और कि बलात्संग के अपराध के संबंध में, पीड़ित के कथन का अभिलेखन, पीड़ित के निवास पर या उसकी पसंद के स्थान में तथा जहाँ तक व्यवहार्य हो, उसके माता-पिता या संरक्षक या निकट नातेदारों या मोहल्ले के सामाजिक कार्यकर्ता की उपस्थिति में किसी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा आयोजित किया जाएगा।]
(2) उपधारा (1) के परन्तुक के खण्ड (क) और (ख) में वर्णित दशाओं में से प्रत्येक दशा में पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी अपनी रिपोर्ट में उस उपधारा की अपेक्षाओं का पूर्णतया अनुपालन न करने के अपने कारणों का कथन करेगा और उक्त परन्तुक के खण्ड (ख) में वर्णित दशा में ऐसा अधिकारी इत्तिला देने वाले को, यदि कोई हो, ऐसी रीति से, जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाए, तत्काल इस बात की सूचना दे देगा कि वह उस मामले में अन्वेषण न तो करेगा और न कराएगा।
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