Section 152 Motor Vehicles Act, 1988
Section 152 Motor Vehicles Act, 1988 in Hindi and English
Section 152 of MV Act 1988 :- Duty to give information as to insurance -- (1) No person against whom a claim is made in respect of any liability referred to in clause (b) of subsection (1) of section 147 shall, on demand by or on behalf of the person making the claim, refuse to state whether or not he was insured in respect of that liability by any policy issued under the provisions of this Chapter, or would have been so insured if the insurer had not avoided or cancelled the policy, nor shall he refuse, if he was or would have been so insured, to give such particulars with respect to that policy as were specified in the certificate of insurance issued in respect thereof.
(2) In the event of any person becoming insolvent or making an arrangement with his creditors or in the event of an order being made for the administration of the estate of a deceased person according to the law of insolvency, or in the event of a winding-up order being made or a resolution for a voluntary winding-up being passed with respect to any company or of a receiver or manager of the company's business or undertaking being duly appointed or of possession being taken by or on behalf of the holders of any debentures secured by a floating charge on any property comprised in or subject to the charge, it shall be the duty of the insolvent debtor, personal representative of the deceased debtor or company, as the case may be, or the official assignee or receiver in insolvency, trustee, liquidator, receiver or manager, or person in possession of the property to give, on the request of any person claiming that the insolvent debtor, deceased debtor or company is under such liability to him as is covered by the provision of this Chapter, such information as may reasonably be required by him for the purpose of ascertaining whether any rights have been transferred to and vested in him by section 151, and for the purpose of enforcing such rights, if any, and any such contract of insurance as purports whether directly or indirectly to avoid the contract or to alter the rights of the parties thereunder upon the giving of such information in the events aforesaid, or otherwise to prohibit or prevent the giving thereof in the said events, shall be of no effect.
(3) If, from the information given to any person in pursuance of sub-section (2) or otherwise, he has reasonable ground for supporting that there have or may have been transferred to him under this Chapter rights against any particular insurer, that insurer shall be subject to the same duty as is imposed by the said subsection on the persons therein mentioned.
(4) The duty to give the information imposed by this section shall include a duty to allow all contracts of insurance, receipts for premiums, and other relevant documents in the possession or power of the person on whom the duty is so imposed to be inspected and copies thereof to be taken.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 152 of Motor Vehicles Act, 1988:
National Insurance Company vs Kamla on 17 October, 2005
Rajasthan High Court
New India Assurance Co. Ltd. vs Charubala Das And Ors. on 9 September, 2005
Gauhati High Court C
Sharanappa S/O Dhareppa Golnoor vs Smt.Bharathi W/O Ashok Golnoor on 30 May, 2017
Karnataka High Court
Ramesh Singh And Anr. vs Chinta Devi And Ors. on 11 October, 1993
Patna High Court
A. Shamsuddin vs K. Chellappan on 2 February, 1998
Madras High Court
S.M.Govindaswamy vs State Transport Appellate on 27 April, 2010
Madras High Court
Kodaikanal Motor Union (P) Ltd. vs Srinivasa Roadways, Madurai And on 15 April, 1978
Madras High Court
Oriental Insurance Company vs Sunnapu Govindamma And Others on 24 August, 1999
Andhra High Court
National Insurance Co. Ltd. vs Roop Lal Gupta And Ors. on 1 January, 1996
Himachal Pradesh High Court
Mrs Usha Mehara And Other vs Naresh Chand And Others on 6 September, 1988
Delhi High Court
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 152 का विवरण : - बीमा के संबंध में सूचना देने का कर्तव्य -- (1) कोई व्यक्ति जिसके विरुद्ध धारा 147 की उपधारा (1) के खंड (ख) में निर्दिष्ट किसी दायित्व की बाबत दावा किया गया है, दावा करने वाले व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से मांग किए जाने पर, वह यह कथन करने से इंकार नहीं कर सकेगा कि क्या वह इस अध्याय के अधीन जारी की गई किसी पालिसी द्वारा दायित्व की बाबत बीमाकृत था या नहीं था वह इस प्रकार बीमाकृत होता यदि बीमाकर्ता ने पालिसी इस प्रकार परिवर्जित या रद्द नहीं की होती; न ही वह तब इस संबंध में जारी किए गए बीमा प्रमाणपत्र में इसके संबंध में यथाविनिर्दिष्ट की गई पालिसी की बाबत ऐसी विशिष्टियां देने से इंकार करेगा यदि वह इस प्रकार बीमाकृत था या होता ।
(2) किसी व्यक्ति द्वारा दिवाला होने की दशा में या उसके देनदारों के साथ ठहराव किए जाने की दशा में या दिवाला विषयक विधि के अनुसार मृतक व्यक्ति की संपदा के प्रशासन के लिए किए गए आदेश की दशा में या किसी कंपनी की बाबत परिसमापन के आदेश किए जाने या स्वेच्छया परिसमापन का संकल्प पारित किए जाने या कंपनी के कारबार या उपक्रम के रिसीवर या प्रबंधक या सम्यक् रूप से नियुक्त किए जाने या प्रभार के अधीन या समाविष्ट संपत्ति के प्लवमान प्रभार द्वारा प्रतिभूत डिबेंचरों के धारकों द्वारा या उनकी ओर से कब्जा लिए जाने की दशा में, दिवाला लेनदार मृतक लेनदार के, यथास्थिति, निजी प्रतिनिधि या कंपनी या दिवाला के शासकीय समनुदेशिती या रिसीवर, न्यासी, परिसमापक, रिसीवर या प्रबंधक या संपत्ति के कब्जाधारी व्यक्ति का दायित्व होगा कि किसी दावाकर्ता व्यक्ति के निवेदन पर सूचना दे कि दिवाला लेनदार, मृतक लेनदार या कंपनी इस अध्याय के उपबंधों द्वारा समाविष्ट ऐसे दायित्व के अधीन है ऐसी सूचना यह अभिनिश्चित करने कि क्यों उसमें धारा 151 द्वारा कोई अधिकार अन्तरित या निहित किए गए हैं, के प्रयोजन के लिए उसके द्वारा युक्तियुक्त रूप से अपेक्षित है और ऐसे अधिकारों के प्रवर्तन के लिए, यदि कोई हो, ऐसे बीमा संविदा, तात्पर्यित है क्या, उपरोक्त दशा में ऐसी सूचना दिए जाने पर इसके अधीन प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत: संविदा को परिवर्जित या पक्षकार के अधिकारों को परिवर्तित करती है या अन्यथा उक्त दशाओं में उसके किए जाने को प्रतिषिद्ध करती है या निवारित करने के लिए तात्पर्यित है तो उसका कोई प्रभाव नहीं होगा ।
(3) उपधारा (2) के अनुसरण में या अन्यथा किसी को दी गई सूचना से, उसके पास समर्थन के लिए युक्तियुक्त आधार है कि विशिष्ट बीमाकर्ता के विरुद्ध अधिकार उसे इस अध्याय के अधीन अंतरित किया गया है या किया जा सकता है कि बीमाकर्ता ऐसे कर्तव्य के अध्यधीन होगा जैसा उक्त उपधारा के द्वारा इसमें उल्लिखित व्यक्तियों पर अधिरोपित किया गया है ।
(4) इस धारा द्वारा अधिरोपित सूचना देने के कर्तव्य के अंतर्गत सभी बीमा की संविदाओं के प्रीमियमों के लिए प्राप्तियों और अन्य सुसंगत दस्तावेज जो ऐसे व्यक्ति के कब्जे और शक्ति में हैं जिन पर निरीक्षण करने और प्रतियां प्राप्त करने का कर्तव्य अधिरोपित किया गया है, भी है।
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