Section 140-144 Motor Vehicles Act, 1988

 


Section 140 Motor Vehicles Act, 1988 in Hindi and English



Section 140 of MV Act 1988 :-  Liability to pay compensation in certain cases on the principle of no fault -- (1) Where death or permanent disablement of any person has resulted from an accident arising out of the use of a motor vehicle or motor vehicles, the owner of the vehicle shall, or, as the case may be, the owners of the vehicles shall, jointly and severally, be liable to pay compensation in respect of such death or disablement in accordance with the provisions of this section.

(2) The amount of compensation which shall be payable under sub-section (1) in respect of the death of any person shall be a fixed sum of fifty thousand rupees and the amount of compensation payable under that sub-section in respect of the permanent disablement of any person shall be a fixed sum of twenty-five thousand rupees.

(3) In any claim for compensation under sub-section (1), the claimant shall not be required to plead and establish that the death or permanent disablement in respect of which the claim has been made was due to any wrongful act, neglect or default of the owner or owners of the vehicle or vehicles concerned or of any other person.

(4) A claim for compensation under sub-section (1) shall not be defeated by reason of any wrongful act, neglect or default of the person in respect of whose death or permanent disablement the claim has been made nor shall the quantum of compensation recoverable in respect of such death or permanent disablement be reduced on the basis of the share of such person in the responsibility for such death or permanent disablement.

(5) Notwithstanding anything contained in sub-section (2) regarding death or bodily injury to any person, for which the owner of the vehicle is liable to give compensation for relief, he is also liable to pay compensation under any other law for the time being in force :

Provided that the amount of such compensation to be given under any other law shall be reduced from the amount of compensation payable under this section or under section 163A.

141. Provisions as to other right to claim compensation for death or permanent disablement -- (1) The right to claim compensation under section 140 in respect of death or permanent disablement of any person shall be in addition to any other right, except the right to claim under the scheme referred to section 163A (such other right hereafter in this section referred to as the right on the principle of fault) to claim compensation in respect thereof under any other provision of this Act or of any other law for the time being in force. 24

(2) A claim for compensation under section 140 in respect of death or permanent disablement of any person shall be disposed of as expeditiously as possible and where compensation is claimed in respect of such death or permanent disablement under section 140 and also in pursuance of any right on the principle of fault, the claim for compensation under section 140 shall be disposed of as aforesaid in the first place.

(3) Notwithstanding anything contained in sub-section (1), where in respect of the death or permanent disablement of any person, the person liable to pay compensation under section 140 is also liable to pay compensation in accordance with the right on the principle of fault, the person so liable shall pay the first-mentioned compensation and--

(a) if the amount of the first-mentioned compensation is less than the amount of the second-mentioned compensation, he shall be liable to pay in addition to the firstmentioned compensation) only so much of the second-mentioned compensation as is equal to the amount by which it exceeds the first-mentioned compensation;

(b) if the amount of the first-mentioned compensation is equal to or more than the amount of the second-mentioned compensation, he shall not be liable to pay the second-mentioned compensation.

142. Permanent disablement -- For the purposes of this Chapter, permanent disablement of a person shall be deemed to have resulted from an accident of the nature referred to in sub-section (1) of section 140 if such person has suffered by reason of the accident, any injury or injuries involving :-

(a) permanent privation of the sight of either eye or the hearing of either ear, or privation of any member or joint; or

(b) destruction or permanent impairing of the powers of any member or joint; or

(c) permanent disfiguration of the head or face.

143. Applicability of Chapter to certain claims under Act 8 of 1923 -- The provisions of this Chapter shall also apply in relation to any claim for compensation in respect of death or permanent disablement of any person under the Workmen's Compensation Act, 1923 resulting from an accident of the nature referred to in sub-section (1) of section 140 and for this purpose, the said provisions shall, with necessary modifications, be deemed to form part of that Act.

144. Overriding effect -- The provisions of this Chapter shall have effect notwithstanding anything contained in any other provision of this Act or of any other law for the time being in force.“.



Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 140 of Motor Vehicles Act, 1988:

Deepal Girishbhai Soni And Ors vs United India Insurance Co. Ltd., on 18 March, 2004

The Oriental Insurance Co. Ltd vs Hansrajbhai V. Kodala & Ors on 4 April, 2001

Smt. Yallwwa & Ors vs National Insurance Co. Ltd. & Anr on 16 May, 2007

Eshwarappa @ Maheshwarappa vs C.S. Gurushanthappa & Anr on 18 August, 2010

Eshwarappa @ Maheshwarappa &Anr vs C.S. Gurushanthappa & Anr on 18 August, 2010

National Insurance Co.Ltd vs Sinitha & Ors on 23 November, 2011

United India Ins.Co.Ltd vs Sunil Kumar & Anr on 29 October, 2013

Manjuri Bera vs Oriental Insurance Company Ltd. on 30 March, 2007

Reshma Kumari & Ors vs Madan Mohan & Anr on 2 April, 2013

Arun Kumar Agrawal & Anr vs National Insurance Co. Ltd. & Ors on 22 July, 2010




मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 140 का विवरण :  -  मोटर यान (संशोधन) अधिनियम, 2019 (क्र. 32 सन् 2019) द्वारा अध्याय 10 (धाराओं 140 से 144) का लोप किया गया । भारत का राजपत्र (असाधारण) भाग खण्ड 1 दिनांक 9 अगस्त, 2019 पर अंग्रेजी में प्रकाशित । इस विलोपन के पूर्व अध्याय 10 (धाराएँ 140 से 144) निम्नानुसार था :-

त्रुटि न होने के सिद्धान्त पर कतिपय मामलों में प्रतिकर का संदाय करने का दायित्व -- (1) जहां मोटर यान या मोटर यानों के उपयोग में हुई दुर्घटना के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु या स्थाई निःशक्तता हुई है वहां, यथास्थिति, यान का स्वामी या यानों के स्वामी ऐसी मृत्यु या निःशक्तता के बारे में प्रतिकर का संदाय इस धारा के उपबंधों के अनुसार संयुक्ततः और पृथकतः करने के लिए दायी होंगे।

(2) ऐसे प्रतिकर की रकम, जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बारे में उपधारा (1) के अधीन संदेय होगी, पचास हजार रुपए की नियत राशि होगी और किसी व्यक्ति की स्थाई निःशक्तता के बारे में उस उपधारा के अधीन संदेय प्रतिकर की रकम, पच्चीस हजार रुपए की नियत राशि होगी ।

(3) उपधारा (1) के अधीन प्रतिकर के लिए किसी दावे में दावेदार से यह अपेक्षा नहीं की जाएगी कि वह यह अभिवाक् दे और यह सिद्ध करे कि वह मृत्यु या स्थाई निःशक्तता जिसके बारे में प्रतिकर का दावा किया गया है संबंधित यान या यानों के स्वामी या स्वामियों के या किसी अन्य व्यक्ति के किसी दोषपूर्ण कार्य, उपेक्षा या व्यतिक्रम के कारण हुई थी।

(4) उपधारा (1) के अधीन प्रतिकर के लिए दावा, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति के जिसकी मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के बारे में दावा किया गया है, किसी दोषपूर्ण कार्य, उपेक्षा या व्यतिक्रम के कारण विफल नहीं होगा और ऐसी मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के बारे में वसूलीय प्रतिकर की मात्रा ऐसी मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के उत्तरदायित्व में ऐसे व्यक्ति के अंश के आधार पर कम नहीं की जाएगी ।

(5) किसी व्यक्ति की मृत्यु या शारीरिक क्षति के संबंध में उपधारा (2) में किसी बात के होते हुए भी, जिसके लिए यान का स्वामी अनुतोष के रूप में प्रतिकर देने का दायी है, वह तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन प्रतिकर का संदाय करने का भी दायी होगा :

परन्तु किसी अन्य विधि के अधीन किए जाने वाले प्रतिकर की ऐसी रकम को इस धारा या धारा 163क के अधीन संदेय प्रतिकर की रकम में से घटा दिया जाएगा ।

141. मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के लिए प्रतिकर का दावा करने के अन्य अधिकार के बारे में उपबंध -- (1) किसी व्यक्ति की मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के बारे में धारा 140 के अधीन प्रतिकर का दावा करने का अधिकार इस अधिनियम के किसी अन्य उपबंध के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंध के अधीन उसके बारे में प्रतिकर का दावा करने के लिए धारा 163क में निर्दिष्ट स्कीम के अधीन दावा करने के अधिकार के सिवाय किसी अन्य अधिकार (ऐसे अन्य अधिकार को, इस धारा में इसके पश्चात् त्रुटि के सिद्धांत पर अधिकार कहा गया है), के अतिरिक्त होगा ।

(2) किसी व्यक्ति की मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के बारे में धारा 140 के अधीन प्रतिकर के लिए कोई दावा यथासंभव शीघ्रता से निपटाया जाएगा और जहां ऐसी मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के बारे में किसी प्रतिकर का दावा धारा 140 के अधीन और त्रुटि के सिद्धांत पर किसी अधिकार के अनुसरण में भी किया गया है वहां धारा 140 के अधीन प्रतिकर के लिए दावा उपरोक्त रूप में पहले निपटाया जाएगा ।

(3) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां किसी व्यक्ति की मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के बारे में धारा 140 के अधीन प्रतिकर का संदाय करने के लिए दायी व्यक्ति त्रुटि के सिद्धांत पर अधिकार के अनुसरण में प्रतिकर का संदाय करने के लिए भी दायी है, वहां इस प्रकार दायी व्यक्ति प्रथम वर्णित प्रतिकर का संदाय करेगा और---

(क) जहां प्रथम वर्णित प्रतिकर की रकम द्वितीय वर्णित प्रतिकर की रकम से कम है वहां वह (प्रथम वर्णित प्रतिकर के अतिरिक्त) द्वितीय वर्णित प्रतिकर का केवल उतना संदाय करने के लिए दायी होगा जो उस रकम के बराबर है जो प्रथम वर्णित प्रतिकर से अधिक हो;

(ख) जहां प्रथम वर्णित प्रतिकर की रकम द्वितीय वर्णित प्रतिकर की रकम के बराबर या उससे अधिक है वहां वह द्वितीय वर्णित प्रतिकर का संदाय करने के लिए दायी नहीं होगा ।

142. स्थाई निःशक्तता -- इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए किसी व्यक्ति की स्थाई निःशक्तता धारा 2140 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रकृति की दुर्घटना से हुई तब मानी जाएगी जब ऐसे व्यक्ति को दुर्घटना के कारण ऐसी क्षति या क्षतियां हुई है जिससे :-

(क) किसी भी नेत्र की दृष्टि का या किसी भी कान की श्रवण शक्ति का स्थाई विच्छेद या किसी अंग  या जोड़ का विच्छेद हुआ है;

(ख) किसी अंग या जोड़ की शक्ति का विनाश या उसमें स्थाई कमी आई है, या

(ग) सिर या चेहरे का स्थाई विद्रुपण हुआ है ।

143. 1923 के अधिनियम 8 के अधीन कतिपय दावों को इस अध्याय का लागू होना -- इस अध्याय के उपबंध धारा 140 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रकृति की किसी दुर्घटना के परिणामस्वरूप हुई, कर्मकार प्रतिकर अधिनियम, 1923 (1923 का 8) के अधीन किसी व्यक्ति की मृत्यु या स्थाई निःशक्तता के बारे में प्रतिकर के लिए किसी दावे के संबंध में भी लागू होंगे और इस प्रयोजन के लिए उक्त उपबंध आवश्यक उपांतरणों के साथ उस अधिनियम के भाग माने जाएंगे ।

144. अध्यारोही प्रभाव -- इस अध्याय के उपबंध इस अधिनियम के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के किसी अन्य उपबंध में किसी बात के होते हुए भी प्रभावी होंगे ।" ।



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