Section 132 CrPC
Section 132 CrPC in Hindi and English
Section 132 of CrPC 1973 :- 132. Protection against prosecution for acts done under preceding sections - (1) No prosecution against any person for any act purporting to be done under section 129, section 130 or section 131 shall be instituted in any Criminal Court except :
(a) with the sanction of the Central Government where such person is an officer or member of the armed forces;
(b) with the sanction of the State Government in any other case.
(2) (a) No Executive Magistrate or police officer acting under any of the said sections in good faith;
(b) no person doing any act in good faith in compliance with a requisition under section 129 or section 130;
(c) no officer of the armed forces acting under section 131 in good faith;
(d) no member of the armed forces doing any act in obedience to any order which he was bound to obey, shall be deemed to have thereby, committed an offence.
(3) In this section and in the preceding sections of this Chapter :
(a) the expression “armed forces” means the military, naval and air forces, operating as land forces and includes any other armed forces of the Union so operating;
(b) "officer” in relation to the armed forces, means a person commissioned, gazetted or in pay as an officer of the armed forces and includes a junior commissioned officer, a warrant officer, a petty officer, a non-commissioned officer and a non-gazetted officer;
(c) “member” in relation to the armed forces, means a person in the armed forces other than an officer.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 132 of Criminal Procedure Code 1973:
Nagraj vs State Of Mysore on 8 May, 1963
Ram Kumar vs State Of Haryana on 13 January, 1987
Akhilesh Prasad vs Union Territory Of Mizoram on 11 February, 1981
Rajdeep Sardesai vs State Of A.P.& Ors on 14 May, 2015
Kachrulal Bhagirath Agrawal & Ors vs State Of Maharashtra & Ors on 22 September, 2004
General Officer Commanding vs Cbi & Anr on 1 May, 2012
Om Prakash & Ors vs State Of Jharkhand & Anr on 26 September, 2012
Extra Judl.Exec.Victim Families vs Union Of India & Anr on 13 July, 2016
Satpal & Another vs State Of Haryana & Ors on 1 May, 2000
T.T.Antony vs State Of Kerala & Ors on 12 July, 2001
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 132 का विवरण : - 132. पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण -- (1) किसी कार्य के लिए, जो धारा 129, धारा 130 या धारा 131 के अधीन किया गया तात्पर्यित है, किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अभियोजन किसी दण्ड न्यायालय में :
(क) जहाँ ऐसा व्यक्ति सशस्त्र बल का कोई अधिकारी या सदस्य है, वहाँ केन्द्रीय सरकार की मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा;
(ख) किसी अन्य मामले में राज्य सरकार की मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा।
(2) (क) उक्त धाराओं में से किसी के अधीन सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी के बारे में;
(ख) धारा 129 या धारा 130 के अधीन अपेक्षा के अनुपालन में सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले किसी व्यक्ति के बारे में;
(ग) धारा 131 के अधीन सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले सशस्त्र बल के किसी अधिकारी के बारे में;
(घ) सशस्त्र बल का कोई सदस्य जिस आदेश का पालन करने के लिए आबद्ध हो उसके पालन में किए गए किसी कार्य के लिए उस सदस्य के बारे में यह न समझा जाएगा कि उसने उसके द्वारा कोई अपराध किया है।
(3) इस धारा में और इस अध्याय की पूर्ववर्ती धाराओं में :-
(क) “सशस्त्र बल” पद से भूमि बल के रूप में क्रियाशील सेना, नौसेना और वायुसेना अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत इस प्रकार क्रियाशील संघ के अन्य सशस्त्र बल भी हैं;
(ख) सशस्त्र बल के संबंध में अधिकारी से सशस्त्र बल के ऑफिसर के रूप में आयुक्त, राजपत्रित या वेतनभोगी व्यक्ति अभिप्रेत है और उसके अन्तर्गत कनिष्ठ आयुक्त ऑफिसर, वारण्ट ऑफिसर, पेटी ऑफिसर, अनायुक्त ऑफिसर तथा अराजपत्रित ऑफिसर भी हैं;
(ग) सशस्त्र बल के संबंध में “सदस्य” से सशस्त्र बल के अधिकारी से भिन्न उसका कोई सदस्य अभिप्रेत है।
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