Section 126 CrPC
Section 126 CrPC in Hindi and English
Section 126 of CrPC 1973 :- 126. Procedure -- (1) Proceedings under section 125 may be taken against any person in any district :
(a) where he is, or
(b) where he or his wife resides, or
(c) where he last resided with his wife, or as the case may be, with the mother of the illegitimate child.
(2) All evidence to such proceedings shall be taken in the presence of the person against whom an order for payment of maintenance is proposed to be made, or, when his personal attendance is dispensed with in the presence of his pleader and shall be recorded in the manner prescribed for summons-cases :
Provided that if the Magistrate is satisfied that the person against whom an order for payment of maintenance is proposed to be made is wilfully avoiding service, or wilfully neglecting to attend the Court, the Magistrate may proceed to hear and determine the case ex parte and any order so made may be set aside for good cause shown on an application made within three months from the date thereof subject to such terms including terms as to payment of costs to the opposite party as the Magistrate may think just and proper.
(3) The Court in dealing with applications under section 125 shall have the power to make such order as to costs as may be just.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 126 of Criminal Procedure Code 1973:
Vijay Kumar Prasad vs State Of Bihar & Ors on 7 April, 2004
Kumutham & Anr. vs Kannappan on 6 April, 1998
Madhu Limaye vs Sub-Divisional Magistrate on 28 October, 1970
Iqbal Bano vs State Of U.P. And Anr on 5 June, 2007
Savitri W/O Shri Govind Singh vs Shri Govind Singh Rawat on 9 October, 1985
Shabana Bano vs Imran Khan on 4 December, 2009
Suresh & Anr vs State Of Haryana on 28 November, 2014
Delhi Administration vs Ram Singh on 3 May, 1961
Satish Chander Ahuja vs Sneha Ahuja on 15 October, 2020
Dawalsab vs Khajasab on 15 July, 2009
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 126 का विवरण : - 126. प्रक्रिया -- (1) किसी व्यक्ति के विरुद्ध धारा 125 के अधीन कार्यवाही किसी ऐसे जिले में की जा सकती है :
(क) जहाँ वह है, अथवा
(ख) जहाँ वह या उसकी पत्नी निवास करती है, अथवा
(ग) जहाँ उसने अंतिम बार, यथास्थिति, अपनी पत्नी के साथ या अधर्मज संतान की माता के साथ निवास किया है।
(2) ऐसी कार्यवाही में सब साक्ष्य, ऐसे व्यक्ति की उपस्थिति में, जिसके विरुद्ध भरणपोषण के लिए संदाय का आदेश देने की प्रस्थापना है, अथवा जब उसकी वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति दे दी गई है तब उसके प्लीडर की उपस्थिति में लिया जाएगा और उस रीति से अभिलिखित किया जाएगा जो समन मामलों के लिए विहित है :
परन्तु यदि मजिस्ट्रेट का समाधान हो जाए कि ऐसा व्यक्ति जिसके विरुद्ध भरणपोषण के लिए संदाय का आदेश देने की प्रस्थापना है, तामील से जानबूझकर बच रहा है अथवा न्यायालय में हाजिर होने में जानबूझकर उपेक्षा कर रहा है तो मजिस्ट्रेट मामले को एकपक्षीय रूप में सुनने और अवधारण करने के लिए अग्रसर हो सकता है और ऐसे दिया गया कोई आदेश उसकी तारीख से तीन मास के अन्दर किए गए आवेदन पर दर्शित अच्छे कारण से ऐसे निबंधनों के अधीन जिनके अन्तर्गत विरोधी पक्षकार को खर्चे के संदाय के बारे में ऐसे निबंधन भी हैं जो मजिस्ट्रेट न्यायोचित और उचित समझे, अपास्त किया जा सकता है।
(3) धारा 125 के अधीन आवेदनों पर कार्यवाही करने में न्यायालय को शक्ति होगी कि वह खर्चे के बारे में ऐसा आदेश दे जो न्यायसंगत है।
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