Section 105C CrPC
Section 105C CrPC in Hindi and English
Section 105C of CrPC 1973 :- 105 C.- Assistance in relation to orders of attachment or forfeiture of property ---- (1) Where a Court in India has reasonable grounds to believe that any property obtained by any person is derived or obtained, directly or indirectly, by such person from the commission of an offence, it may make an order of attachment or forfeiture of such property, as it may deem fit under the provisions of sections 105D to 105J (both inclusive).
(2) Where the Court has made an order for attachment or forfeiture of any property under sub-section (1) and such property is suspected to be in a Contracting State, the Court may issue a letter of request to a Court or an authority in the contracting State for execution of such order.
(3) Where a letter of request is received by the Central Government from a Court or an authority in a contracting State requesting attachment or forfeiture of the property in India, derived or obtained, directly or indirectly, by any person from the commission of an offence committed in that Contracting State, the Central Government may forward such letter of request to the Court, as it thinks fit, for execution in accordance with the provisions of sections 105D to 105J (both inclusive) or, as the case may be, any other law for the time being in force.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 105C of Criminal Procedure Code 1973:
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 105 ग का विवरण : - 105 ग.- संपत्ति की कुर्की या समपहरण के आदेशों के संबंध में सहायता -- (1) जहाँ भारत के किसी न्यायालय के पास यह विश्वास करने के युक्तियुक्त आधार हैं कि किसी व्यक्ति द्वारा अभिप्राप्त कोई संपत्ति ऐसे व्यक्ति को किसी अपराध के किए जाने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्युत्पन्न या अभिप्राप्त हुई है वहाँ वह ऐसी संपत्ति की कुर्की या समपहरण का कोई आदेश दे सकेगा जो वह धारा 105घ से धारा 105ञ (दोनों सहित) के उपबंधों के अधीन ठीक समझे।
(2) जहाँ न्यायालय ने उपधारा (1) के अधीन किसी संपत्ति की कुर्की या समपहरण का कोई आदेश दिया है और ऐसी संपत्ति के किसी संविदाकारी राज्य में होने की संदेह है वहाँ न्यायालय, संविदाकारी राज्य के न्यायालय या प्राधिकारी को ऐसे आदेश के निष्पादन के लिए अनुरोध पत्र जारी कर सकेगा।
(3) जहाँ केन्द्रीय सरकार को किसी संविदाकारी राज्य के किसी न्यायालय या किसी प्राधिकारी से अनुरोधपत्र प्राप्त होता है जिसमें किसी ऐसी संपत्ति की भारत में कुर्की या समपहरण करने का अनुरोध किया गया है जो किसी व्यक्ति द्वारा किसी ऐसे अपराध के किए जाने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्युत्पन्न या अभिप्राप्त की गई है जो उस संविदाकारी राज्य में किया गया है वहाँ केन्द्रीय सरकार, ऐसा अनुरोध पत्र ऐसे किसी न्यायालय को, जिसे वह ठीक समझे, यथास्थिति, धारा 105घ से धारा 105ञ (दोनों सहित) के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंधों के अनुसार निष्पादन के लिए अग्रेषित कर सकेगी।
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