सूखा राहत कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी देने संबंधी याचिका
प्रश्न० इस रिट याचिका में क्या मामले उठाए गए ?
उ० राजस्थान राज्य सरकार का पब्लिक वरकर्स विभाग मदनगंज - हरमरा सड़क तिलोनिया गांव के निकट सूखा राहत कार्य के माग के रूप में निर्णय चल रहा था । बड़ी संख्या में मजदूर प्रति दिन के हिसाब से नियुक्त किए गए थे और उन्हें दिए गए कार्य को पूर्ण करना था। जिसको पूर्ण न करने पर उनकी मजदूरी जो 7/- रुपए प्रतिदिन न होने पर उतने पैसे काट लिए जाते थे तब वादी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अनुच्छेद 32 के अंतर्गत जनहित मुकदमा दायर किया जिसमें सूखा राहत के लिए कार्य कर रहे मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी न प्रदान करने के लिए सरकार को चुनौती दी गई ।
प्रश्न० वादी के तर्क क्या थे ?
उ० वादी ने तर्क दिया की पी. डब्लू .डी. द्वारा जो मजदूरी देने संबंधी नीति अपनाई जा रही है उसके कारण मजदूरी को 7 रुपए प्रतिदिन जो न्यूनतम मजदूरी दर है उससे भी कम मजदूरी दी जा रही है ।
प्रश्न० राज्य सरकार ने क्या तर्क दिए ?
उ० राजस्थान सरकार ने कहा क्योंकि मदनगंज हरमरा सड़क सूखा राहत कार्य के अंतर्गत निर्मित की जा रही है। इस कारण न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1984 लागू नहीं किया जा सका क्योंकि इन पर राजस्थान सूखा रहत मजदूर कामगार( श्रम कानून से राहत )अधिनियम 1964 लागू होता है ।
प्रश्न० वादी द्वारा क्या चुनौतियां उठाई गई थी ?
उ० वादी के राहत अधिनियम की वैधता को चुनौती दी गई|सूखा राहत कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी देने संबंधी याचिका।
प्रश्न० इस रिट याचिका में क्या मामले उठाए गए ?
उ० राजस्थान राज्य सरकार का पब्लिक वरकर्स विभाग मदनगंज - हरमरा सड़क तिलोनिया गांव के निकट सूखा राहत कार्य के माग के रूप में निर्णय चल रहा था। बड़ी संख्या में मजदूर प्रति दिन के हिसाब से नियुक्त किए गए थे और उन्हें दिए गए कार्य को पूर्ण करना था जिसको पूर्ण न करने पर उनकी मजदूरी जो 7/- रुपए प्रतिदिन न होने पर उतने पैसे काट लिए जाते थे। तब वादी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अनुच्छेद 32 के अंतर्गत जनहित मुकदमा दायर किया जिसमें सूखा राहत के लिए कार्य कर रहे मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी न प्रदान करने के लिए सरकार को चुनौती दी गई ।
प्रश्न० वादी के तर्क क्या थे ?
उ० वादी ने तर्क दिया की पी. डब्लू .डी. द्वारा जो मजदूरी देने संबंधी नीति अपनाई जा रही है उसके कारण मजदूरी को 7 रुपए प्रतिदिन जो न्यूनतम मजदूरी दर है उससे भी कम मजदूरी दी जा रही है ।
प्रश्न० राज्य सरकार ने क्या तर्क दिए ?
उ० राजस्थान सरकार ने कहा क्योंकि मदनगंज हरमरा सड़क सूखा राहत कार्य के अंतर्गत निर्मित की जा रही है इस कारण न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1984 लागू नहीं किया जा सका क्योंकि इन पर राजस्थान सूखा रहत मजदूर कामगार( श्रम कानून से राहत )अधिनियम 1964 लागू होता है ।
प्रश्न० वादी द्वारा क्या चुनौतियां उठाई गई थी ?
उ० वादी के राहत अधिनियम की वैधता को चुनौती दी गई ।
प्रश्न० उच्चतम न्यायालय ने क्या निर्णय दिया ?
उ० उच्चतम न्यायालय ने एशियाड मामले में दिए गए निर्णय को आधार बताते हुए कहा कि यदि किसी मजदूर को न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन दिया जाता है तो यह अनुच्छेद 32 में दिए गए मौलिक अधिकार का हनन है । न्यायालय ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी उत्पाद दर के आधार पर तय नहीं की जा सकती इसी कारण यह तर्क की यदि मजदूर का उत्पादन दर कम हो तो उसे न्यूनतम वेतन से कम मजदूरी दी जा सकती है गलत होगा। इस प्रकार के मामले में नियोजक उचित कार्यवाही कर सकता है पर वह उसे न्यूनतम वेतन से कम मजदूरी कदापि नहीं दे सकता । राहत अधिनियम जब तक न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के प्रावधानों की अवमानना करता हो वह संवैधानिक रूप से अवैध ठहराया जाएगा ।
प्रश्न० उच्चतम न्यायालय ने क्या निर्णय दिया ?
उ० उच्चतम न्यायालय ने एशियाड मामले में दिए गए निर्णय को आधार बताते हुए कहा कि यदि किसी मजदूर को न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन दिया जाता है तो यह अनुच्छेद 32 में दिए गए मौलिक अधिकार का हनन है । न्यायालय ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी उत्पाद दर के आधार पर तय नहीं की जा सकती इसी कारण यह तर्क की यदि मजदूर का उत्पादन दर कम हो तो उसे न्यूनतम वेतन से कम मजदूरी दी जा सकती है गलत होगा। इस प्रकार के मामले में नियोजक उचित कार्यवाही कर सकता है पर वह उसे न्यूनतम वेतन से कम मजदूरी कदापि नहीं दे सकता । राहत अधिनियम जब तक न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के प्रावधानों की अवमानना करता हो वह संवैधानिक रूप से अवैध ठहराया जाएगा ।
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